माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
जूडी बर्च बता रही हैं कि जब माहवारी के गंभीर लक्षण होते हैं, तब उन्हें कैसी दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। वे कहती हैं "मैं कक्षा में बच्चों को पढ़ा रही थी, मेरा दर्द इतना तेज था कि मेरी आंखों से आंसू आ गए थे और मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मैं क्या करूं। स्वाभाविक तौर पर मुझे वहां से जाना पड़ा।"
माहवारी से जुड़े अध्ययनों के एक समग्र परीक्षण के मुताबिक़, प्रजनन की उम्र की महिलाओं में से 91 फ़ीसदी डिसमेनोर्रहिया से पीड़ित होती हैं, जिसमें से 29 फ़ीसदी को बेहद तेज दर्द होता है। “अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ फैमिली फिज़िशियन्स” का कहना है कि डिसमेनोर्रहिया इतना गंभीर होता है कि यह 20 फ़ीसदी महिलाओं की रोजाना की गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है।
तो आखिर महिलाएं इससे कैसे निपटती हैं?
बर्च कहती हैं, "मुझे उस स्थिति में सिर्फ़ संघर्ष ही करना पड़ता है। मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती हूं... कुल मिलाकर मैं ठीक से काम ही नहीं कर पाती हूं।"
दुनिया के कुछ देशों में महिलाएं अपनी माहवारी के दौरान कानूनी तौर पर दी गई छुट्टियां ले सकती हैं। लेकिन ऐसे "माहवारी अवकाश" की नीति विवादित है- इन पर लांछन लगाने और भेदभाव बढ़ाने के आरोप लगते हैं। यह तीव्र बहस का विषय बन जाती हैं और माहवारी अवकाश पर ध्यान ला पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसके बावजूद यूरोप में स्पेन इस तरह की छुट्टियां देने वाला पहला देश साबित हो सकता है।
हर महीने तीन दिन की ज़्यादा छुट्टी
लीक हुआ कानून का प्रस्तावित मसौदा, जिसे स्पेन में मंत्री परिषद के सामने मंगलवार को पेश किया जाएगा, वह बताता है कि हर महीने तीन दिन की माहवारी छुट्टी मिलेगी। हालांकि अभी सारी जानकारी साफ नहीं है, लेकिन इसके लिए महिलाओं को गंभीर मासिक धर्म के लक्षणों का अनुभव होना जरूरी है और इसके लिए उन्हें चिकित्सकीय प्रमाणपत्र भी दिखाना होगा।
स्पेन के सरकारी "इंस्टीट्यूट ऑफ़ वीमेन (महिला संस्थान)" की निदेशिका टोनी मोरिल्लास ने स्पेन के ऑनलाइन न्यूज़ आउटलेट पब्लिको को बताया, "हमारे देश में.... हमें यह पहचानने में दिक्कत होती है कि मासिक धर्म एक शारीरिक प्रक्रिया है, जिसमें कुछ अधिकार होने चाहिए।” मोरिल्लास ने ऐसा आंकड़े भी पेश किए, जो बताते हैं कि दो में से एक महिला को दर्द भरी माहवारी का अनुभव होता है। डीडब्ल्यू ने संस्थान और स्पेन के समता मंत्रालय से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फिलहाल इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। बता दें यह संस्थान, समता मंत्रालय के तहत ही आता है।
नीति का मसौदा, जिसमें अब भी बदलाव किया जा सकता है, वह एक नए प्रजनन कानून का हिस्सा है, जो महिलाओं को गर्भपात की स्थिति में छुट्टी देने का प्रावधान करता है और 16 से 17 साल की महिलाओं को गर्भपात के लिए पालक की अनुमति की बाध्यता को खत्म करता है। यह कानून माहवारी से जुड़े उत्पादों, जैसे-पैड्स, टैंपॉन्स पर बिक्री शुल्क का खात्मा भी करता है।
