खुले में नमाज़ के विरोध को लेकर गुरुग्राम निवासियों की प्रतिक्रिया
दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में बीते कई महिनों से खुलेआम नमाज़ अदा करने का विरोध काफी गहराता जा रहा है। गुरुग्राम में सबसे ज्यादा आबादी हिंदुओं की है, जो वर्ष 2021 में 16 लाख 60 हजार पार कर गई है। हिंदू तकरीबन कुल आबादी के 93 प्रतिशत है। वहीं मुस्लिम आबादी 80 हजार से ज्यादा हो गयी है जो कुल आबादी के 4.68 प्रतिशत है। मुस्लिम समुदाय को नमाज अदा करने के लिए गुरुग्राम में मूलतः13 मस्जिदें है और छोटी-बड़ी मस्जिदों को जोड़ा जाए तो लगभग 20 से ज्यादा मस्जिदें होंगी।
लेकिन मुस्लिम समुदाय का कहना है कि हमारी 80 हजार से ज्यादा आबादी को नमाज़ अदा करने के लिए यह मस्जिदे नाकाफी हैं। लिहाजा मुस्लिम समुदाय सार्वजनिक स्थलों पर या खुले में नमाज़ अदा करने को मजबूर है। मगर जिस तरह बीते दो महीनों से गुरुग्राम में खुलेआम मुस्लिमों के नमाज़ अदा करने पर मुख्य रूप से हिंदुत्ववादी संगठनों की हिंसात्मक गतिविधियां, नारेबाजी बढ़ रही हैैं उससे गुरुग्राम में अशांति का माहौल बन चुका है। मुस्लिम समुदाय को खुले में नमाज़ अदा करने से क्यों रोका जा रहा है? इस सवाल पर लोगों की राय जानने के लिए हम गुरुग्राम पहुंचे। लोगों ने जो जवाब दिया उसे आप भी पढ़िए।
सबसे पहले हम सेक्टर 39 पहुंचे। वहां मौजूद कुछ बुजुर्गों से हमने खुले में नमाज़ के विरोध को लेकर प्रश्न किए जिसमें हमने पूछा कि आज खुले में नमाज़ का विरोध क्यों हो रहा है? पहले इसका विरोध क्यों नहीं होता था? तब वहां उपस्थित जय भगवान ने इसका जवाब देते हुए कहा कि पहले की तुलना में अब जनसंख्या बढ़ रही है। मुस्लिम लोग सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ अदा करते हैं, जिससे सभी को परेशानी होती है, इसी वजह से नमाज़ का विरोध हो रहा है। आगे उन्होंने कहा गुरुग्राम में मुस्लिम लोग अधिकांशतः बाहरी है, यदि यहां स्थायी मुस्लिम ज्यादा होते तब नमाज़ का विरोध नहीं होता क्योंकि तब उन्हें कहीं न कहीं नमाज़ के लिए जगह की उपयुक्त व्यवस्था होती।
फिर हमने अगला सवाल पूछा कि गुरुग्राम में 80 हजार से ज्यादा मुस्लिम आबादी के लिए मूलत:13 मस्जिदें है क्या इन मस्जिदों में इतनी बड़ी आबादी नमाज़ अदा कर सकती है? तब इस प्रश्न का उत्तर देते हुए वहां मौजूद जयपालसिंह ने कहा कि गुरुग्राम में मुस्लिम आबादी का डिवाइडेशन होना चाहिए। और भारत के विभिन्न शहरों में भी डिवाइडेशन होना चाहिए ताकि जहां मुस्लिम आबादी कम है वहां कम मस्जिदें हो और जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है वहां ज्यादा मस्जिदें हो।
इसके बाद हमने प्रश्न किया कि खुले में नमाज़ अदा करने का जो विरोध हो रहा है, उसे देखते हुए क्या खुले में नमाज अदा नहीं करना चाहिए? तब वहां मौजूद शिव शिष्य (विकलांग है) ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि कुछ साल पहले गुरुग्राम में वाहन और जनसंख्या कम थी लेकिन अब इनमें काफी बढ़ोतरी हो चुकी है, जिससे चारों ओर शोर मचा हुआ है। ऐसे में यदि मुस्लिम खुले में नमाज अदा करते हैं, तब वे शांति से अल्लाह को याद भी नहीं कर सकते और उनका मन भी नमाज़ से भटक सकता है और खुले में नमाज़ से दुर्घटनाओं का भी भय है।
जब हम गुरुग्राम के झाड़सा गांव पहुंचे तब वहां स्थापित शिव वाल्मीकि मंदिर के पुजारी राम अनुज शुक्ला से हमने मुलाकात की और पूछा कि खुले में नमाज़ करने के विरोध से हिंदू-मुस्लिम भाईचारे पर क्या असर पड़ेगा? तब उन्होंने जवाब दिया कि इससे धार्मिक कट्टरता और भी बढ़ेगी जिससे इंसान को इंसान से नफरत होने लगेगी और इसका फायदा राजनीतिक लोग वोट बैंक के रूप में उठाएंगे।
