अगर ‘लव जिहाद’ का कोई मामला ही नहीं मिला, तो फिर राज्य कानून क्यों बना रहे हैं?
‘लव जिहाद’ को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग यानी एनसीडब्ल्यू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। वजह आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का एक पुराना दावा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में लव जिहाद के मामले बढ़ रहे हैं। अब आयोग ने खुद इस दावे के उलट सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा है कि उसके पास लव जिहाद की कोई शिकायत कभी आयी ही नहीं है और न ही राष्ट्रीय महिला आयोग के पास लव जिहाद से जुड़ा कोई डेटा मौजूद है।
बता दें कि अभी तक लव जिहाद का कोई मामला राष्ट्रीय महिला आयोग को नहीं मिला है। ये इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में यूपी, एमपी, हरियाणा और कर्नाटक जैसे बीजेपी शासित कई राज्यों ने लव जिहाद के कथित मामलों को लेकर अलग कानून बनाने की बात कही है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र तो ऐलान कर चुके हैं कि विधानसभा में कानून बनाकर लव जिहाद को गैर जमानती अपराध बनाया जाएगा। इसमें दोषियों के लिए पांच साल तक की सजा का प्रावधान होगा।
क्या है पूरा मामला?
बीते महीने 20 अक्तूबर को एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी। राज्यपाल के साथ मीटिंग के बाद एनसीडब्ल्यू ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया था, जिसमें कहा गया कि आयोग की अध्यक्ष और राज्यपाल के बीच राज्य में बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई।
Our Chairperson @sharmarekha met with Shri Bhagat Singh Koshyari, His Excellency, Governor of Maharashtra & discussed issues related to #womensafety in the state including defunct One Stop Centres, molestation & rape of women patients at #COVID centres & rise in love jihad cases pic.twitter.com/JBiFT477IU
— NCW (@NCWIndia) October 20, 2020
इस ट्वीट के बाद रेखा शर्मा के पुराने ट्वीट खंगाले गए, जमकर बवाल हुआ। इस दौरान ही अध्यक्ष रेखा शर्मा के कुछ पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट भी वायरल हुए थे, जिसमें उन्होंने महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर लव जिहाद को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई।
लव जिहाद को लकेर किए महिला आयोग के ट्वीट को कोट करते हुए सीपीआई (माले) की पोलित ब्यूरो सदस्य और ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेंस असोसिएशन (एपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने सवाल किया कि लव जिहाद का केस होता क्या है? क्या ये ऐसा केस है, जिसमें एक मुस्लिम पुरुष एक हिंदू महिला से शादी कर लेता है? आप किस हिम्मत से महिला आयोग की कुर्सी पर बैठकर ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसमें क) महिलाओं को समुदायों की सम्पत्ति समझा जाता है, और ख) मुस्लिमों के लिए द्वेष छिपा हुआ है। आप राष्ट्रीय महिला आयोग के लिए शर्म जैसी हैं।
Hey @sharmarekha - what on earth is a "love jehad" case? Any case in which a Muslim man and Hindu woman are in love? How dare you remain in your chair as @NCWIndia chief & use a term that a) treats women as property of communities b) hates Muslims? You bring shame to NCW. https://t.co/MYmSSTPN59
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) October 20, 2020
कविता कृष्णन और आयोग के जवाब में पेशे से वकिल नवीन कौशल ने ट्वीट कर कहा कि मैंने लव जिहाद को लकर आरटीआई फ़ाइल कर दी है। देखते हैं कि आयोग के पास लव जिहाद के कितने केस आए हैं?
