हारे और घबराए ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन डाल रहे हैं आम चुनाव के लिए दबाव
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का 31 अक्टूबर तक ब्रेग्ज़िट समझौते को पास करवाने का सपना धराशायी हो गया है। अब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन के नेताओं द्वारा अंतिम तारीख को बढ़ाए जाने का इंतजार कर रहा है। इस बीच नए चुनाव करवाने के लिए जनमत बनता नजर आ रहा है।
''प्रोग्राम मोशन'' पर हुई अहम वोटिंग के हारने के बाद जॉनसन को ''निकासी समझौते विधेयक'' को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। अगर प्रोग्राम मोशन सफल हो जाता तो इस विधेयक को जल्दी पास करवाया जा सकता था। विधेयक के जरिए ब्रेग्ज़िट को कानूनी मान्यता मिलनी थी। 22 अक्टूबर को जब ''हाउस ऑफ कॉमन्स'' में ''सेकंड रीडिंग'' के बाद इस पर मुहर लगाई गई, तब विधेयक ने अपनी पहली अड़चन पार की थी। वहां इसके पक्ष में 329 वोट पड़े, वहीं विरोध में 299 वोट डाले गए। सेकंड रीडिंग द्वारा किसी विधेयक को आगे के विमर्श के लिए सहमति मिल जाती है। इससे तीसरी रीडिंग में विधेयक में संशोधन का रास्ता खुल जाता है, जिसके बाद इसे कानून बनाने पर वोटिंग द्वारा सहमति-असहमति बनती है।
सांसदों ने प्रोग्राम मोशन को नकार प्रधानमंत्री जॉनसन के उत्साह को ज्यादा लंबा नहीं चलने दिया, मोशन के जरिए जॉनसन, विधेयक को तीन दिन में पास करवाकर, 31 अक्टूबर की अंतिम तारीख से पहले की प्रक्रिया खत्म करना चाहते थे।
मतदान के बाद लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि, 'हमने एक बेहद अहम कानून को सिर्फ दो दिन में पास करने की जल्दबाजी से इंकार कर दिया। विधेयक के आर्थिक प्रभाव पर कोई विश्लेषण या नोटिस भी नहीं मिला।' उन्होंने आगे कहा,'सांसदों को इस बदतर संधि को बेहतर बनाने के लिए ज्यादा वक्त की जरूरत है।'
वोटिंग में हारने के बाद सरकार ने विधेयक को फिलहाल स्थगित करने का फैसला लिया है। प्रश्न काल के दौरान जॉनसन ने कहा कि अब यह यूरोपियन यूनियन पर निर्भर करता है कि वह आगे की तारीख बढ़ाएं। हालांकि जॉनसन ने दोहराया कि वे तारीख के बढ़ाए जाने के खिलाफ हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, अगर यूरोपियन यूनियन ने संसद की तीन महीने तारीख बढ़ाए जाने की मांग मान ली, तो जॉनसन एक बार फिर आम चुनाव के लिए दबाव डालेंगे। जॉनसन पहले कह चुके हैं कि की तारीख को बढ़ाया जाता है तो वे अपने समझौते को किनारे कर देंगे और इस साल के खात्मे से पहले आम चुनाव करवाएंगे।
ईयू काउंसिल प्रेसिडेंट डोनल्ड टस्क ने कहा है कि वे यूरोपियन काउंसिल को ब्रेग्ज़िट डेटलाइन को बढ़ाकर 31 जनवरी किए जाने की सलाह देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे लिखित प्रक्रिया के लिए कहेंगे ताकि इस मामले पर एक और सम्मेलन न हो। अंतिम तारीख के फैसले के थोड़ा ज्यादा लोचदार होकर आने की संभावनाओं पर भी अंदाजा लगया जा रहा है। इस प्रक्रिया को ''फ्लेक्सटेंशन'' कहते हैं। इससे बार फिर प्रक्रिया में तारीख बढ़ाए जाने की जरूरत नहीं होगी।
कॉर्बिन ने कहा कि संसद को बिना वक्त दिए फैसला लेने पर मजबूर करने की कोशिश से सरकार ने खुद के खात्मे की पटकथा लिखी है। बाद में जॉनसन और लेबर पार्टी के नेता कार्बिन की मीटिंग से भी कोई नतीजा नहीं निकला। कॉर्बिन ने कहा कि अगर समझौता नहीं होता तो उनकी पार्टी आम चुनावों के लिए तैयार है। कॉर्बिन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा कि वो निकासी के समझौते और आम चुनाव के लिए तार्किक तरीके से तेजी लाने वाले वक्त का समर्थन करेंगे।
अगर जॉनसन आम चुनाव करवाना भी चाहते हैं तो भी सदन को भंग करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। यह तभी हो सकता है जब लेबर पार्टी जॉनसन का समर्थन करे, जो अभी तक आकस्मिक चुनाव करवाने से दूर ही रही है।
साभार- पीपल्स डिस्पेच
अंग्रेजी में लिखा मूल लेख आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
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