फिर आगे हमने पूछा कि नमाज़ के लिए पहले 100 जगह मुकर्रर थी लेकिन प्रशासन ने उन्हें घटाते-घटाते 6 के रूप में तब्दील कर दिया, क्या यह वाकई गलत है? तब पुजारी ने जवाब देते हुए कहा जगह को घटाकर कम करना सही है क्योंकि मुस्लिम लोग एक दूसरे को भड़काने का काम करते हैं।
फिर हम सदर बाजार की मस्जिद के पास जा पहुंचे जहां पर उस वक्त मुस्लिम लोग नमाज़ अदा कर रहे थे। हमने वहां मस्जिद के मौलवी साहब से खुले में नमाज़ के विरोध को लेकर प्रश्न किये। तब उन्होंने यह कह कर टाल दिया कि सब ठीक है। हम आपके प्रश्नों का जवाब नहीं देना चाहते। मगर उनके स्वभाव से हमें महसूस हुआ कि खुले में नमाज़ के विरोध से और धर्म संसद जैसे आयोजनों में मुस्लिमों खिलाफ जो हिंसा की बात की गयी उससे मौलवी साहब के अंदर डर बैठा हुआ है जिसके कारण उन्होंने किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया।
फिर मस्जिद के पास ही मौजूद मुस्लिम युवाओं से हमने नमाज़ के विषय पर प्रश्न किए। जिनमें हमने मकसूद आलम (वर्कर) से पूछा कि आप खुले में नमाज क्यों पढ़ते हैं मस्जिदों में नमाज क्यों नहीं पढ़ सकते? तब उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि गुरुग्राम में फिलहाल 12 मस्जिदें खुली है और हमारी 15 से ज्यादा मस्जिदें बंद पड़ी हुई है। जिन्हें खोलने के लिए सरकार जरा भी प्रयासरत नहीं है और मस्जिदें कम होने की वजह से खास तौर पर जुम्मे की नमाज़ में मस्जिद के अंदर बहुत भीड़ होती है इसलिए मजबूरन हमें नमाज़ बाहर अदा करनी पड़ती है।
इसके बाद हमने उनसे सवाल किया कि बार-बार यह सुनने में आ रहा है कि मुस्लिम सड़क पर नमाज़ पढ़ते हैं, जिससे आवाजाही में दिक्कत होती है, इसलिए उन्हें खुले में नमाज़ के लिए रोका जा रहा है यह कहां तक सच है? तब वहां मौजूद मोहम्मद शोएब (दुकानदार) ने कहा कि हम भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर नमाज़ अदा नहीं करते हैं। हम पार्कों और खुले स्थानों में लगभग 20 से 30 मिनिट नमाज़ अदा करते हैं। उसके बावजूद जानबूझकर नमाज़ में खलल पैदा की जा रही है।
आगे हमने उनसे पूछा कि क्या महिलाएं भी मस्जिद में या खुले नमाज़ अदा करती है? तब मोहम्मद शोएब ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं के लिए खुले में और मस्जिद में नमाज़ अदा करने की मनाही है, इसलिए वह घर में नमाज़ अदा करती है।
फिर हमने पूछा कि जब महिलाएं घर में नमाज़ अदा कर सकती है तब पुरुष क्यों घर में नमाज़ अदा नहीं कर सकते? इसका जवाब देते हुए मकसूद ने कहा कि इस्लाम के मुताबिक यदि मस्जिद पास है, तब किसी भी मुस्लिम पुरुष के लिए नमाज़ मस्जिद में पढ़नी चाहिए।
आगे जब हम साउथ सिटी फेस वन की ओर पहुंचे तब वहां हमने कुछ महिलाओं से नमाज़ के विषय को लेकर बातचीत की जिसमें हमने पूछा कि खुले में नमाज़ का जिस तरह विरोध हो रहा है, उससे आपको क्या लगता है? नमाज़ का मुद्दा कौन हल कर सकता है? तब वहां मौजूद सोनम (सेलर) ने उत्तर देते हुए कहा कि हिंदुत्ववादी संगठन और जनता के विरोध करने से यह मुद्दा हल नहीं होगा। बल्कि सरकार को नमाज़ के लिए अलग से जगह तय करने का निर्णय लेना होगा, जिससे नमाज़ की समस्या का स्थायी हल निकल सकता है।
आगे जब हमने हुड्डा सिटी मेट्रो स्टेशन की ओर रुख किया तब वहां राधाकृष्णा मंदिर के पास फूलों की मालाएं बेचती महिलाओं से नमाज के विषय को लेकर बातचीत की और प्रश्न किया कि खुले में नमाज का विरोध कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है? वहां मौजूद सुषमा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि खुले में नमाज का विरोध सबसे ज्यादा हिंदू कर रहे हैं क्योंकि उन्हें कुछ संगठनों ने यह कह कर भड़का दिया है कि मुस्लिम कहीं भी नमाज पढ़ने के लिए बैठ जाते हैं, ऐसे में वह हिंदूओं के आसपास के क्षेत्र में नमाज की आड़ में कब्जा जमा लेंगे।
