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पड़ताल: सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र मात्र दो मिनट कंप्यूटर उपलब्ध

क्या स्कूलों में इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी पर्याप्त तौर पर हैं? क्या सभी सरकारी स्कूलों में बिजली है? आइये, पड़ताल करते हैं।
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11 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली शिक्षा सम्मेलन को संबोधित किया था। विषय था “21वीं सदी में स्कूली शिक्षा”। इस सम्मेलन में 15 लाख स्कूलों के 90 लाख से भी अधिक शिक्षकों और 27 करोड़ से भी अधिक विद्यार्थी विर्चुअली जुड़े थे और प्रधानमंत्री का वक्तव्य सुना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेल में बोलते हुए कहा था कि “हमारे विद्यार्थी सस्टेनेबल फ्यूचर, सस्टेनेबल साइंस को समझें। ये समय की मांग है, बहुत जरूरी है। इसलिए छात्र शुरुआत से ही कोडिंग सीखें, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझें, इंटरनेट ऑफ थिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा साइंस और रोबोटिक्स, इससे जुड़ी सारी बातों को भी उनके परिचय में लाना होगा।”

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नई शिक्षा नीति 2020 में कई अन्य विषयों के साथ-साथ कोडिंग और डिजिटल साक्षरता को अनिवार्य तौर पर शामिल किया गया है। कक्षा 6 के बाद की कक्षाओं में कोडिंग पढ़ाया जाएगा। तकनीक, इनोवेशन, कंप्यूटर, डेटा साइंस और कोडिंग वगैरह विषयों पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने भाषणों में बहुत जोर देते रहे हैं।

कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा साइंस और रोबोटिक्स जैसे शब्द सुनने में अच्छे लगते हैं, बोलने में तो बहुत ही अच्छे लगते होंगे। लेकिन जिस तरह से भाषणों में ये बातें बोली जाती हैं क्या उसी तरह से धरातल पर लागू भी होती है? जितने बड़े-बड़े शब्द प्रधानमंत्री ने बोले हैं क्या सरकारी स्कूलों में इतना इंतज़ाम है जिसमें उनके ये शब्द समा सकें? क्या स्कूलों में इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी पर्याप्त तौर पर हैं? क्या सभी सरकारी स्कूलों में बिजली है? आइये, पड़ताल करते हैं।

प्रति छात्र मात्र 2 मिनट कंप्यूटर उपलब्ध

लोकसभा में शिक्षा मंत्रालय से सरकारी स्कूल में उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में सवाल (सवाल क्रमांक 247) पूछा गया। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 7 अगस्त 2023 को जिसका लिखित जवाब दिया। अपने जवाब में उन्होंने कुछ आंकड़े भी प्रस्तुत किए। जिसके अनुसार भारत के 748 जिलों में, सरकारी स्कूलों में 11,38,509 कंप्यूटर हैं यानी हर जिले में औसतन 1,522 कंप्यूटर हैं। जबकि इन 748 जिलों में विद्यार्थियों की संख्या 14,32,40,480 है। यानी देश के सरकारी स्कूलों में औसतन 126  विद्यार्थियों पर एक कंप्यूटर है। मतलब छह घंटे के स्कूली समय में प्रति छात्र औसतन मात्र 2 मिनट कंप्यूटर उपलब्ध है। क्या प्रधानमंत्री जी इन दो मिनट के आधार पर ही कोडिंग जैसे भारी-भरकम शब्द बोल कर रहे हैं?

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देश के 21 जिलों में सरकारी स्कूलों में 20 कंप्यूटर भी नहीं हैं

देश के 21 जिले ऐसे हैं, जहां पूरे जिले के सरकारी स्कूलों में 20 कंप्यूटर भी नहीं हैं। इनमें तमिलनाडु के 16 जिले, अरुणाचल प्रदेश के 2 जिले, मणिपुर के 2 जिले और उत्तर प्रदेश का 1 जिला शामिल है। तमिलनाडु सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की उपलब्धता के मामले में सबसे पिछड़ा हुआ है। तमिलनाडु के तीन जिले ऐसे हैं, जहां इन जिलों के एक भी सरकारी स्कूल में कंप्यूटर नहीं है। देश के 35 जिले ऐसे हैं जहां पूरे जिले के सरकारी स्कूलों में 50 से कम कंप्यूटर हैं। इनमें तमिलनाडु के 20 जिले, अरुणाचल प्रदेश के 6, मणिपुर के 5, मिजोरम के 2 और बिहार व उत्तर प्रदेश का एक-एक जिला शामिल है।

सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की उपलब्धता के हिसाब से देखें तो कर्नाटक देश में पहले नंबर पर है। कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले में प्रति 4 विद्यार्थियों पर एक कंप्यूटर उपलब्ध है। सबसे खराब स्थिति तमिलनाडु में है। तमिलनाडु के पुदुकोट्टई जिले में 96,325 विद्यार्थियों पर एक कंप्यूटर उपलब्ध है।

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इंटरनेट की स्थिति

देश के सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। देश में कुल 10,32,570 सरकारी स्कूल हैं। जिनमें से मात्र 2,47,000 स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। यानी देश के मात्र 23% स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा है। इसके अलावा देश के 1,91,000 सरकारी स्कूलों में बिजली तक नहीं है।

प्रधानमंत्री जी! भाषण तो दिया, कंप्यूटर कब देंगे?

प्रधानमंत्री जी भाषण तो देते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों में पर्याप्त कंप्यूटर नहीं देते। तो क्या प्रधानमंत्री जी सिर्फ भाषण ही देते हैं? हो सकता है ऐसा इसलिए भी करते हों कि उनको लगता है वो कंप्यूटर से अच्छा भाषण देते है या फिर शायद उन्हें लगता हो कि विद्यार्थियों को कंप्यूटर से ज्यादा भाषण की जरूरत है। अगर ऐसा है तो प्रधानमंत्री जी से दरख्वास्त है कि वो एक भाषण और दें और देश के लाखों स्कूलों के करोड़ों विद्यार्थियों को एक साथ भाषण दें। अपने भाषण में इनोवेटिव तरीके से वो तकनीक बताएं जिसका इस्तेमाल करके मात्र 2मिनट प्रति छात्र उपलब्ध कंप्यूटर के जरिये कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स सीख सकते हैं।

एक भाषण अलग से दें जिसमें बच्चों को समझाएं कि पर्याप्त कंप्यूटर ना होना आपदा नहीं बल्कि अवसर है। इस भाषण में उनका मार्गदर्शन करें कि आपदा को अवसर में कैसे बदलें। बल्कि प्रधानमंत्री जी ऐसा करें कि जब तक स्कूलों में कंप्यूटर नहीं पहुंच जाते तब तक एक भाषण हर रोज दें। सरकारी स्कूल के बच्चों को कुछ दें, कंप्यूटर नहीं तो भाषण ही सही। वैसे भी कंप्यूटर मात्र औसतन 2 मिनट के लिए उपलब्ध है, भाषण आप तीन घंटे का भी दे सकते हैं। तीन घंटे के भाषण में बता सकते हैं कि 2 मिनट में कंप्यूटर का क्या करें। आपका एक भाषण मोटिवेशनल भी होना ही चाहिए। जिसमें फिल्मी स्टाइल में आप देश के करोड़ों विद्यार्थियों को कह सकते हैं कि “तुम्हारे पास बस दो मिनट हैं। ये दो मिनट तुमसे कोई नहीं छीन सकता। इसी में तुम्हें कोडिंग से लेकर आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस तक सब सीख लेना है। चक दे इंडिया!”

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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