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साबरमती आश्रम में गांधी को ही भूल गए डोनाल्ड ट्रंप

साबरमती आश्रम के आगंतुक रजिस्टर में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना संदेश लिखा। ट्रंप ने बड़े अक्षरों में लिखा कि टू माई ग्रेट फ्रेंड प्राइम मिनिस्टर मोदी, थैंक यू फॉर वंडरफुल विजिट। यहां पर ट्रंप ने महात्मा गांधी का नाम तक नहीं लिखा।
Trump in India
Image courtesy: HMTV

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 फरवरी की दोपहर से अहमदाबाद से अपनी यात्रा की शरुआत कर दी है। अहमदाबाद एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को गले लगाकर स्वागत किया। इसके बाद दोनों नेता 22 किलोमीटर का रोड शो करते हुए साबरमती आश्रम पहुंचे। यहां करीब 20 मिनट रुके। ट्रंप और मोदी ने बापू की तस्वीर पर सूत की माला चढ़ाई। राष्ट्रपति और पत्नी मेलानिया ने चरखा चलाया और गांधी के तीन बंदरों वाली थ्योरी समझी।

अहमदाबाद के साबरमती के करीब अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए शोला भागवत स्कूल के बच्चे कतारों में खड़े में थे। इन बच्चों के हाथों में भारत और अमेरिका का झंडा था।  इस नजारे की आलोचना करते हुए कई जानकारों ने कहा बच्चों को कूटनीति के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन्हें भारत और अमेरिका की वास्तविक स्थिति का ठीक ढंग से पता भी नहीं है। यह ऐसे है जैसे बच्चे कोई निर्जीव वस्तु हों और उनका प्रदर्शनी में इस्तेमाल किया जा रहा हो।

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साबरमती आश्रम के आगंतुक रजिस्टर में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना संदेश लिखा। ट्रंप ने बड़े अक्षरों में लिखा कि टू माई ग्रेट फ्रेंड प्राइम मिनिस्टर मोदी, थैंक यू फॉर वंडरफुल विजिट। यहां पर ट्रंप ने राष्ट्र्रपिता महात्मा गांधी का नाम तक नहीं लिखा। इसके बाद लोगों ने ट्रंप के सन्देश और बराक ओबामा के साबरमती आगुंतक रजिस्टर में लिखे संदेश की तुलना शुरू कर दी।

बराक ओबामा ने साबरमती आश्रम के अपने यात्रा के दौरान साल 2015 में लिखा था कि 'गांधी की आत्मा भारत में आज भी जीवित है। और यह दुनिया को मिला एक नायाब तोहफ़ा है। हम हमेशा प्रेम और शांति की उनकी भावना के साथ जिएं, यह भावना सभी लोगों और देशों में बनी रहे।'

आगुन्तक रजिस्टर में ट्रंप की लिखी गयी बात पर जानकारों ने कहा कि यह बात सही है कि आज की दुनिया में देशों के बीच आर्थिक लेन-देन केंद्र में है। फिर भी ऐतिहासिक विरासत ही किसी देश का पहचान गढ़ती हैं। इस ऐतिहासिक विरासत के सहारे ही दुनिया के लोग किसी देश को जानते हो। गांधी भारत की ऐतिहासिक विरासत हैं। साबरमती आश्रम जाकर गांधी को भूल जाना आर्थिक लेन-देन के तौर पर भले ही बड़ी बात न हो। लेकिन इतिहास के माध्यम से इस बड़े अवसर पर जिस तरह से पूरी दुनिया को सन्देश दिया जा सकता था, वह नहीं दिया जा सका। इसी तरह से एक विचारहीन नेता पूरी दुनिया को दिशाहीन कर देता है।

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