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लखीमपुर खीरी: पेड़ से लटकी मिली दो सगी बहनों की लाश, कब थमेगा दलित नाबालिगों पर अत्याचार?

इस घटना के बाद इलाक़े में गुस्से और तनाव का माहौल है। एक ओर ग्रामीण आक्रोशित हैं, तो वहीं विपक्ष भी इस घटना को लेकर सरकार पर हमलावर है। फिलहाल पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। 
Lakhimpur Kheri
Image courtesy : The Indian Express

बेहतर कानून व्यवस्था का दंभ भरने वाली उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक बार फिर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर कटघरे में है। राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में एक दलित परिवार की दो सगी नाबालिग बहनों के शव पेड़ से लटके मिलने के बाद इलाक़े में गुस्से और तनाव का माहौल है। एक ओर ग्रामीण आक्रोशित हैं, तो वहीं विपक्ष भी इस घटना को लेकर सरकार पर हमलावर है। मामले के संबंध में फिलहाल पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन परिवार के लड़कियों को जबरन ले जाने या अपहरण के आरोप को ग़लत बताया है। दूसरी ओर स्थानीय गांव वालों और मृतक लड़कियों के परिवारवालों का कहना है कि तीन लोगों ने लड़कियों के साथ पहले बलात्कार किया और बाद में उनकी हत्या कर शव पेड़ से लटका दिए।

बता दें कि इस घटना के बाद पीड़ित के घरवालों ने पुलिस पर शव को जबरदस्ती कब्जे में लेने का आरोप लगाते हुए स्थानीय ग्रामीणों के साथ सड़क पर कई घंटों तक जाम लगाए रखा। गांव से कुछ दूर निघासन चौराहे पर प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शनकारी आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग कर रहे थे। निघासन चौराहे पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस तमाम हो-हल्ले के बाद पुलिस ने चार आरोपियों के अलावा दो अन्य को साक्ष्य मिटाने के आरोप में गिरफ़्तार किया।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बुधवार, 14 सितंबर की शाम को हुई यह घटना निघासन थाना क्षेत्र के तमोलिन पुरवा गांव की है। लड़कियों की उम्र 15 साल और 17 साल बताई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि लड़कियों की लाशें गन्ने के खेत में एक पेड़ से लटकी मिलीं। लड़की की मां ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि उन्हें शक है कि उनकी बेटियों का क़त्ल किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पड़ोस के गांव के तीन युवक मोटरसाइकिल पर आए थे और उन्होंने घर के पास ही चारा काट रही दोनों बहनों को जबरन उठा लिया।

लड़कियों के पिता का कहना है कि लड़कियां दोपहर से गायब थीं। वहीं पुलिस को डायल 112 के ज़रिए करीब पांच बजकर 40 मिनट पर सूचना मिली कि दो लड़कियों के शव एक पेड़ से लटके मिले हैं। इस मामले में अपहरण और हत्या का आरोप गांव के तीन लड़कों पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिकायत के कहा गया है कि आरोपियों ने लड़कियों को घर के बाहर से घसीटकर बाइक पर बिठाया और अपने साथ ले गए।

उधर, लखनऊ रेंज की पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि लखीमपुर खीरी के एक गांव के बाहर खेत में दो बच्चियों के शव पेड़ से लटके मिले। शुरुआती जाँच में पाया गया कि दोनों बच्चियों से शव उनके ही दुपट्टे से लटके मिले हैं। शवों पर कोई चोट नहीं पाई गई। पोस्टमार्टम के बाद अन्य बातों का पता चलेगा, जांच जारी है।

यूपी में बढ़ता अपराध और विपक्ष के सवाल

याद हो कि जून 2011 में निघासन पुलिस थाना परिसर में एक लड़की की लाश पेड़ से लटकी मिली थी, इस मामले में एक पुलिस निरीक्षक समेत 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। बाद में सीबीआई कोर्ट ने 28 फ़रवरी 2020 को दिए फ़ैसले में कांस्टेबल अतीक़ अहमद को 14 साल की लड़की की हत्या और बाद में लाश को पेड़ से लटकाकर इसे ख़ुदकुशी की शक्ल देने का दोषी पाया था। पुलिसकर्मी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।

