देहरादून: फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ मेडिकल कॉलेज के छात्रों का विरोध प्रदर्शन तेज़!
देहरादून में श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज के एमबीबीएस पांचवें वर्ष के छात्रों द्वारा भारी फीस वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बुधवार को उस समय हिंसक हो गया जब बाहरी लोगों के एक समूह ने परिसर में प्रवेश किया और उन पर हमला कर दिया।
2018 बैच के छात्रों, जिनके माता-पिता भी विरोध में शामिल हुए हैं, ने आरोप लगाया कि हमलावर एंबुलेंस में आए, उन पर हमला किया और एक टेंट को नष्ट कर दिया, जिसके तहत वे सोमवार से विरोध कर रहे थे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि हमलावरों को कॉलेज प्रशासन ने 'हायर' किया था क्योंकि संस्थान के अधिकारियों ने बिलकुल भी हस्तक्षेप नहीं किया।
सोशल मीडिया पर प्रसारित इस घटना की एक वीडियो में पुरुषों और महिलाओं की एक भीड़ को 2018 बैच के इन छात्रों पर हमला करते हुए और टेंट को नष्ट करते हुए देखा जा सकता है। स्टूडेंट्स के मुताबिक़, कई छात्राओं को चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए दून जिला अस्पताल ले जाया गया।
नाम न छापने के अनुरोध पर विरोध प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा ने न्यूज़क्लिक को बताया, "लगभग 30-40 पुरुषों और महिलाओं का एक ग्रुप परिसर में घुस गया और छात्रों के साथ मारपीट शुरू कर दी।" छात्रा ने आरोप लगाया कि जब उसने हमलावरों को टेंट तोड़ने से रोकने की कोशिश की तो उसके चेहरे पर मुक्का मारा गया जिससे उसके मुंह से खून बहने लगा।
छात्र ने आरोप लगाते हुए आगे कहा, “पुलिस और कॉलेज के प्रिंसिपल मौजूद थे लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया। इसी तरह अन्य छात्राओं को भी निशाना बनाया गया।”
मेडिकल कॉलेज द्वारा 1 मार्च को भेजे गए नोटिस के मुताबिक़, राज्य और प्रबंधन कोटे के पांचवें वर्ष के छात्रों की फीस क्रमशः 4 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 9.78 लाख रुपये और 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 13.2 लाख रुपये प्रति वर्ष की जाएगी। जिन छात्रों ने पहले ही पिछले चार वर्षों के लिए फीस का भुगतान कर दिया था, उन्हें उस अवधि की संशोधित फीस के साथ इस वर्ष की फीस का भुगतान करना होगा।
नोटिस के अनुसार, राज्य और प्रबंधन कोटा के छात्रों के लिए संशोधित फीस क्रमशः 26 लाख और 36.9 लाख रुपये होगी। इसके अलावा नोटिस कहता है कि संशोधित फीस का भुगतान करने में विफल छात्रों को इंटर्नशिप के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जो 9 मार्च से शुरू होने वाली थी।
Pay a hefty amount of 37 lakhs otherwise you won’t be allowed to continue further Education
This is what SGRR medical college in Dehradun has ordered for harassing their final year students
Students are asked to vacate hostels
Girls are not allowed to enter hostels . pic.twitter.com/wwZXSUgXJg— Dhruv Chauhan (@DrDhruvchauhan) March 14, 2023
पांचवें वर्ष के एक अन्य छात्र ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा कि यह निर्णय "छात्रों और उनके परिवारों दोनों के लिए एक अचानक और अप्रत्याशित झटका" था।
उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, “हम में से अधिकांश साधारण पृष्ठभूमि से हैं और हमने डॉक्टर बनने के लिए एजुकेशनल लोन लिया है। जब हमने 2018 में दाखिला लिया था, तब भी फीस मेनेजबल थी लेकिन 144% की बढ़ोतरी एक बड़ा बोझ है। यह अनुचित है।”
कॉलेज के पीआरओ भूपेंद्र रतूड़ी ने एक स्थानीय न्यूज़ चैनल को बताया कि यह विरोध प्रदर्शन गैरकानूनी है। "प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति द्वारा फीस निर्धारित किए जाने के बाद छात्रों का यह प्रदर्शन अवैध है।"
प्रदर्शनकारी छात्रों के माता-पिता ने हाल ही में कॉलेज के अधिकारियों के साथ एक बैठक के बाद उच्च न्यायालय (एचसी) का दरवाज़ा खटखटाने का फैसला किया है, जिन्होंने कहा कि संशोधित फीस का भुगतान कम से कम आंशिक रूप से इंटर्नशिप के लिए किया जाना चाहिए।
प्रदर्शनकारी छात्रों में से एक छात्र की मां ने फोन पर न्यूज़क्लिक को बताया कि "उनका परिवार बढ़ी हुई फीस का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं होगा और विरोध करना ही एकमात्र विकल्प है।"
उन्होंने कहा, “बैठक के दौरान कॉलेज प्रशासन द्वारा बातचीत करने से इनकार करने के बाद, हमने निर्णय को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का फैसला लिया। हमारी तत्काल प्राथमिकता इंटर्नशिप है, क्योंकि छात्रों का कीमती समय बर्बाद हो रहा है।”
न्यूज़क्लिक के पास, फीस भुगतान और भुगतान न करने के परिणामों के संबंध में कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्रों को भेजे गए, नोटिस और ईमेल की प्रतियां हैं। प्रशासन ने छात्रों को हॉस्टल खाली करने का भी निर्देश दिया है।
साल 2018 में, कॉलेज में इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया गया था जब एमबीबीएस फीस में 300% की वृद्धि की गई थी, जिसमें माता-पिता और छात्रों ने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी।
इसपर टिप्पणी के किए कॉलेज के पीआरओ भूपेंद्र रतूड़ी उपलब्ध नहीं थे।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :
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