'हमारी लड़ाई आर-पार की है’ : ग्रेनो प्राधिकरण पर किसानों का धरना जारी
दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के किसान बीते 120 से अधिक दिनों से सड़क पर बैठकर संघर्ष कर रहे हैं। उनके इस संघर्ष को लगातार राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने धरना स्थल पर आकर धरने को अपना समर्थन दिया। आज गुरुवार 14 सितंबर को अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में चल रहे धरने का 121 वां दिन है।
धरना स्थल पर पहुंचे समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के साथ समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी, वीर सिंह यादव, डॉ महेंद्र नागर और सुनील चौधरी भी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और अपना समर्थन दिया।
किसान सभा के 12 सितंबर के 'डेरा डालो घेरा डालो' के दौरान कई कार्यकर्ता घायल हो गए। किसान सभा के नेता मोहित नागर के पैर में फ्रैक्चर आ गया साथ ही प्रशांत भाटी डॉक्टर रुपेश वर्मा सहित कई लोग घायल हो गए। किसान सभा के नेताओं ने कहा कि आंदोलन के मुद्दों पर काफी हद तक सहमति बन गई थी। प्राधिकरण में आज सुनील फौजी और डॉक्टर रुपेश वर्मा को मीटिंग मिनट बनवानी थी लेकिन संबंधित अफसर की अनुपलब्धता के कारण मीटिंग मिनट नहीं बन पाई लिहाजा धरना अभी जारी रहेगा।
जगबीर नंबरदार ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि धरना ऐतिहासिक है। धरने के मुद्दों पर प्राधिकरण ने सहमति जाहिर की है। मीटिंग मिनट समय सीमा के साथ जारी होनी है। जिला एक्शन कमेटी में रखकर अनुमोदन कराकर किसानों की बड़ी मीटिंग बुलाकर धरना समाप्त किया।
धरने के 118 वें दिन धरने को राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी समस्त विधायकों के साथ अपना समर्थन देने पहुंचे थे। धरने को समर्थन देने राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के नेतृत्व में उनके सभी विधायक धरना स्थल पहुंचे। जयंत चौधरी ने धरने को समर्थन देते हुए कहा कि लोक दल हमेशा से किसानों की आवाज रहा है और किसानों की ही पार्टी है। किसानों की जब गिरफ्तारी हुई थी तब भी लोक दल के विधायक चंदन चौहान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल धरना स्थल पर भी पहुंचा था और जेल में भी पहुंचा था। उन्होंने कहा कि लोक दल की जिला कमेटी जिला अध्यक्ष जनार्दन भाटी के नेतृत्व में हमेशा धरने के साथ खड़ी है।
किसान सभा के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि हम प्राधिकरण को पर्याप्त समय दे चुके हैं, अपनी समस्याओं को हल करने के लिए नए सीईओ को आए भी डेढ़ महीने से अधिक का वक्त हो गया है। उन्हें मुद्दों पर अपना निर्णय लेना है। मुद्दों को लटकाए जाने की कोई ठोस वजह नहीं है। प्राधिकरण और शासन किसानों की परीक्षा ले रहा है। उनके वाजिब मुद्दों को लटका कर आंदोलन को लंबा खींचकर थकाने की कोशिश कर रहा है लेकिन आंदोलन अपने मुकाम पर पहुंच कर रहेगा और इसी संकल्प के साथ आंदोलन शुरू हुआ था कि मुद्दों को हल कर करके ही दम लेंगे।
किसान सभा के महासचिव हरेंद्र ने कहा हमारी लड़ाई वाजिब है। काफी वक्त हम प्राधिकरण को अपनी समस्याओं को सुलझाने की बाबत दे चुके हैं। प्राधिकरण के अधिकारी फर्जी मीटिंग मिनट जो उन्होंने 6 तारीख की वार्ता वाले दिन तैयार की थी परंतु किसान सभा के लोगों को दिखाने और देने से इनकार कर दिया था। उसी मीटिंग मिनट को जारी किया गया है और लेखपालों की गांव में ड्यूटी लगाई गई है कि वे किसानों को भ्रमित करें कि किसानों के मुद्दे हल हो गए हैं जबकि किसानों के मुद्दे अभी तक भी हल नहीं हुए