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पत्रकार-कार्यकर्ता गौरी लंकेश हत्याकांड की सातवीं बरसी से पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने चार आरोपियों को दी ज़मानत!

गौरी लंकेश हत्याकांड के 18 आरोपी सनातन संस्था के नेता विनोद तावड़े व शशिकांत राणे द्वारा निर्देशित एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट का हिस्सा थे। वे क्षात्र धर्म साधना नामक पुस्तक से प्रभावित थे। चार्जशीट में इसका ज़िक्र किया गया है।
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फोटो साभार : द फाइनेंशियल एक्सप्रेस

कार्यकर्ता व पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी आठ में से चार लोगों को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ज़मानत दे दी। उनकी हत्या 5 सितंबर, 2017 को की गई थी। इन आरोपियों को ज़मानत उनकी हत्या की सातवीं वर्षगांठ से एक दिन पहले 4 सितंबर दी गई।

आरोपी भरत कुराने, सुजीत कुमार, सुधन्वा गोंडालेकर और श्रीकांत जगन्नाथ ने 31 जुलाई से 1 अगस्त के बीच अपनी ज़मानत याचिका दायर की थी।

लंकेश की हत्या का आरोपी मोहन नायक दिसंबर 2023 में ज़मानत पाने वाला पहला शख़्स था। उसके बाद अमित देगवेकर, केटी नवीन कुमार और एचएल सुरेश को इसी साल 16 जुलाई को समानता के आधार पर ज़मानत मिली। अभियोजन पक्ष की आपत्तियों के बावजूद हाई कोर्ट ने मुक़दमे के दौरान आरोपियों के सहयोग का हवाला देते हुए ज़मानत दे दी।

द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक़ चार्जशीट के अनुसार, 18 आरोपी सनातन संस्था के नेता विनोद तावड़े और शशिकांत राणे द्वारा निर्देशित एक “संगठित आपराधिक सिंडिकेट” का हिस्सा थे। वे क्षात्र धर्म साधना नामक पुस्तक से प्रभावित थे, जिसमें “हिंदू विरोधी” व्यक्तियों को “दुष्ट” के रूप में पहचाना जाता है और उनके सफाए का आह्वान किया जाता है। आरोपी कई वर्षों तक मिलते रहे और गोपनीयता बनाए रखने के लिए डुप्लिकेट नामों, कई सिम कार्ड और सामान्य मोबाइल फोन का उपयोग करते रहे। 

आरोपपत्र में महाराष्ट्र और कर्नाटक में आयोजित एक हथियार प्रशिक्षण शिविरों का विवरण दिया गया है, जहां आरोपियों को पिस्तौल चलाने, बम बनाने और बहुत कुछ सिखाया गया था। कथित मास्टरमाइंड अमोल काले ने हत्या की सावधानीपूर्वक योजना बनाई और प्रत्येक आरोपी को निगरानी से लेकर रसद और सबूतों को नष्ट करने तक के काम सौंपे।

रिपोर्ट के अनुसार गौरी लंकेश की हत्या की साजिश जून 2016 में बेलगावी में एक बैठक में शुरू हुई जहां आरोपियों ने उन्हें लक्ष्य के रूप में पहचाना। इस बैठक के बाद एक साल तक तैयारी चली जिसमें निगरानी, हथियार ख़रीदना और सुरक्षित घर बनाना शामिल था।

ज्ञात हो कि साल 2017 में 5 सितंबर को गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर परशुराम वाघमोर ने गोली मार दी जिसके साथ मोटरसाइकिल पर गणेश मिस्किन भी था। सावधानीपूर्वक योजना बनाने में रूट रिहर्सल, कपड़े बदलना और पकड़े जाने से बचने के लिए सबूतों को नष्ट करना शामिल था। हत्या के बाद, आरोपी छिप गए, हथियार नष्ट कर दिए और हर तरह के सबूत को मिटा दिया।

द न्यूज़ मिनट ने तीन भागों की श्रृंखला में बताया था कि कैसे सनातन संस्था के साहित्य से कट्टरपंथी बने इंजीनियर अमोल काले ने कथित तौर पर गौरी की हत्या की साजिश रची थी। सनातन संस्था गोवा स्थित एक कट्टरपंथी हिंदुत्व संगठन है। अमोल ने गौरी की हत्या की योजना बनाई और इसे अंजाम देने के लिए 18 लोगों की टीम बनाई।

जारी है क़ानूनी लड़ाई

गौरी की बहन कविता लंकेश सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहती है वह आरोपियों को दी गई ज़मानत को रद्द करने के लिए लड़ रही हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मोहन नायक की ज़मानत को बरकरार रखा है, लेकिन अगर किसी भी शर्त का उल्लंघन किया गया तो उसे रद्द करने की गुंजाइश छोड़ दी है। कविता ने मुक़दमे में तेज़ी लाने के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की मांग की है। इसकी मांग अन्य कार्यकर्ताओं ने भी की है।

चल रही कानूनी कार्यवाही के बावजूद, आरोपियों को जमानत पर रिहा करना हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों से निपटने और न्याय और आरोपियों के अधिकारों के बीच संतुलन के बारे में गंभीर सवाल खड़े करता है।

साभार : सबरंग 

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