I filed an rti let's see how many cases they have till today pic.twitter.com/M6pZaB3vOf
— adv. naveen kaushal (@Naveenkaushal07) October 20, 2020
इस मामले में 16 नवंबर को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनिकेत आगा ने भी एक ट्वीट किया। इसमें आरटीआई अनुरोध के जवाब में कहा गया कि महिला आयोग लव जिहाद के मामलों का डेटा नहीं रखता है।
आगा ने बताया कि आरटीआई के जरिये पता चला है कि एनसीडब्ल्यू ने लव जिहाद को लेकर कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है, जो एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष के दावों को पुख्ता कर सके।
आरटीआई के जवाब से पता चला है कि महाराष्ट्र में बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों को लेकर रेखा शर्मा का दावा सबूतों पर नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित था।
बुधवार, 18 नवंबर को राष्ट्रीय महिला आयोग में दायर किए गए आरटीआई आवेदन का जवाब नवीन कौशल को भी मिल गया। नवीन कौशल को दिए गए जवाब में कहा गया कि राष्ट्रीय महिला आयोग के दस्तावेजों में कहीं भी लव जिहाद से जुड़ी शिकायत या मामला नहीं मिला है।
So I got reply of rti ... No data with NCW still @NCWIndia chairman made claim that there is rise in love jihaad.... These kind of people need to be held accountable @kavita_krishnan pic.twitter.com/ZK0HEUGI65
— adv. naveen kaushal (@Naveenkaushal07) November 18, 2020
गौरतलब है कि लव जिहाद कट्टर हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है।
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रेखा शर्मा को एनसीडब्ल्यू के अध्यक्ष पद से हटाए जाने का आग्रह करते हुए कहा था, 'एनसीडब्ल्यू महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक स्वतंत्र संस्था है और इसकी अध्यक्ष स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक और विभाजनकारी बयानबजी में लिप्त है, जो एक धर्मनिरपेक्ष तरीके से काम करने की उनकी क्षमता पर सवाल खड़े करता है।'
आखिर लव जिहाद है क्या?
केंद्र सरकार साफ तौर पर कह चुकी है कि कानून में लव जिहाद की कोई परिभाषा नहीं है। यानी कानून में ये शब्द अस्तित्व में ही नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि लव जिहाद शब्द आखिर आया कहां से?
लव जिहाद पहली बार साल 2009 में सुर्ख़ियों में आया। दावा किया गया कि केरल और कर्नाटक के कई क्षेत्रों में गैर-मुस्लिम औरतों को प्यार और शादी का झांसा देकर धर्मांतरित किया जा रहा है।
इसके बाद कई छोटी-बड़ी घटनाओं में इसका इस्तेमाल हुआ लेकिन साल 2017 में हादिया अशोकन केस के दौरान इसका प्रयोग देशभर में फैल गया। केरल हाईकोर्ट ने पहले हादिया की शादी को धर्म-परिवर्तन और दबाव के दावों के बीच मान्यता नहीं दी।
यहां तक कहा गया कि इस शादी के पीछे आतंकी संगठन आईएसआईएस का हाथ था। लेकिन एक साल बाद ही सन् 2018 में ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण’ (एनआईए) ने बताया कि ‘लव जिहाद’ जैसी चीज़ के होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। ज्यादातर हिंदू-मुस्लिम विवाह औरत की मर्ज़ी और रजामंदी से होते हैं। इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने भी स्वीकार किया कि हादिया ने स्वेच्छा से शादी की है और उनके विवाह को वैध भी घोषित कर दिया।
अमूमन लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द है। जिसके अनुसार कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है। इन संगठनों का ऐसा मानना है कि इस साजिश के जरिए देश के बहुसंख्यकों यानी हिंदुओं को के अल्पसंख्यकों में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है।
‘लव जिहाद’ का इस्तेमाल ज्यादातर समाज में दो धर्मों के बीच नफ़रत फैलाने के मकसद से होता है। तथाकथित ‘जिहाद’ को रोकने के लिए कट्टरवादी संगठन आए दिन ‘समुदाय विशेष’ के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहते हैं। शोषण से बचाने के नाम पर औरतों को किसी भी दूसरे समुदाय के मर्दों से शादी की इजाज़त नहीं दी जाती है।
तनिष्क का विज्ञापन आप सभी को याद होगा। हिंदू लड़की मुस्लिम परिवार की बहु होती है, जहां उसकी गोद भराई की रस्में निभाई जा रही होती हैं। इस सुंदर विज्ञापन को ‘एकत्वम’ का नाम दिया गया था। लेकिन महज़ एक ही दिन बाद कंपनी को इस विज्ञापन को सुरक्षा कारणों के चलते हटाना पड़ा। तनिष्क के कई शोरूम को धमकी मिलने की खबरें भी मीडिया में आईं। इस विज्ञापन पर भी लव जिहाद का आरोप लगा।
आपको बता दें कि लोगों के धर्मपरिवर्तन को लेकर देश के कई राज्यों में कानून भी बना हुआ है। लेकिन इसमें लव जिहाद शब्द का उल्लेख नहीं है। लोग विवाह के अलावा भी कई कारणों से धर्म परिवर्तन करते रहे हैं। हाल ही में हाथरस की घटना के बाद गाजियाबाद में हजारों दलितों ने हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया था।
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