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महाराष्ट्र में निर्भया फंड से खरीदी गाड़ियां, महिलाओं की नहीं, सत्तारूढ़ शिंदे गुट के नेताओं की सुरक्षा में लगीं

महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए निर्भया फंड से करीब 30 करोड़ से खरीदी गई गाड़ियों का इस्तेमाल सत्तारूढ़ दल (शिंदे गुट) के नेताओं की सुरक्षा में किया जा रहा है।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

"महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार एक बार फिर विवादों में है। इस बार आरोप है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए निर्भया फंड से करीब 30 करोड़ से खरीदी गई गाड़ियों का इस्तेमाल सत्तारूढ़ दल (शिंदे गुट) के नेताओं की सुरक्षा में किया जा रहा है। विपक्षी कांग्रेस और एनसीपी ने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को निशाने पर लिया है। पूछा है कि क्या सत्तारूढ़ नेताओं की सुरक्षा महिलाओं की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है।"

पहले महापुरुषों के विषय में विवादित बयान और अब निर्भया फंड के गलत इस्तेमाल की वजह से महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार लगातार विवादों में घिरी है। दरअसल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध से लड़ने के लिए निर्भया फंड के तहत इस साल की शुरुआत में मुंबई पुलिस द्वारा खरीदे गए कुछ वाहनों का उपयोग वर्तमान में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के विधायकों और सांसदों को ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। 6 माह बाद अब आकर इसका खुलासा हुआ है तो सरकार सफाई दे रही है। महत्वपूर्ण यह है कि ये (निर्भया फंड) वो फंड था जिसे सरकार ने योजनाओं के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए बनाया था। 

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हो रहे क्राइम से निपटने के लिए निर्भया फंड से खरीदी गाड़ियों का इस्तेमाल नेताओं को सुरक्षा देने में किया जा रहा है। बता दें कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए सरकार ने 2013 में महिला सुरक्षा के उद्देश्य से राज्यों के लिए ये फंड बनाया था। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जून में मुंबई पुलिस ने 220 बोलेरो और 35 अर्टिगा गाड़ियां, 313 पल्सर मोटरसाइकल के अलावा 200 एक्टिवा स्कूटर खरीदे थे। इसके लिए निर्भया फंड से 30 करोड़ रूपये निकाले गये थे। जुलाई माह में ये गाड़िया अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में बांट दी गई थीं। 

अपनी रिपोर्ट में अखबार ने लिखा है कि इस साल जुलाई में महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच एकनाथ शिंदे गुट के 40 विधायकों और एक दर्जन मंत्रियों को वाई प्लस सुरक्षा देने के लिए मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग ने मुंबई पुलिस से 47 बोलेरो देने की गुजारिश की। तुरंत सुरक्षा व्यवस्था देने की ये गुजारिश VIP सिक्योरिटी विभाग की तरफ से की गई थी। सुरक्षा के लिए जो 47 बोलेरो दी गई उनमें से 17 वापस आ गईं, लेकिन 30 गाड़ियां अब तक वापस नहीं आई हैं। वाई प्लस स्तर की सुरक्षा में एक गाड़ी के साथ पांच पुलिसकर्मी व्यक्ति की सेवा में लगाये जाते हैं। ये चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहते हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से अखबार ने बताया कि, जून में नई बोलेरो खरीदने के बाद अलग-अलग पुलिस स्टेशनों को दी गई थीं। 

अधिकारी ने कहा जहां-जहां गाड़ियों की कमी थी, वहां इस कारण कोई जरूरी काम ना रूके। शहर के 95 पुलिस स्टेशनों को गाड़ियां दी गई थीं। संवेदनशील इलाकों की पहचान कर कुछ पुलिस स्टेशनों को एक गाड़ी दी गई जबकि कुछ पुलिस स्टेशनों को दो गाड़ियां दी गई थीं। अखबार ने लिखा है कि, पुलिस स्टेशनों को गाड़ी दिये जाने के कुछ दिन बाद सुरक्षा में लगाने के लिए इन्हें वापस मांगा गया था। मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग के एक सूत्र के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि, सुरक्षा के लिए गाड़ियों की व्यवस्था उन्हें करनी थी, जिसके लिए अस्थायी तौर पर 30 गाड़ियां पुलिस स्टेशनों से वापस मांगी गई थीं। पुलिस स्टेशनों की गुजारिश पर कुछ गाड़ियां वापस मिलीं लेकिन अभी भी कुछ गाड़ियां वापस नहीं आई हैं।

सांसदों और विधायकों की सुरक्षा में निर्भया फंड की गाड़ियां

महिला सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लागू करने के लिए केंद्र द्वारा 2013 से राज्य सरकारों को ‘निर्भया कोष’ के जरिए धन दिया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, “जून में वाहनों की खरीद के बाद, उन्हें जुलाई में सभी 97 पुलिस थानों, साइबर, यातायात और तटीय पुलिस इकाइयों को वितरित कर दिया गया।” उन्होंने कहा, “इन वाहनों में से, 47 बोलेरो, मुंबई पुलिस के मोटर परिवहन विभाग द्वारा राज्य पुलिस के वीआईपी सुरक्षा अनुभाग के एक आदेश के बाद कई पुलिस थानों से मांगे गए थे, जिसमें कहा गया था कि शिंदे गुट के सांसदों और विधायकों की ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा मुहैया कराने के लिए इन वाहनों की आवश्यकता है।” साथ ही उन्होंने कहा कि हालांकि, इन सांसदों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए गए वाहनों में से 17 वाहनों को आवश्यकता पूरी होने के बाद पुलिस थानों में वापस कर दिया गया। अधिकारी ने कहा, “लेकिन 30 बोलेरो अभी तक वापस नहीं आई हैं, जिससे संबंधित थानों के अधिकार क्षेत्र में पुलिस गश्त प्रभावित हुई है।”

विपक्ष ने उठाये सवाल

कांग्रेस और एनसीपी ने सत्तारूढ़ दल के सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वाहनों को इस्तेमाल करने के लिए शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने पूछा, “क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं को दुर्व्यवहार से बचाने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है?” उन्होंने कहा कि निर्भया कोष का इस्तेमाल विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जाना भयावह और अपमानजनक है। एनसीपी प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा, “निर्भया कोष से खरीदी गई एसयूवी को शिंदे विधायकों को वाई-प्लस सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया गया। शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा सत्ता का शर्मनाक दुरुपयोग। एकनाथ शिंदे के विधायकों को शर्म से मर जाना चाहिए।”

एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा निर्भया कोष की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा, “यह चौंकाने वाली बात है कि महिलाओं की सुरक्षा के अपने कर्तव्यों को पूरा करने में पुलिस की मदद के लिए खरीदे गए वाहनों का दुरुपयोग विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री जनता का समर्थन करने का दावा करते हैं तो दूसरी तरफ पाला बदलने वाले विधायकों और सांसदों को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है जिसमें 5 पुलिसकर्मी शामिल हैं।”उन्होंने पूछा, “अगर लोग आपके साथ हैं, तो आपको क्या डर है?” पाटिल ने मांग की कि वाहनों को संबंधित थानों में वापस भेजा जाए । साथ ही कहा कि महिलाओं की सुरक्षा दल बदलू विधायकों की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

साभार : सबरंग 

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