पड़तालः क्या हर हफ्ते एक नया विश्वविद्यालय बनाया गया है?
भाजपा केंद्र में सरकार के आठ साल पूरा होने का जश्न मना रही है। परिणामस्वरूप इन आठ सालों की उपलब्धियों का बड़े पैमाने पर प्रचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, अन्य तमाम मंत्री, मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नेता, प्रवक्ता, आईटी सेल और सरकारी प्रचार तंत्र इसी काम में लगे हैं।
MyGovIndia के ट्विटर हैंडल से युवाओं को लक्षित करके एक पोस्टर ट्वीट किया गया है। जिसमें युवाओं से संबंधित नौ दावे किये गये हैं। जिनमें एक दावा विश्वविद्यालयों के निर्माण का है। पोस्टर में दावा किया गया है कि पिछले आठ सालों में देश में हर हफ्ते एक नया विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिट्वीट किया है और गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया है। इसके अलावा भी इसे बड़े पैमाने पर साझा किया जा रहा है। तो क्या सचमुच पिछले आठ सालों में देश में हर हफ्ते एक विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है? आइये, पड़ताल करते हैं।
जांच-पड़ताल
सरकार दावा कर रही है कि पिछले आठ साल में हर हफ्ते एक नया विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है, तो एक साल में 52 हफ्तों के हिसाब से इन आठ सालों में कुल 416विश्वविद्यालयों की स्थापना होनी चाहिये। इस बारे खोजबीन करते हुए हमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का एक दस्तावेज़ मिला जिसमें 2 मई 2022 तक के देश के कुल विश्वविद्यालयों का राज्यवार ब्यौरा दिया गया है। इस दस्तावेज़ के हिसाब से देश में 2015 से 2022 के बीच देश में कुल 312 विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया है। जबकि दावे के हिसाब से 416 विश्वविद्यालयों का निर्माण होना चाहिये था।
मामला सिर्फ इतना ही नहीं है। अगर सरकार दावा कर रही है तो हम यही मानकर चलेंगे कि ये विश्वविद्यालय सरकार ने बनाए हैं। जबकि स्थिति ऐसी नहीं है। यूजीसी के अनुसार इन आठ सालों में मात्र 3 केंद्रीय और 99 राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है। यानी कुल 102 विश्वविद्यालय। जबकि इन आठ सालों में 194 प्राइवेट विश्वविद्यालयों और 9 डीम्ड विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई है। कुल 203 विश्वविद्यालय प्राइवेट हैं। यानी इन आठ सालों में बने कुल विश्वविद्यालयों का तकरीबन 65% प्राइवेट है। आंकड़ों के हिसाब से ये आठ साल उच्च शिक्षा के नीजिकरण के साल रहे हैं।
निष्कर्ष
यूजीसी के दस्तावेज़ के हिसाब से स्पष्ट है कि सरकार का हर हफ्ते एक नया विश्वविद्यालय स्थापित करने का दावा ग़लत है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
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