बिहार चुनाव: आख़िर कितना लागू हुआ 2015 चुनाव का पीएम पैकेज!
मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020 को कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए 2015 के 1.25 लाख करोड़ के पैकेज को जुमला बता दिया। उन्होंने हिसाब देते हुए कहा कि इस पैकेज में अब तक सिर्फ 1559 करोड़ रुपये का ही काम हुआ है। जवाब में बिहार के डिप्टी सीएम ने कहा कि पीएम पैकेज से सभी क्षेत्रों में काम हो रहा है और एक-एक पैसे का हिसाब सार्वजनिक है। पिछले दिनों गया में चुनावी रैली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी दावा किया था कि 2015 के पीएम पैकेज को पूरी तरह लागू करा दिया गया है।
पक्ष-विपक्ष के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौरान यह सवाल बिहार के आम मतदाताओं को सोचने पर विवश कर रहा है कि 1.25 लाख करोड़ के पीएम पैकेज पर वास्तव में कितना काम हुआ है।
हालांकि मंगलवार को रणदीप सुरजेवाला और सुशील मोदी के बीच चले आरोप-प्रत्यारोप में मुख्य रूप से सड़क परियोजना पर ही बात हुई। पीएम पैकेज में इस मद के लिए सबसे अधिक 54713 करोड़ की राशि का प्रावधान रखा गया था। जो कुल पैकेज का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा है। सुरजेवाला ने इस मद के तहत 26997 करोड़ की ऐसी परियोजनाओं का उल्लेख किया, जिसका या तो अभी तक डीपीआर तैयार नहीं हुआ है, या करार समाप्त हो चुका है। ऐसी 20 परियोजनाएं हैं। जबकि सुशील मोदी 13 अलग परियोजनाओं को पूर्ण हुआ बता रहे हैं। वे कहते हैं कि पांच परियोजनाओं पर काम का शुभारंभ हो चुका है।
हालांकि 1.25 लाख करोड़ के पीएम पैकेज में सिर्फ सड़क परियोजनाएं ही नहीं हैं। इसमें किसानों का कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल बिहार, बिजली, रेल, हवाई सेवा, पर्यटन आदि कई मद हैं। इन सभी परियोजनाओं के मद के बारे में पीएमओ की वेबसाइट पर ब्रेकअप उपलब्ध है। इन परियोजनाओं पर विस्तृत बातचीत की जरूरत है।
कृषि कल्याण की हक़ीक़त
पीएम पैकेज के पहले मद में 3094 करोड़ से कृषि कल्याण की बात की गयी है। इसके तहत समस्तीपुर के पूसा में संचालित हो रहे राजेंद्र कृषि विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने, वहां रिसर्च सेंटर खोलने और मत्स्य, खेती जल प्रबंधन आदि का विकास और बड़ी संख्या में गोदाम खोलने की बात कही गयी है। राजेंद्र कृषि विवि को तो केंद्रीय विवि का दर्जा मिल गया है, मगर इसके तहत कोई नयी सुविधा विकसित नहीं हुई है। रिसर्च सेंटरों के नाम पर कुछ भवन जरूर बने हैं, मगर वहां रिसर्च शुरू नहीं हुआ है। नये गोदामों का निर्माण भी नहीं के बराबर हुआ है।
शिक्षा की स्थिति
दूसरा मद शिक्षा का है, जिसके तहत 1000 करोड़ की राशि से दो उच्च शिक्षा संस्थान खोले जाने की बात थी। भागलपुर में विक्रमशिला केंद्रीय विवि और गया में आईआईएम। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भागलपुर में अभी भी केंद्रीय विवि के लिए जमीन की तलाश हो रही है। जहां तक बोधगया के आईआईएम की बात है, उसकी शुरुआत इस घोषणा से पहले ही हो चुकी थी। इसके अलावा 1550 करोड़ से एक स्किल विवि को शुरू करने और एक लाख युवाओं को कौशल विकास की ट्रेनिंग देने की बात थी। न इस विवि की शुरुआत हुई, इसके जरिये न ट्रेनिंग दी गयी।
