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बिहार : महागठबंधन के नेतृत्व में महंगाई-बरोज़गारी-तानाशाही के ख़िलाफ़ सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

7 अगस्त रविवार को महंगाई-बेरोजगारी-तानाशाही-बुलडोजर राज-मुस्लिमों व महिलाओं पर हमले के खिलाफ एंव बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर महागठबंधन ने जिला मुख्यालयों पर प्रतिरोध मार्च किया। इस दौरान पूरे राज्य मे बड़ी संख्या मे लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन मे भाग लिया।
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7 अगस्त रविवार को महंगाई-बेरोजगारी-तानाशाही-बुलडोजर राज-मुस्लिमों व महिलाओं पर हमले के खिलाफ एंव बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर महागठबंधन ने जिला मुख्यालयों पर प्रतिरोध मार्च किया। इस दौरान पूरे राज्य मे बड़ी संख्या मे लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन मे भाग लिया। राजधानी पटना सहित सभी जिला मुख्यालयों पर मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) यानी माकपा और भाकपा-माले के कार्यकर्ता और आम जनता ने बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर भाजपा सरकार को चेताने का काम किया।

राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर महागठबंधन के बैनर से विशाल प्रतिवाद मार्च निकाले गए। सभी विधायक अपने संबंधित जिला मुख्यालयों के प्रतिरोध मार्च में शामिल रहे।

नेता प्रतिपक्ष और राजद के नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "आज देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। किसानों की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई देश में बड़ी समस्या है। लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने लोगों की समस्याओं से मुंह मोड़ लिया है। देश में बेरोजगारी और महंगाई बेहद तेज गति से बढ़ रही है और ‘बहरी और गूंगी’ सरकार को जगाने के लिए आवाज उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"

माकपा राज्य सचिव ललन चौधरी ने केन्द्र और राज्य सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा, "भाजपा नीत सरकार ने महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को समाप्त करने का वादा किया था। लेकिन इस सरकार में महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार देश में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार राष्ट्रीय संपत्ति को चंद कारपोरेट घरानों के हाथों लुटा रही है। राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है।"

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कार्यक्रम में जनता की ऐतिहासिक भागीदारी व समर्थन पर बिहार की जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज(रविवार) बिहार ने एक बार फिर दिखला दिया कि फासीवादी भाजपा सरकार के खिलाफ पूरा बिहार उठ खड़ा हुआ है।

भाकपा-माले ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि खाद्य पदार्थों पर भी टैक्स लगा दिया गया है। गरीबों के घर उजाड़े जा रहे हैं। मुसलमानों व महिलाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। बिहार की धरती से ही जेपी के नेतृत्व में तानाशाही के खिलाफ क्रांति की शुरूआत हुई थी, एक बार फिर आज जब देश अघोषित आपातकाल झेल रहा है, हम सड़कों पर आकर मोदी-शाह की तानाशाही को चुनौती दे रहे हैं।

राजधानी पटना में आज के कार्यक्रम के तहत शगुना मोड़ से शुरू हुए प्रतिरोध मार्च में नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव के साथ भाकपा-माले विधायक महबूब आलम, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, फुलवारी विधायक संदीप सौरभ व जिरोदई विधायक अमरजीत कुशवाहा शामिल थे। इनकम टैक्स पर सभी जत्थे आकर मिले और जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण के उपरांत फिर कारवां डाकबंगला चौराहे की तरफ बढ़ा।

माले नेताओं ने कहा कि महागठबंधन देश में बढ़ती तानाशाही, अभिव्यक्ति व विचारों की आजादी को कुचल देने की साजिशों, मुस्लिमों के खिलाफ घृणा प्रचार, मुंहबाए खड़े बुलडोजर, महंगाई-बेराजगारी की लगातार गंभीर होती स्थिति के खिलाफ निर्णायक तौर पर संघर्ष चलाने को संकल्पबद्ध है। हम राज्य की जनता से अपील करेंगे कि वे दिल्ली-पटना की सरकारों के खिलाफ निर्णायक जंग का ऐलान करें।

सभा को संबोधित करते हुए माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने कहा, "5 जून को जारी हमारे रिपोर्ट कार्ड ने इस बात की शिनाख्त की थी कि प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार सहित मानव विकास सूचकांक के तमाम पैमाने पर राज्य की स्थिति बदतर बनी हुई है। बेरोजगारी, गरीबी, षिक्षा व स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, बिजली, कुकिंग, स्कूलों में छात्रों की भागीदारी, महिला सुरक्षा आदि सभी मानदंडों पर भाजपा-जदयू के शासन में बिहार रसातल में चला गया है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार बिहार में 51.9 प्रतिषत जनसंख्या गरीब है।"

उन्होंने आगे कहा, "अफसरी लूट और संस्थागत भ्रष्टाचार नित्य नए रिकार्ड बना रहे हैं। माॅब लिंचिंग, अपराध का लगातार बढ़ता ग्राफ, दलितों-महिलाओं पर हिंसा, दलित-गरीबों की जमीन से बेदखली, जहरीली शराब के जरिए जनसंहार, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों के जरिए युवा जीवन की तबाही, बेरोजगार युवकों की लगातार बढ़ती फौज, कमरतोड़ महंगाई, मजदूरों का पलायन, कृषि की तबाही, पर्यावरण का विनाश आदि ही आज के बिहार का सच है। विद्यापतिनगर (समस्तीपुर) और पातेपुर (वैशाली) में गरीबी और कर्ज से तंग आकर परिवार के 5-5 सदस्यों ने आत्महत्या कर ली है। बिहार में यह एक खतरनाक शुरूआत है, लेकिन सरकार कान में तेल डालकर बैठी हुई है।"

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