देश में पत्रकारों पर बढ़ते हमले के खिलाफ एकजुट हुए पत्रकार, "बुराड़ी से बलिया तक हो रहे है हमले"
देश की राजधानी में कई पत्रकार संगठन साथ आए और दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया में एक प्रेस वार्ता की। जिसमे दिल्ली के बुराड़ी में हुई हिन्दू महपंचायत के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले और उत्तर प्रदेश के बलिया में जिस तरह पेपर लीक की खबर चलाने वाले पत्रकार की गिरफ़्तारी हुई उसके खिलाफ पत्रकार संगठनों ने आपत्ति जताई। इस हमले के खिलाफ देश की प्रतिष्ठित संस्था प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया, दिल्ली जर्नलिस्ट यूनियन, डिज़ीपब समते कई अन्य वरिष्ठ पत्रकार साथ आए और एक साथ देशभर के पत्रकारों पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता जताई।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने प्रेस वार्ता की शुरुआत की और कहा कि आज बुराड़ी से बलिया तक पत्रकारों पर हमला हो रहा है ।
उमाकांत ने बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार को उसके काम के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है। पेपर लीक की ख़बर छापने पर उसे जेल में डाल दिया गया है। ये पत्रकारिता पर सीधा हमला है। पुलिस ने अपराधी को गिरफ्तार करने के बजाए सूचना सामने लाने वाले को ही गिरफ्तार कर लिया। और अभी तक उन्हें जेल में रखा है जबकि यूपी में केरल के एक पत्रकार सिद्धिक कप्पन को भी कई महीनों से जेल में रखा है।
उमाकांत ने आगे दिल्ली की घटना पर बोलते हुए कहा कि बुराड़ी में हुई घटना बताती है कि पत्रकारों पर उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर हमला किया जा रहा है जबकि पत्रकार केवल पत्रकार होता है। यूपी की तरह यहां भी यही हुआ, यहां भी अपराधी को नही पकड़ा गया। उन्होंने अफ़सोस जताते हुआ कहा कि आज राजधानी में नौजवान पत्रकार पर हमला हुआ लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है। संसद अभी चल रही है लेकिन कोई सवाल नही कर रहा है। आगे वो कहते हैं कि पत्रकार की पहचान उसके धर्म से ज्यादा उसके काम से होती है। पत्रकारों को काम से रोकना अनौतिक है। पत्रकार की कोई सीमा नहीं होती है। ये हमारा अधिकार है कि हम खबर को लिखे।
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कारवां मैगजीन के एडिटर हरतोश सिंह बल ने कहा हमारे लिए ये कोई पहला मौका नहीं, पिछले कुछ सालों में कई बार हुआ है। जब पत्रकारों पर हमला हुआ हो। सबसे पहले काश्मीर में हुआ था ।
आगे उन्होंने कहा इस सरकार को पत्रकारों से दिक्कत है ख़ासकर निष्पक्ष पत्रकारों से जो इनकी विफलताओं को जनता के सामने लाते है। इसी तरह दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों को महिला पत्रकारों से दिक्कत है।
हरतोष आगे कहते है ये जो छोटी छोटी घटनाएं होती है ये सब एक सुनियोजित ढंग से की जा रही हैं। कर्नाटक में हिजाब कोई धार्मिक मसला नहीं बल्कि मुसलमानों को शिक्षा से वंचित करने का एक तकीका है। इसी तरह झटका और हलाल मीट का सवाल मुसलमानों के रोजगार छीनने का है। मुसलमान पत्रकारों पर हमला भी इसी रणनीति का हिस्सा है। ये सब मुसलमानों को काम करने से रोकने का एक प्रयास है ।
आगे वो कहते हैं- मैं नौजवान पत्रकारों को सलाम करता हूं, जो इस माहौल में निकल रहे हैं और काम कर रहे हैं। मैंने इस तरह का भय का माहौल कभी नही देखा है जो आज हो रहा है।
डिजीपब के प्रतिनिधि और न्यूज़ लॉन्ड्री के एडिटर अभिनंदन सीकरी ने बताया की वो लोग गृह मंत्रालय को पूरे घटनाक्रम के बारे में मांग पत्र भेजेंगे। आगे वो कहते हैं हमे जब सूचना मिलती है कि हमारी युवा महिला पत्रकार के साथ गलत व्यवहार हुआ है तो हमे चिंता होती क्योंकि उसकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है। लेकिन देश के गृह मंत्री को कोई शर्म नही है। पुलिस के होते हुए इस घटना का होना बेहद ही शर्म की बात है।
द क्विंट के एक्जीक्यूटिव एडिटर रोहित ने कहा ये दुर्भगाय पूर्ण है क्योंकी निष्पक्ष पत्रकारिता का दायरा सीमित हो रहा है।
उन्होंने पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए है। आयोजन की अनुमति नहीं थी तो कैसे पूरा आयोजन हुआ? वो भी पुलिस की मौजूदगी में हुआ। अपराध की पुनरावृति करने वाले को गिरफ्तार क्यों नही किया गया?
