बिहार: 9 सूत्री मांगों को लेकर हज़ारों की तादाद में आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
पिछली 12 जुलाई से अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर आशाकर्मी आंदोलित हैं। आंदोलित आशाकर्मियों-फैसिलिटेटरों की सरकार के साथ दो राउंड की हुई वार्ता की असफलता के बाद आज 3 अगस्त को पटना में हज़ारों की तादाद में आशाकर्मी इकठ्ठा हुए।
इस रैली को भाकपा-माले और सीपीएम के विधायकों समेत कई नेताओं ने अपना समर्थन दिया और धरनास्थल पर पहुंचे। सीपीएम के अजय कुमार व सत्येंद्र यादव ने आशा कार्यकर्ताओं की इस रैली को संबोधित किया।
आशा कार्यकर्ताओं की नेता शशि यादव ने कहा कि "दो राउंड की वार्ता असफल हो चुकी है, लेकिन इससे हम निराश नहीं होने वाले हैं। जब तक हमारी मांगें मानी नहीं जाती हमारी हड़ताल जारी रहेगी।"
अपनी बात जारी रखते हुए शशि ने कहा कि "यह ताज्जुब वाली बात है कि बिहार की महागठबंधन सरकार आशाकर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं देना चाहती जबकि वह महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल था। हम तेजस्वी यादव जी को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय व सम्मानजनक राशि देने की घोषणा की थी। उसे वे पूरा करें।"
उन्होंने कहा कि "न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से सरकार ने मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 1 लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल, कर्नाटक, आंध्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान आदि राज्यों में आशा फैसिलिटेटरों को जो सुविधायें मिल रही हैं, बिहार सरकार भी उसे लागू करे।
इसके अलावा विश्वनाथ सिंह ने कहा कि "तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशाएं शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं, ये अपने परिवार के साथ कई दिनों तक सत्याग्रह पर रही हैं। भीषण गर्मी और उमस में दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं, लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है। हम बिहार सरकार से इस तरह की उम्मीद नहीं करते। वे हड़ताल की मुख्य मांगों को दरकिनार करना चाहते हैं। आशाएं सजग हैं, गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा।"
वाम दल के विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि "मुख्यमंत्री से पुनः वार्ता कराने पर चर्चा हुई है। श्री तेजस्वी यादव के पटना पहुंचते ही वार्ता अविलंब शुरू होगी और आशाओं के पक्ष में फैसला आएगा। वाम दल के सभी विधायक मजबूती से हर प्लेटफॉर्म पर आशाओं के लिए न्यूनतम मानदेय की मांग उठायेंगे। जनता के सवाल हमारी प्राथमिकता हैं। महागठबंधन की सरकार को आशाकर्मियों की मांगें पूरी करनी होगी।"
सीपीएम के अजय कुमार ने कहा कि "आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाएं भी नहीं दे रही है। हम विधानसभा से लेकर सड़क तक आपके आंदोलन के साथ हैं।"
महासंघ गोप गुट के अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि "आशाओं के कठिन कामों के प्रति सरकार का नज़रिया असंवेदनशील है।" मौके पर ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, प्रेमचंद सिन्हा समेत कई अन्य कर्मी भी उपस्थित थे।
आशा कार्यकर्ताओं की मांगें:
* आशा कार्यकर्ताओं को राज्य निधि से देय 1000 रूपये मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित पारितोषिक शब्द को बदलकर नियत मासिक मानदेय किया जाए और इसे बढ़ाकर 10 हजार रूपये किया जाए।
* अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने से पूर्व की सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
* आशाओं के भुगतान में भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाए व पारदर्शिता लाई जाए।
* कोरोना काल की ड्यूटी के लिए सभी आशाओं-आशा फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाए।
* फैसिलिटेटरों के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था किया जाए।
* फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता दैनिक 500 रूपये की दर से भुगतान किया जाए।
* आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
* कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं व आशा फैसिलिटेटर को राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय बीमा योजना का 50 लाख राशि का भुगतान किया जाए।
* आशा कार्यकर्ता-आशाफैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ दिया जाए। जब तक नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट पैकेज के रूप में एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाए।
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