लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कैसा चल रहा है?
उत्तर प्रदेश में लगातार धारा 144 लगाकर धरना-प्रदर्शन आदि पर पाबंदी लगाए जाने से नाराज नागरिक समाज ने ‘योगी सरकार हटाओ-लोकतंत्र बचाओ’ अभियान की शुरुआत की है। नागरिक समाज के लोग घर-घर जा कर लोगों को संशोधित नागरिकता कानून से भारतीय समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक असर से अवगत करा रहे हैं। वहीं, शासन-प्रशासन भी अपनी पूरी ताक़त से नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध हो रहे प्रदर्शन को दबाने की कोशिश कर रहा है।
आपको बता दें कि ‘योगी सरकार हटाओ-लोकतंत्र बचाओ’ की शुरुआत नागरिकता संशोधन कानून के मुखर विरोधियों ने मिलकर की है। अभियान के अध्यक्ष आईपीएस एसआर दारापुरी (रिटायर्ड) कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूरे प्रदेश को जेलखाने में तब्दील कर दिया है। उत्तर प्रदेश में पुलिस राज चल रहा है। दारापुरी कहते हैं कि मुख्यमंत्री खुद ‘बदला लो' और ‘ठोक दो' जैसी असंवैधानिक शब्दावली का इस्तेमाल कर लोगों के उत्पीड़न के लिए उकसा रहे हैं।
प्रदेश में पुलिस राज!
उल्लेखनीय है कि नागरिक संशोधन कानून के विरोधी एसआर दारापुरी को 20 दिसंबर 2019 को पुलिस ने जेल भेज दिया था। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून का विरोध करने वालों की सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। इसलिए प्रदेश में पुलिस राज खत्म कर कानून का राज स्थापित किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि विभिन्न लोकतांत्रिक संगठनों ने मिलकर ‘योगी सरकार हटाओ-लोकतंत्र बचाओ’ अभियान पूरे प्रदेश में शुरू किया है। जिसके तहत जन संवाद के लिए आमसभाएं, सम्मेलन, पदयात्रा, जन सम्पर्क किया जायेगा और लोगों को प्रदेश सरकार की अलोकतांत्रिक नीतियों से अवगत कराया जायेगा। इस आंदोलन में अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व सांसद इलियास आजमी और रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब भी शामिल रहेंगे।
घर घर अभियान
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) द्वारा एनआरसी, सीएए व एनपीआर के खिलाफ मोहल्लों में घर घर अभियान चलाया जा रहा है। इस सिलसिले में 27 जनवरी लखनऊ के बस्तौली, समौदीपुर और ब्लॉक इंदिरा नगर में अभियान चलाया गया। यह अभियान दस दिनों तक विभिन्न मोहल्लों में चलाया जायेगा। एडवा की मधु गर्ग के अनुसार पुलिस दमन कर के नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध अभियान को नहीं रोक सकती है। उन्होंने कहा कि यह अभियान दस दिनों तक विभिन्न क्षेत्रों में चलाया जायेगा जिसमें आम लोगों को संशोधित नागरिकता कानून से सामाजिक एकता पर पड़ने वाले नकारात्मक असर से अवगत कराया जायेगा।
आपको बता दें कि पुलिस द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध चल रहे प्रदर्शन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी 26 जनवरी की सुबह गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित होने के लिए घंटा घर पहुंचे।
गौरतलब है कि पुलिस ने समाजवादी पार्टी की छात्र नेता पूजा शुक्ला समेत 06 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था। पुलिस ने पूजा शुक्ला को जेल भी भेज दिया था, हालांकि अब वो बाहर आ गई हैं। पुलिसिया कार्रवाई के दौरान महिलाओं ने अभद्र भाषा में बातचीत करने का आरोप लगाया और कहाकि उनको मारने-पीटने और जेल भेजने की धमकियां भी दी गई। घंटा घर पर नागरिकता संशोधन क़ानून के विरुद्ध धरना दे रही उज़्मा परवीन ने न्यूज़ क्लिक से बात करते हुए कहा कि पुलिस ने उनसे अभद्र भाषा में बात की और उनके 08 महीने के बच्चे को छीन लेने की धमकी दी।
धर्मगुरु पर मुक़दमा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मौलाना डॉ कल्बे सादिक़ (80) के 24 जनवरी को घंटा घर जाकर वहां प्रदर्शन कर रही महिलाओं के समर्थन के ऐलान के बाद उनके पुत्र और 10 अन्य लोगों के विरुद्ध 25 जनवरी को मुक़दमा दर्ज कर दिया गया है।
लंबे समय से बीमार चल रहे मौलाना कल्बे सादिक़ ने व्हील चेयर पर आ कर कहा था कि उन्हें संविधान की रक्षा के लिए प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर गर्व है। उन्होंने महिलाओं से कहा कि वह अपना आंदोलन गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से डरे बिना जारी रखें। मौलाना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बोली जा रही भाषा की भी निंदा की थी।
उज़रियाओं गांव में भी सख़्ती
उज़रियाओं गांव, गोमती नगर में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध धरना दे रही महिलाओं ने भी की पुलिस पर अभद्रता करने का आरोप लगाया है। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की वरिष्ठ सदस्य मधु गर्ग बताती हैं कि उज़रियाओं में धरना दे रही महिलाओं के विरुद्ध भी पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई। धरना स्थल पर रखी कुर्सियों को फेंक दिया गया और खानपान की सामग्री को पुलिस ने आवारा पशुओं को खिला दिया।
फिलहाल पुलिस का दबाव बेअसर
गणतंत्र दिवस के अवसर पर लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर पार्क में अभूतपूर्व प्रदर्शनकारियों का जनसैलाब देखने को मिला। वहां सुबह प्रदर्शनकारियों द्वारा झंडा रोहण और राष्ट्रगान गाया गया। हर तरफ़ तिरंगे ही तिरंगे थे। प्रदर्शनकारी जिसमें पुरुष भी शामिल थे, हाथों में तिरंगे उठाए हुए “आज़ादी” के नारे लगा रहे थे। इस के अलावा राष्ट्रगान के बाद “नगरिकता संशोधन क़ानून वापिस लो” के नारे भी लगाए गये।
महिलाओं द्वारा राष्ट्र भक्ति के गीत “सारे जहाँ से अच्छा” आदि गाए गए। धरना स्थल पर मौजूद महिलाओं द्वारा नुक्कड़ नाटक भी किया गया, जिसमें नगरिकता संशोधन क़ानून से राष्ट्रीय एकता को होने वाले नुक़सान को दर्शाया गया। इसी तरह उज़रियाओं गांव गोमती नगर में भी गणतंत्र दिवस समारोह मनाया गया।
पुलिस को दिए फूल
गणतंत्र दिवस समारोह के बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को महिलाओं और बच्चों ने फ़ूल दिए। उल्लेखनीय है कि इस से पहले भी कंबल और खाना जब्त करने के बाद भी महिलाओं द्वारा ड्यूटी पर तैनात पुलिस को फूल और खाद्य सामग्री दी गई थी।
ख़बर लिखे जाने तक राजधानी लखनऊ के घंटाघर और उज़रियाओं गांव में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन जारी है। धरना स्थल पर बैठी महिलाओं द्वारा देश की एकता के लिए हवन किया जा रहा है। इसके अलावा धरना स्थल पर बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि उनकी मौजूदगी से गैरकानूनी तरीक़े से किसी को हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। धरना स्थल पर कवि, समाज सेवी और हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्मगुरु भी आकर प्रदर्शनकारी महिलाओं से मुलाक़ात कर उनका समर्थन कर रहे हैं।
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