डीयूजे की महासचीव सुजाता मधुक ने कहा मुझे गर्व है जिस तरह से एडिटर इन युवा पत्रकारों को सपोर्ट कर रहे है, मैं उनका धन्यवाद करती हूं।
प्रेस काउंसिल के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार जय शंकर ने कहा जो बलिया की घटना हुई है, वो आने वाले समय के बारे में बताती है।
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वो कहते है पूर्वी यूपी में ठेके लेकर नकल कराई जाती है। ये काम लगातार हो रहा है लेकिन जब इसको एक्सपोज किया तो पेपर में छापा, उसके बाद डीएम ने उनसे लीक वाला पेपर मांगा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनसे सोर्स पूछा गया जब नही बताया तो जेल भेज दिया गया ।
लेकिन हम साफ करना चाहते है कि हम मरना पसंद करेंगे आपकी जेलों में रहेंगे लेकिन सोर्स नही बताएंगे ।
वो आगे कहते है कि आने वाले दिन बहुत खराब है। ये देश की धर्म निरपेक्षता को खत्म करना चाहते है लेकिन हम कहना चाहते है हमने गंगा और जमुना का पानी पिया है। ये देश की गंगा जमुनी तहजीब है। अब चुपचाप रहने का समय नहीं है खुलकर मैदान में उतरने का समय है।
पीसीआई ने पत्रकारों पर हो रहे हमले और दमन की निंदा की
इससे पहले मंगलवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने यहां बुराड़ी मैदान में ‘हिंदू महापंचायत’ के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले की मंगलवार को निंदा करते हुए दोषियों की ‘तत्काल’ गिरफ्तारी की मांग की। साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 12वीं कक्षा की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी की भी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस ने इन पत्रकारों को ही आरोपी बना दिया जबकि उन्होंने पेपर लीक को ‘‘उजागर’’ किया था। पीसीआई ने बलिया के तीन पत्रकारों की तत्काल रिहाई की मांग की।
पीसीआई ने एक बयान में कहा, ‘‘तीन अप्रैल को दिल्ली के बुराड़ी मैदान में आयोजित हिंदू महापंचायत के दौरान जिस तरह से पांच पत्रकारों पर हमला किया गया था, उसकी प्रेस क्लब ऑफ इंडिया निंदा करता है।’’
पीसीआई ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी रही और ‘‘बुराड़ी हमले में शामिल दोषियों’’ को गिरफ्तार नहीं किया। बयान में कहा गया, ‘‘हाल के दिनों में मीडियाकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि ‘‘ये लोग प्रेस को पूरी तरह से बंद करने पर तुले हुए हैं।’’
पिछले हफ्ते पुलिस ने उत्तर प्रदेश स्कूल परीक्षा बोर्ड के कक्षा 12 के अंग्रेजी प्रश्न पत्र के लीक होने में कथित भूमिका के लिए बलिया में तीन पत्रकारों अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी से स्थानीय पत्रकारों में रोष पैदा हो गया, जिन्होंने दो अप्रैल को बलिया में पुलिस और जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।
पीसीआई ने तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और पुलिस की कार्रवाई को मनमाना बताया।
तीनों पत्रकारों की तुरंत रिहाई की मांग करते हुए पीसीआई ने कहा, ‘‘बलिया जिला प्रशासन की ओर से उन पत्रकारों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करना अत्यधिक निंदनीय है, जिन्होंने 12वीं की परीक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र के लीक होने का खुलासा किया था।’
डिजिटल न्यूज़ प्ल्टफॉर्म का संगठन डिजीपब ने घटना वाले दिन ही एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली के बुराड़ी में एक हिंदू 'महापंचायत' में पत्रकारों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर उत्पीड़न किया गया। जिसकी वो कड़ी निंदा करता है।
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DUJ ने पत्रकारों पर हमले की निंदा
इसी तरह दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (DUJ) ने भी मंगलवार को उन पत्रकारों पर हमले की निंदा की, जो 3 अप्रैल को दिल्ली के बुराड़ी मैदान में आयोजित गैरकानूनी हिंदू महापंचायत की बैठक को कवर कर रहे थे। जिसमें दो मुस्लिम पत्रकारों को पीटा गया और एक महिला पत्रकार से छेड़छाड़ की गई। पत्रकारों को हेट स्पीच के वीडियो डिलीट करने के लिए मजबूर किया गया।
डीयूजे ने अपने बयान में कहा की दिल्ली पुलिस, जो दावा करती है कि महापंचायत के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी लेकिन उसने इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। पुलिस ने पत्रकारों पर हमला करने वालों को गिरफ्तार नहीं किया, इसके बजाय वे पत्रकारों को मौके से दूर ले गए।
डीयूजे की मांग है कि पत्रकारों को निशाना बनाने और शहर में सांप्रदायिक सद्भाव को ख़राब करने के लिए भड़काऊ भाषण देने के लिए दोषियों को गिरफ्तार किया जाए। बैठक में उपस्थित हिंसक व्यक्तियों पर नकेल कसने के लिए एक न्यायिक जांच की आवश्यकता है।
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