बहरहाल, सोशल मीडिया पर इस हालिया घटना के कई वीडियो वायरल हैं। कुछ लोग इसकी तुलना बदायूँ रेप कांड से कर रहे हैं। ध्यान रहे कि साल 2014 में बदायूँ ज़िले के एक गांव में दो दलित बहनों के शव पेड़ से लटके मिले थे। बाद में केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने लड़कियों के साथ गैंगरेप और उसके बाद हत्या की जाँच की थी।

इस ख़बर के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने प्रदेश की चरमराई क़ानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इसे सरकार की विफलता बताया है।

पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, "निघासन पुलिस थाना क्षेत्र में दो दलित बहनों को अगवा करने के बाद उनकी हत्या और उसके बाद पुलिस पर पिता का ये आरोप बेहद गंभीर है कि बिना पंचनामा और सहमति के उनका पोस्टमार्टम किया गया। लखीमपुर में किसानों के बाद अब दलितों की हत्या 'हाथरस की बेटी' हत्याकांड की जघन्य पुनरावृत्ति है।"

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया, "लखीमपुर खीरी में माँ के सामने दो दलित बेटियों का अपहरण व दुष्कर्म के बाद उनके शव पेड़ से लटकाने की हृदय विदारक घटना सर्वत्र चर्चाओं में है, ऐसी दुःखद व शर्मनाक घटनाओं की जितनी भी निन्दा की जाए वह कम है। यूपी में अपराधी बेखौफ हैं क्योंकि सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं।"

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, "लखीमपुर में दो बहनों की हत्या की घटना दिल दहलाने वाली है। परिजनों का कहना है कि इन लड़कियों का दिनदहाड़े अपहरण किया गया था। रोज अख़बारों व टीवी में झूठे विज्ञापन देने से क़ानून व्यवस्था अच्छी नहीं हो जाती। आखिर उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ जघन्य अपराध क्यों बढ़ते जा रहे हैं।"

इस घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाने साधा है। टीएमसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे चौंकाने वाली घटना बताते हुए यूपी को क्राइम कैपिटल का नाम दे दिया।

इस मामले को लेकर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "जिंदा बेटियों को सुरक्षा देने में विफल यूपी की निकम्मी पुलिस, कानून व्यवस्था को बनाए रखने के नाम पर अब दुखी मां व पिता को उसकी बेटियों के मृत शरीर को देने से मना करने के साथ-साथ धमका भी रही है। योगी जी अपनी पुलिस को कहिये यह गुंडागर्दी बन्द करे। ये मत भूलिये यह मेरा परिवार है।"

गौरतलब है कि किसान आंदोलन में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष टेनी के प्रदर्शनकारी किसानों पर जीप चढ़ाने से लेकर लगातार जिले में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या के मामलों को लेकर लखीमपुर खीरी सुर्खियों में रहा है। साल 2020 में उस वक्त पूरे सनसनी फैल गई थी जब अगस्त और सितंबर महीने में ज़िले के अलग-अलग स्थानों पर तीन नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए थे।

पुलिस का निराशाजनक रवैया

वैसे यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि दलित लड़कियों के मामलों में बीते कुछ सालों से अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और पुलिस का रवैया बेहद निराशाजनक रहा है। अगर एनसीआरबी के आंकड़ों की बात करें तो 2018 से लेकर 2020 तक पूरे देश में दलित उत्पीड़न और अत्याचार के 139045 मामले आए जिनमें सबसे ज्यादा 36467 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए। सैकड़ों वर्षों से उत्पीड़न का शिकार हो रहे दलितों की स्थिति यूपी में अब पहले से भी बदतर है।

पुलिस प्रशासन की बात करें तो, हाथरस गैंगरेप और हत्या के मामले को ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ से जोड़ने वाली योगी सरकार और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार गैंगरेप नहीं होने का दावा करने वाली यूपी पुलिस के रवैए पर सीबीआई चार्जशीट के बाद कई सवाल उठे। यही नहीं उसके बाद भी अन्य कई मामलों में लगातार पुलिस कटघरे में खड़ी नज़र आई। आलम ये है कि वंचित, शोषित लोग न्याय की आस में दर-बदर भटक रहे हैं तो वहीं पुलिस पीड़ित को और प्रताड़ित कर रही है। कुल मिलाकर देखें तो सत्ता में वापसी के बाद भी बीजेपी की योगी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर विफल ही नज़र आती है।

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