मासिक धर्म पर छुट्टियों में पूर्वी एशियाई देश आगे
इटली की संसद ने 2017 में ऐसा ही मसौदा पेश किया था, जिस पर गहन बहस शुरू हुई थी कि क्या इससे काम की जगहों पर भेदभाव बढ़ेगा या नहीं? आखिरकार यह मसौदा आगे नहीं बढ़ा पाया।
केवल कुछ ही देश- जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, इंडोनेशिया और जाम्बिया के पास ही ऐसी राष्ट्रीय नीति है, जिसमें भुगतान सहित माहवारी अवकाश दिया जाता है। इंडोनेशिया में किरोयन पार्टनर्स की सीईओ वेवे हिटिपेऊ ने कभी इस तरह की छुट्टियों लाभ उठाया था, अब नियोक्ता के तौर पर भी उन्हें इन छुट्टियों को देने की अनिवार्यता है।
वे कहती हैं कि उन्होंने इन छुट्टियों को वक़्त-वक़्त पर इस्तेमाल किया है, क्योंकि उन्हें माहवारी के दौरान पेट में बहुत तेज दर्द होता था। वह कहती हैं, “ठीक से बैठना भी बहुत मुश्किल होता था। अगर मुझे अपनी डेस्क या मेरे लैपटॉप के सामने रोज 8 से 9 घंटे बैठना पड़ता, तो मैं काम नहीं कर पाती थी।”
“वह बहुत दर्द भरा समय होता था”। हिटिपेऊ इस नीति को उनके लिए बहुत मददगार बताती हैं। वह कहती हैं कि हालांकि उन्हें कभी इन छुट्टियों को लेने या देने में दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब भी इन छुट्टियों को लेकर भेदभाव किया जाता है और लांछन लगाए जाते हैं, क्योंकि लोग सोचते हैं: महिलाएं आलसी होती हैं और वे काम करना नहीं चाहतीं।
उनके मुताबिक़, फैक्ट्रियों में काम करने वाली महिलाओं के साथ खासतौर पर ऐसा है, जहां उत्पादकता सीधे काम पर बिताए गए वक़्त से जुड़ी होती है।
उत्पादन से जुड़े धंधों (जैसे फैक्ट्रियों) में काम करने वाली महिलाओं द्वारा छुट्टी लेने पर उनकी तरफ संशय से देखा जा सकता है।
दिक़्क़त भरा हो सकता है माहवारी अवकाश
जापान ने 1947 में युद्ध के बाद सुधारों के दौरान माहवारी छुट्टियों को लागू किया था, लेकिन वहां छुट्टियां लेने की प्रवृत्ति पर नज़र डालने से पता चलता है कि यह इतना आसान नहीं है। निक्केई द्वारा करवाए गए हालिया सर्वे के मुताबिक़, सिर्फ़ 10 फ़ीसदी महिलाएं ही माहवारी छुट्टियां ले रही हैं, जबकि सर्वे में शामिल 48 फ़ीसदी महिलाएं इन्हें लेना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने कभी ली नहीं। क्योंकि उन्हें अपने पुरुष बॉस के सामने इनके लिए आवेदन करने में झिझक महूसस होती है, क्योंकि बहुत कम महिलाएं इसके लिए छुट्टी लेती हैं।
उदारवादी छुट्टियों की नीति वाले यूरोपीय देशों में भी माहवारी को आधार बताकर छुट्टी लेना आम नहीं है। नीदरलैंड में 2019 में 30 हजार से ज़्यादा डच महिलाओं के सर्वे में पाया गया कि माहवारी के दौरान सिर्फ़ 14 फ़ीसदी ने ही काम से छुट्टी ली, इसमें से भी 20 फ़ीसदी ने ही इसकी सही वज़ह बताई थी।
2020 में माहवारी अध्ययन पर प्रकाशित किताब में दर्ज एक गहन अकादमिक पेपर, काम की जगहों पर माहवारी की छुट्टियों के फायदे और नुकसान को बताता है।
