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ज्ञानवापी केसः मियाद ख़त्म हो जाने के बाद भी ASI का सर्वे जारी!, मसाजिद कमेटी ने जताई आपत्ति

मसाजिद कमेटी के सचिव और मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी ने डीएम एस. राजलिंग को चिट्ठी भेजकर कहा है कि ग़ैर-क़ानूनी तरीके से किए जा रहे ASI सर्वे को तुरंत रोका जाए।
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फ़ोटो : PTI

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे सर्वे पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कड़ी आपत्ति जताई है। यही संस्था मस्जिद की देख-रेख करती है। बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट ने ASI को दो सितंबर को सर्वे रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने सर्वे की मियाद भी नहीं बढ़ाई थी। मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी, जो मसाजिद कमेटी के सचिव हैं, उन्होंने 5 सितबंर को देर रात कलेक्टर एस.राजलिंग को चिठ्ठी भेजी और गैर-कानूनी तरीके से किए जा रहे ASI सर्वे तत्काल रोकने की मांग उठाई। मुफ़्ती-ए-बनारस के पास कलेक्टर का कोई जवाब नहीं मिला है। इस बीच ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे जारी है।

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन पर वाराणसी के जिला जज डा. एके विश्वेश ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश दिया था कि वो 2 सितंबर 2023 को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। ASI ने दो सितंबर को ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे की मियाद 56 दिन और बढ़ाने के लिए अर्जी दी। उस दिन जिला जज अवकाश पर थे, जिसके चलते उक्त पत्रावली पर सुनवाई नहीं हो सकी। जिला जज का काम देख रहे अपर जिला जज ने इस मामले में सुनवाई की तिथि चार सितंबर 2023 मुकर्रर कर दी। जिला जज डा. एके विश्वेश नियत तिथि पर कोर्ट में बैठे और उनके समक्ष उनके समक्ष पत्रावली पेश की गई। जिला जज ने इस मामले की सुनवाई के लिए आठ सितंबर की तिथि मुकर्रर की। इस बीच ASI कोर्ट के आदेश के बगैर ही सर्वे का काम जारी रखे हुए है, जिस पर मुस्लिम समुदाय ने कड़ी आपत्ति जताई है।  

इस बीच अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता फुजैल अय्यूबी ने ASI की अपील पर एतराज जताते हुए और ज्यादा समय नहीं देने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है। उन्होंने अपनी अर्जी में इस बात का जिक्र किया है कि ASI ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में किसी तरह की खुदाई नहीं करने के लिए हलफानाम दिया था। वायदे के विरुद्ध ASI टीम ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने की मिटटी और मलबा खोद ले गए हैं। ASI टीम का यह कृत्य अदालत के हुक्म की अवहेलना है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी को इस पर सख्त एतराज है। ASI की नीयत साफ़ नहीं है। वो जानबूझकर विलंब कर रही है। ऐसी स्थिति में उसे सर्वे के लिए और ज्यादा समय नहीं  दिया जाना चाहिए। यह उल्लेखनीय है कि वाराणसी के जिला जज ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का आदेश जारी करते हुए वहां किसी तरह की खुदाई नहीं करने का निर्देश दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि साइंटिफिक तकनीक से मस्जिद का सर्वे किया जाए।

मसाजिद कमेटी के पत्र संख्या-375 (ग) और ASIके पत्र संख्या 374(ग)/3 पर आठ सितंबर 2023 को सुनवाई होनी है। सर्वे जारी रखने के लिए कोर्ट ने कोई आदेश निर्गत नहीं किया है। मुस्लिम समुदाय की एक बैठक के बाद अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी ने मंगलवार की देर रात बनारस के कलेक्टर एस.राजलिंग को चिठ्ठी भेजी और ASI सर्वे पर तत्काल रोक लगाने की मांग उठाई। पत्र में कहा गया है कि सर्वे इसलिए तत्काल रोका जाए क्योंकि वह अदालत के हुक्म से मुख्तलिफ हो रहा है। पत्र मंगलवार की देर रात 11 बजे के बाद जारी किया गया है।

बनारस के कलेक्टर को भेजे पत्र में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी ने कहा है कि फिलहाल किसी भी अदालत से न तो ASI सर्वे की मियाद बढ़ाई गई है और न ही सर्वे जारी रखने का आदेश पारित हुआ है।

मुफ़्ती-ए-बनारस ने पत्र में यह भी कहा है, "कोर्ट के आदेश के बगैर सर्वे गैर-कानूनी और दोषपूर्ण है। दो सितंबर के बाद से सर्वे का जो भी काम हुआ है वह विधि विरुद्ध है और कोर्ट के आदेश की अवहेलना भी  है। "

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एमएम यासीन ने "न्यूज़क्लिक" से कहा है, " मियाद बीत जाने के बावजूद ASI का सर्वे एक दिन के लिए भी नहीं रोका गया। जब कोर्ट ने इसकी मियाद नहीं बढ़ाई है तो विधि विरुद्ध और गैर-कानूनी सर्वे क्यों और किसके आदेश पर किया जा रहा है? आर्डरशीट में भी सर्वे की मियाद बढ़ाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाएगी। कमेटी का मानना है कि ASI की सभी कार्रवाई गैर-कानून और विधि विरुद्ध है। वाराणसी जिला प्रशासन किस आधार पर ASI जांच दल को मस्जिद परिसर में आने-जाने के लिए अनुमति दे रहा है? मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी के पत्र पर बनारस के कलेक्टर एस.राजलिंगम ने अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है। हमें सिर्फ यही बताया गया है कि प्रशासन ने उनके मुफ़्ती-ए-बनारस के पत्र का निस्तारण कर दिया है, लेकिन उनका लिखित कोई जवाब हमें नहीं मिला है।"

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