जातीय जनगणना : न्यायमूर्ति करोल ने बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय करोल ने बुधवार को बिहार सरकार की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें राज्य में उसके (बिहार सरकार) द्वारा की जा रही जातीय जनगणना पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति करोल को छह फरवरी 2023 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उससे पहले, वह पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वह कुछ संबंधित मुकदमों में पक्षकार थे, जिन पर पहले उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई थी।
Supreme Court judge Justice Sanjay Karol recuses himself from hearing the Bihar Government plea challenging the Patna High Court order putting an interim stay on caste-based census in the state. pic.twitter.com/u5ox6Xgm18
— ANI (@ANI) May 17, 2023
शीर्ष अदालत की संबंधित पीठ ने इसके बाद याचिका को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया, ताकि सुनवाई के लिए एक उपयुक्त पीठ का गठन किया जा सके। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल थे।
पटना उच्च न्यायालय के चार मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जातीय जनगणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है।
संविधान का अनुच्छेद 15 कहता कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा। वहीं, अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
याचिका में बिहार सरकार ने दलील दी है, “राज्य ने कुछ जिलों में जातिगत जनगणना का 80 फीसदी से अधिक सर्वे कार्य पूरा कर लिया है और 10 फीसदी से भी कम काम बचा हुआ है। पूरा तंत्र जमीनी स्तर पर काम कर रहा है। विवाद में अंतिम निर्णय आने तक इस अभ्यास को पूरा करने से कोई नुकसान नहीं होगा।”
उच्च न्यायालय ने विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह जाति-आधारित गणना को तुरंत रोक दे और यह सुनिश्चित करे कि पहले से ही एकत्र किए गए डेटा को सुरक्षित रखा जाए और अंतिम आदेश पारित होने तक किसी के साथ साझा न किया जाए।
उच्च न्यायालय ने मामले में अगली सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख निर्धारित की है।
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