अगला प्रश्न हमने किया कि मुस्लिमों का कहना है पर्याप्त जगह न होने के कारण हमें खुले में नमाज़ करना पड़ता है तब क्या सरकार को नमाज़ के लिए जगह देनी चाहिए? तब सुषमा कहती हैं कि मुस्लिम सबसे ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं, यदि सरकार उन्हें नमाज़ के लिए जगह देती भी है, तब भी आने वाले समय में उनकी आबादी बढ़ने से उन्हें नमाज़ के लिए जगह कम पड़ेगी. ऐसे में नमाज़ का मुद्दा खत्म नहीं होगा।
फिर इसके बाद हमने प्रश्न किया कि क्या मुस्लिम महिलाएं भी खुले में नमाज़ अदा करती है? तब वहां मौजूद शकुंतला (फूल बेचती है ) ने कहा कि हां मुस्लिम महिलाएं भी खुले में नमाज़ अदा करती है हमनें मुस्लिम महिलाओं को हमारे आसपास खुले में और सड़कों के पास नमाज़ अदा करते देखा है।
इसके उपरांत हमने प्रश्न किया कि क्या गुरुग्राम में आपने कहीं ऐसा देखा है कि सड़कों के आसपास मुस्लिमों की नमाज से आवाजाही में कोई ख़लल पैदा हुई हो? इसका जवाब देते हुए शकुंतला ने कहा कि हमने कुछ दिन पहले राजीव चौक पर देखा था कि मुस्लिमों के सड़क पर नमाज़ करने से वाहनों का जाम लग गया था और आवाजाही में रुकावट आ गयी थी।
गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाओं पर गौर कीजिए तो पता चलेगा कि लोग मुस्लिमों के प्रति ढेर सारा पूर्वाग्रह लेकर सोचने के आदी हो चुके हैं। इसी पूर्वाग्रह का फायदा उठाकर के हिंदुत्ववादी संगठन अपनी राजनीति कर रहे हैं।
आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के एक वर्ष पहले सीएम खट्टर ने कहा था कि यदि कोई नमाज पढ़ने में बाधा पहुंचाता है तो प्रशासन उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। लेकिन 10 दिसंबर 2021 को सीएम खट्टर ने बयान दिया कि खुले में नमाज पढ़ना बर्दाश्त नहीं होगा। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि चुनाव के पहले और चुनाव के बाद नेताओं के फैसलों में क्या अंतर आ जाता है। गुरुग्राम में 10 दिसंबर को केवल सेक्टर 29 में पुलिस की मौजूदगी में तीन अलग-अलग शिफ्ट में नमाज हुई। यहां करीब 6 हजार लोग पहुंचे थे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में गुरुग्राम में नमाज पढ़ने के लिए 100 जगह थी। फिर इन्हें घटाकर 37 कर दिया। उसके बाद 13 नवंबर 2021 को 20 जगह के रूप में कर दिया।
फिर 7 दिसंबर को हिंदू-मुस्लिम संगठनों की नमाज के लिए 18 जगहों पर आपसी सहमति बनी। उसके उपरांत 24 दिसम्बर को नमाज को लेकर फिर विरोध हुआ। हिंदू संगठनों ने जमकर नारेबाजी की जिसके बाद 25 दिसंबर 2021 में नमाज पढ़ने के लिए 6 जगहों को तय किया गया।
12 नवंबर 2021 को गुरुग्राम के सेक्टर-18 पार्क में 200 से अधिक मुस्लिम लोगों को स्थानीय लोगों की भीड़ और हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों ने नमाज अदा नहीं करने दी। उन्हें वापस लौटा दिया। ऐसे ही बर्ताव के बाद गुरुद्वारा समिति ने मुस्लिमों को नमाज पढ़ने के लिए जगह मुकर्रर की मगर 20 नवंबर को गुरुद्वारा समिति ने नमाज पढ़ने के लिए मनाही कर दी।
फिर 16 दिसंबर को गुरुग्राम में नमाज को रोकने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने में नाकाम रहे। अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा अवमानना याचिका दायर गई। जिसमें कहा गया कि गुरुग्राम पुलिस और प्रशासन का ढंग से काम ना करने की वजह से नफरत फैलाने वाले भाषणों और अपराध को बढ़ावा मिल रहा है।
(लेखक स्वतंत्र लेखन का काम करते हैं)
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