सीजेआई चंद्रचूड़ ने उच्च न्यायालय के पांच नए न्यायाधीशों को शपथ दिलाई
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय के पांच नए न्यायाधीशों को सोमवार को पद की शपथ दिलाई।
उच्चतम न्यायालय परिसर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में पांच न्यायाधीशों-न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को शपथ दिलाई गई।
पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या बढ़कर 32 हो गई है, जो उसकी स्वीकृत क्षमता से दो कम है।
सुप्रीम कोर्ट (#SupremeCourt) को पांच नए न्यायाधीश मिल गए। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (#DYChandrachud) ने जस्टिस पंकज मिथल, संजय करोल, पी.वी. संजय कुमार, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और मनोज मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। pic.twitter.com/50YzcraszO
— IANS Hindi (@IANSKhabar) February 6, 2023
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के लिए इन पांचों न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी।
दिल्ली: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई। pic.twitter.com/4dSP4U6Qbz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 6, 2023
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने इस साल चार फरवरी को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी वी संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की थी।
यह घोषणा उच्चतम न्यायालय और 25 उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर केंद्र और न्यायपालिका में गतिरोध के बीच की गई थी।
उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर शीर्ष अदालत और सरकार ने खुले तौर पर अपने मतभेद व्यक्त किए हैं।
रीजीजू ने हाल ही में कॉलेजियम प्रणाली को भारतीय संविधान के लिए ‘एलियन’ बताया था, जबकि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और उससे संबंधित संविधान संशोधन अधिनियम को खारिज करने वाले उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर सवाल उठाए थे।
एनजेएसी अधिनियम के तहत सरकार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बदलना चाहती थी।
केंद्र सरकार ने पिछले शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि शीर्ष अदालत में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी।
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 31 जनवरी को दो और न्यायाधीशों-इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।
एक बार उनके नाम को मंजूरी दे दी जाती है और वे शपथ ले लेते हैं, तो शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के सभी 34 पद भर जाएंगे।
न्यायमूर्ति बिंदल और न्यायमूर्ति कुमार के नामों की सिफारिश करते समय कॉलेजियम ने स्पष्ट किया था कि उसके द्वारा 13 दिसंबर 2022 को भेजे गए नामों को ‘शीर्ष अदालत में पदोन्नति में मौजूदा नामों पर तरजीह दी जाएगी।’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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