हैं। किसानों को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है लेकिन किसान पुरी तरह जागरूक हैं और प्राधिकरण की किसी चाल में अबकी बार फंसने वाले नहीं हैं। किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री का दौरा आसपास होता है तो प्रशासन के लोग किसानों के मुद्दों के संबंध में फर्जी बात करना शुरू कर देते हैं और उसके बाद फिर शांत हो जाते हैं और किसानों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं। इन लोगों का किसानों से कोई सरोकार नहीं है। केवल किसानों को बहकाने, आश्वासन देने अथवा धमकाने की ही कोशिश की जाती है।
किसान सभा के नेतृत्व में हजारों लोग प्राधिकरण पर प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। प्रदर्शन स्थल पर किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवले ने मंगलवार को किसानों को संबोधित करते हुए कहा था कि आप लोगों ने दिल्ली आंदोलन की तर्ज पर पक्का मोर्चा लगाया है। यही एक तरीका बचा है कि किसान अपनी समस्याओं को हल करवा सकते हैं। हम ग्रेटर नोएडा के किसानों को बधाई देते हैं कि वह पक्का मोर्चा लगाकर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसान नेता सुनील फौजी ने कहा कि हमारी लड़ाई आर पार की है। मुद्दों पर जो सहमति बनी है वह किसानों के संघर्ष का नतीजा है। प्राधिकरण के अधिकारियों से वार्ता के बारे में अवगत कराते हुए डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि हमारा आंदोलन डेरा डालो घेरा डालो का था। मुद्दों पर सहमति बन गई है। डेरा डालो घेरा डालो का कार्यक्रम अभी स्थगित किया जाता है। धरना जिस तरीके से चल रहा था उसी तरीके से चलता रहेगा। 13 अथवा 14 तारीख तक मीटिंग मिनट फाइनल कर जिला एक्शन कमेटी द्वारा अनुमोदन कर धरना स्थल पर बड़ी पंचायत बुलाकर धरना स्थगित किया जाएगा। आज धरने पर उल्लेखनीय रूप से हजारों महिलाएं खेती व मजदूर और नई अधिग्रहण से प्रभावित किसान बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
बता दें 24 जून को किसानों और नोएडा प्रशासन के बीच एक समझौता हो गया था। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने किसानों की सभी मांगों पर लिखित रूप से सहमति जताई थी जिसके बाद किसानों ने अपना धरना 15 जुलाई तक लिए स्थगित कर दिया था। लेकिन प्रशासन ने अपने वादों को समय रहते पूरा नहीं किया जिसके बाद एक बार फिर किसान सड़कों पर हैं। अपने साथ वादाख़िलाफ़ी का दावा कर रहे किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ फिर से 18 जुलाई को बड़ी संख्या में आंदोलनरत हैं।
ज्ञात हो कि किसानों का समर्थन करने के लिए इस आंदोलन में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, आज़ाद समाज पार्टी और सीपीएम की ओर से समर्थन दिया गया है, यानी आंदोलन में ये राजनीतिक दल भी प्रशासन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे।
अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से बुलाए गए इस आंदोलन के मुख्य उद्देश्य की बात करें तो अथॉरिटी और सरकार की वादाखिलाफी, भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा, 10 प्रतिशत आबादी भूखंड, 17.5 प्रतिशत कोटा, लीजबैक, प्राधिकरण की भूखंड परियोजना में शिफ्टिंग पॉलिसी, रोजगार आदि है।
किसानों का कहना ये है कि उनकी ज़मीन नए उद्योग लगाने के नाम पर ली गई थी, लेकिन अब उसे कमर्शियल रेसिडेंट के तहत बेच दिया गया है, जिसके कारण वहां रोज़गार पैदा करने की बजाय बिल्डिंग्स खड़ी कर दी गई हैं, और उसमें फ्लैट्स बनवा दिए गए हैं।
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