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कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के रोजगार मेले को ‘नौटंकी’ बताया

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रोजगार मेलों को ‘‘सबसे बड़ा जुमला’’ करार दिया और दावा किया कि प्रधानमंत्री हर साल दो करोड़ नौकरी पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने में ‘‘असफल’’ रहे हैं।
jairam ramesh

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने रोजगार के अवसरों के कथित अभाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोमवार को आलोचना करते हुए कहा कि वह रोजगार मेला इसलिए आयोजित कर रहे हैं, क्योंकि वह अगले साल होने वाले आम चुनाव को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं और अपनी छवि बचाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह रोजगार मेले के दौरान युवाओं को खासकर सुरक्षा बलों में नियुक्ति के लिए 51,000 से अधिक पत्र वितरित किए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रोजगार मेलों को ‘‘सबसे बड़ा जुमला’’ करार दिया और दावा किया कि प्रधानमंत्री हर साल दो करोड़ नौकरी पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने में ‘‘असफल’’ रहे हैं।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘‘ हर साल दो करोड़ नौकरी देने के अपने वादे को पूरा करने में असफल रहने के बाद...नोटबंदी, गलत ढंग से तैयार जीएसटी और बिना किसी तैयारी के अचानक लॉकडाउन लगाकर एमएसएमई (लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम) क्षेत्र को बर्बाद करने के बाद... नौ साल से अधिक समय तक युवाओं की आशाओं और आकांक्षाओं पर पानी फेरने के बाद... प्रधानमंत्री चुनावी वर्ष में मुश्किल स्थिति में है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह अपनी बिगड़ती छवि को बचाने के लिए सबसे बड़े जुमलों में से एक- ‘प्रधानमंत्री रोजगार मेला’ लेकर आए हैं।’’

रमेश ने दावा किया कि रोजगार मेलों में जो नौकरियां मिल रही हैं, वे पहले से ही स्वीकृत पदों पर मिल रही हैं, जिन्हें प्रशासनिक या वित्तीय कारणों से वर्षों से भरा नहीं गया था। उन्होंने कहा कि ‘‘बहुत बड़ी संख्या में पदोन्नति के मामलों में भी प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र बांटे’’ जा रहे हैं। 

 उन्होंने कहा, ‘‘इन मेलों के माध्यम से शासन का व्यक्तिगत इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा दिखाया जा रहा है कि मानो ये नियमित नौकरियां प्रधानमंत्री की ही वजह से मिल रही हैं, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। ’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि रोजगार सृजन आर्थिक विकास से होता है, जिसके लिए पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है। 

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री रोजगार मेला सिर्फ एक नौटंकी है। यह अति अहंकार, घमंड, आत्म-मुग्धता के साथ-साथ बेरोजगारी की गंभीर स्थिति के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने से इनकार करने का एक और प्रमाण है।’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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