स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल
इसके बाद स्वास्थ्य का मद आता है, जिसमें पटना, भागलपुर और गया के तीन मेडिकल कालेजों को अपग्रेड करने की बात थी। इसके लिए 600 करोड़ का बजट था। मगर ये बातें अभी भी घोषणाओं में ही हैं। पटना के पीएमसीएच को अपग्रेड करने की बात कई वर्षों से की जा रही है। मगर काम कुछ नहीं हुआ है।
क्या है विद्युतीकरण की स्थिति
अगला मद विद्युतीकरण का है, जिसके लिए 16,130 करोड़ का फंड है। इसमें एक बड़ा हिस्सा 10 हजार करोड़ से भी अधिक राशि का बक्सर में 1320 मेगावाट का कोल पावर प्लांट बनना है। सुशील मोदी जी के मुताबिक उसका उद्घाटन हो चुका है। जबकि इसे स्वीकृति 2019 में मिली। फिर इसका निर्माण शुरू हुआ औऱ पूरा होने का लक्ष्य 2024 तक रखा गया है। इस प्लांट से 60 फीसदी बिजली यूपी को मिलने वाली है। शेष राशि ग्रामीण औऱ शहरी विद्युतीकरण में खर्च होने वाली थी, वह नियमित खर्च है।
ग्रामीण सड़क निर्माण
हाइवे निर्माण पर 54,713 करोड़ और ग्रामीण सड़कों पर 13,820 करोड़ खर्च करने की बात कही गयी। हाइवे से जुड़े तथ्य पहले आ चुके हैं। ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर बिहार सरकार का काम पहले से अच्छा रहा है और इसमें काफी हद तक काम हुआ है। मगर यह रूटीन बजट का हिस्सा है। इसे पैकेज में शामिल करना सिर्फ बजटीय चतुराई थी।
रेलवे सुविधा
8,870 करोड़ की राशि से रेलवे के 676 किमी मार्ग के दोहरीकरण और तिहरीकरण और 574 किमी के विद्युतीकरण का वादा किया गया था। इससे संबंधित बिहार सरकार के आंकड़े कहते हैं कि 2014 से 2019 के बीच सिर्फ 135 किमी रेललाइन का दुहरीकरण किया गया है, हां 1226 किमी रेललाइन का विद्यतीकरण किया गया है।
एयरपोर्ट
2700 करोड़ की राशि से पटना में नया एयरपोर्ट और गया, रक्सौल और पूर्णिया में एयरपोर्ट बनने की योजना थी। पटना के बिहटा में तो एयरपोर्ट बन रहा है। गया, रक्सौल या पूर्णिया में किसी एयरपोर्ट के बनने की अभी तक सूचना नहीं है।
रिफाइनरी, गैस पाइप लाइन इत्यादि
21,476 करोड़ की राशि से बरोनी की रिफाइनरी का विस्तार, गैस पाइप लाइन, एलपीजी प्लांट और रक्सौल से नेपाल तक पाइपलाइन बिछाने की योजना का जिक्र है। पहली बात इन योजनाओं से आम लोगों का कोई हित जुड़ा नहीं है। दूसरी बात इन परियोजना में कहीं भी कोई ऐसा काम नहीं हुआ है, जिसे पूर्णता की स्थिति में माना जा सके। हालांकि सुशील मोदी 709 करोड़ की दो योजनाओं के उद्घाटन की बात जरूर करते हैं।
टूरिस्ट सर्किट
आख़िरी योजना 600 करोड़ की राशि से टूरिस्ट सर्किट तैयार करने की है। इस बारे में सुरजेवाला का आरोप है कि पीएम मोदी ने खुद इससे जुड़ी रामायण सर्किट परियोजना और सीतामढ़ी में सीता प्रकट्य स्थान पर म्यूजयिम के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
इस तरह देखें तो कई योजनाओं में काम शुरू नहीं हुआ है, ज्यादातर काम काफी देर से शुरू हुए और शुरुआती दौर में हैं। बहुत कम काम ऐसे हैं जो पिछले पांच साल में पूरे हो पाये हैं और लोगों को दिखाने की स्थिति में हैं। मुमकिन है कि सुरजेवाला का दावा अतिरंजित हो, मगर जेपी नड्डा और सुशील मोदी के दे भी वास्तविकता से काफी परे हैं।
(बिहार निवासी पुष्यमित्र स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।