अर्जेंटीना का विज्ञान जगत नए राष्ट्रपति जेवियर माइली की जीत को लेकर काफ़ी चिंतित
विज्ञान मंत्रालय को खत्म करने का वादा करने से लेकर देश के भीतर मौजूद प्रमुख विज्ञान एजेंसियों को भंग करने और जलवायु परिवर्तन को एक धोखा घोषित करने तक, अर्जेंटीना के नए राष्ट्रपति जेवियर माइली के पास देश के विज्ञान समुदाय को परेशान करने के लिए काफी कुछ है। 19 नवंबर को, माइली चुनाव के दूसरे दौर में 56 प्रतिशत वोट हासिल करके विजयी हो गए हैं। उदारवादी उम्मीदवार राजनीति की अपनी धुर-दक्षिणपंथी लोकलुभावन शैली के लिए जाने जाते हैं। माइली 10 दिसंबर को पदभार ग्रहण करने वाले हैं।
माइली की जीत ने अर्जेंटीना की विज्ञान बिरादरी को गहरी चिंता में डाल दिया है, क्योंकि उनका मानना है कि उनके शासन के दौरान देश में विज्ञान और अनुसंधान में गिरावट आ सकती है। माइली और उनकी पार्टी ला लिबर्टाड अवन्ज़ा (जिसका अंग्रेजी में अनुवाद 'लिबर्टी एडवांस' होता है) के अन्य प्रचारकों ने नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल (CONICET) को बंद करने का संकल्प लिया है, जो अर्जेंटीना की मुख्य विज्ञान एजेंसी है, निजीकरण की अन्य संभावनाओं के अलावा स्वास्थ्य, विज्ञान और पर्यावरण मंत्रालयों को भी खत्म करने की घोषणा की गई है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल अर्जेंटीना के 300 संस्थानों में लगभग 12,000 शोधकर्ताओं को वित्त-पोषित करके देश में विज्ञान अनुसंधान में प्रमुख भूमिका निभाती है, जिसका वार्षिक बजट लगभग 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जैसा कि मार्टिन डी एम्ब्रोसियो और फ़र्मिन कूप ने नेचर में लिखा है।
अर्जेंटीना के सबसे प्रमुख विज्ञान संस्थान होने के नाते इसके विघटन के ख़्याल ने शोधकर्ताओं के बीच गुस्सा पैदा कर दिया है। चुनाव से पहले, नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल के 16 शोध संस्थानों के निदेशकों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि इसे बंद करने से बेहतर देश बनाने में मदद नहीं मिलेगी। वास्तव में, कई वैज्ञानिकों ने माइली के खिलाफ अभियान चलाया, साथ ही उनकी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है।
यह विरोध केवल अर्जेंटीना के भीतर ही नहीं है। चुनाव से पहले बाहर से आए शोधकर्ताओं ने भी माइली के प्रस्तावों का विरोध किया था। इंटर-अमेरिकन नेटवर्क ऑफ एकेडमीज ऑफ साइंसेज, शोधकर्ताओं का एक नेटवर्क है, जिसमें कनाडा, अमेरिका, अर्जेंटीना और चिली सहित कई देशों के सदस्य हैं, ने एक दस्तावेज़ प्रकाशित किया है जिसमें कहा गया है कि नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल के शोध में उन समस्याओं का समाधान है जिनसे देश जूझ रहा है। दस्तावेज़ में कहा गया है कि विज्ञान एक व्यय के बजाय एक निवेश है (दस्तावेज़ का अंग्रेजी अनुवाद एम्ब्रोसियो और कूप के नेचर में छापे लेख से लिया गया है)।
माइली, जलवायु परिवर्तन को नहीं मानते हैं
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशंसक, माइली ने 'जलवायु परिवर्तन' को एक समाजवादी धोखा करार दिया और सामाजिक कार्यक्रमों पर आरा चलाने का वादा किया है। जब पूरी दुनिया ने पिछले 125,000 सालों का सबसे गर्म साल देखा और हर जगह जलवायु परिवर्तन पर चर्चा हो रही है, माइली का इससे इनकार चिंता पैदा करने वाला है, खासकर विज्ञान समुदाय में यह बड़ी चिंता का सबब बन गया है।
मटिल्डे रुस्तिकुची, ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय वैज्ञानिक हैं, और वे 2004 से जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल द्वारा प्रकाशित वैश्विक जलवायु आकलन के सह-लेखक रहे भी हैं, ने एम्ब्रोसियो और कूप के लेख के एक बयान में कहा कि, "माइली का स्टैंड समस्या को नकारने वाला है। माइली विज्ञान के सिद्धान्त को नकार रहे हैं, पर्यावरण के सिद्धान्त को नकार रहे हैं, और जलवायु परिवर्तन को नकार रहे हैं। उनकी सरकार वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ा झटका होगी, जो सभी प्रगति हुई है और उसे बहुत सारे प्रायस की जरूरत है।"
क्या हमें ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो याद हैं?
जलवायु परिवर्तन के प्रति बोल्सनारो का भी यही दृष्टिकोण था और ब्राज़ील तथा अन्य जगहों के विज्ञान शोधकर्ताओं और अनुसंधानकर्ताओं ने भी चिंताजनक प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। विशेषज्ञों ने इसे जलवायु की स्थिति को अस्वीकार करने वाला कहा था, यह बोल्सोनारो का शासन था जिसके तहत अमेज़ॅन के जंगल को अभूतपूर्व नुकसान उठाना पड़ा था। यहां सवाल उठता है: क्या माइली लैटिन अमेरिका में दूसरे बोल्सोनारो बनेंगे?
CONICET के बंद होने से प्रतिभाओं का पलायन होगा: विशेषज्ञ
अल्बर्टो कोर्नब्लिहट ने एक बयान में कहा कि, माइली की जीत "अर्जेंटीना में विज्ञान, सार्वजनिक शिक्षा, विश्वविद्यालयों, संस्कृति, पर्यावरण और मानवाधिकारों के लिए अच्छी खबर नहीं है।" कोर्नब्लिहट ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी, आणविक जीवविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान संस्थान में एक आणविक जीवविज्ञानी हैं, जिन्हे नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल से फंड मिलता है। कोर्नब्लिहट ने चेतावनी दी है कि नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल को नष्ट करने से अर्जेंटीना में बड़े पैमाने पर प्रतिभा (Brain-Drain) का पलायन होगा।
केमिस्ट्री वर्ल्ड को दिए एक बयान में, ला प्लाटा नेशनल यूनिवर्सिटी के एक सहायक रसायन विज्ञान प्रोफेसर और एक नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल के सदस्य ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की जब उन्होंने कहा, "पिछले हफ्तों के दौरान, मैंने कई युवा वैज्ञानिकों से बात की है, और वे संभवतः अलग दिशा में जाने के बारे में सोच रहे हैं। इनमें से अधिकांश में से, यह नई दिशा अकादमिक क्षेत्र को छोड़कर निजी क्षेत्र में जा रही है। उनमें से कुछ विदेशों में व्यावसायिक क्षेत्र में जाने के बारे में सोच रहे हैं।"
हालाँकि, व्यापक चिंताओं को देखते हुए माइली और उनकी टीम अपनी पिछली स्थिति से पीछे हटती नज़र आ रही है और कहा कि पहले नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा और फिर पुनर्गठन किया जाएगा। हालाँकि, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और शोधकर्ता माइली के शासन में अर्जेंटीना में विज्ञान और जलवायु की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
Science Fraternity of Argentina Worried About the New President-Elect Javier Milei
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