इस तरह की नीतियों के नकारात्मक परिणामों में “लिंग भेद वाले विचारों और व्यवहार का बढ़ना, जिससे लैंगिक सामान्यीकरण और माहवारी पर लांछन की प्रवृत्ति बढ़ती है, जिससे लैंगिक वेतन का अंतर बढ़ता है और माहवारी का चिकित्सकीयकरण थोपा जाता है।”
पेपर कहता है कि इस तरह के नकारात्मक सामान्यीकरण में महिला भंगुरता, उत्पादकता में कमी और भरोसे की कमी शामिल होती है, जबकि “माहवारी के चिकित्सकीयकरण” में माहवारी को नकारात्कम ढंग से एक बीमारी कहा जाता है, जिसे “ठीक” किए जाने की जरूरत है।
जैसा पेपर में बताया है, माहवारी, ट्रांसजेंडर और द्विलिंगी से भिन्न व्यक्तियों (नॉन-बाइनरी) में भी हो सकती है, उन्हें भी माहवारी छुट्टियां दी जानी चाहिए। बर्च के ब्रिटेन के नेटवर्क के अनुभव में “अगर मासिक आधार पर महिलाएं नियमित छुट्टियां लेती हैं, तो उनमें से कई को काम की जगहों पर दंडित किया जाता है।” उन्हें अनुशासित किया जाता है या नौकरी से निकाल दिया जाता है।
वह कहती हैं कि माहवारी अवकाश नीति को लागू करवाने की क्षमता देश-देश के हिसाब से भिन्न होगी और यह अमेरिका जैसे देशों में बहुत मुश्किल होगी, जो बहुत कम भुगतान अवकाश देते हैं।
बर्च के लिए स्पेन का प्रस्ताव पर्याप्त नहीं है। वह कहती हैं, “जब आपको हर महीने उस तरीके का दर्द होता है, तो तीन दिन कुछ भी नहीं है।”
जब एक महिला बिस्तर में लेटी होती है, तो वह अपने पेट के निचले में हिस्से में दर्द के वक्त गर्म पानी की बोतल सटाकर रखती है। 10 में से एक महिला एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होती है, जिसमें गर्भाशय के ऊतक, गर्भाशय के बाहर विकसित हो जाते हैं। इस तरह की स्थिति माहवारी को बेहद पीड़ादायी बना सकती है। उनका मानना है कि काम के समग्र माहौल को गंभीर माहवारी लक्षणों वाली महिलाओं को सहूलियत देने के लिए ज़्यादा लचीला बनाना होगा।
2020 के पेपर में यह भी एक बात थी, पेपर कहता है, “अगर काम की जगह पर लचीलापन होता है, तो इससे आम तौर पर माहवारी से गुजरने वाली महिलाओं को लाभ होगा। (उदाहरण के लिए ज्यादा अवकाश दिया जाए, घर से काम करने की छूट दी जाए, मनमुताबिक ढंग से काम को माहवारी के दौरान ढाला जा सके)।”
और कुछ कंपनियां इस बिंदु पर काम करना शुरू कर रही हैं, यहां तक कि वे अपनी कंपनी नीतियों में इसे शामिल कर रही हैं।
महिलाओं को काम करने की जगह पर मदद उपलब्ध कराना
जोमेटो भारत के बाहर स्थित एक प्लेटफॉर्म है, जो खाना पहुंचाने के काम से जुड़ा हुआ है। कंपनी में अगस्त 2020 से माहवारी अवकाश की नीति अपनाई गई है। कंपनी की संचार प्रमुख वैदिका पाराशर इस ढांचे की व्याख्या करते हुए बताती हैं कि साल के दौरान 10 माहवारी छुट्टियां ली जा सकती हैं। यह घोषित अवकाश के अतिरिक्त अवकाश होता है।
वह बताती हैं कि इसके लिए एक सम्मानित व्यवस्था की गई है। संबंधित कर्मचारी टीम चैट में लाल बूंद वाले कैलेंडर का इमोजी बनाकर इस छुट्टी को ले सकता है, इसमें फिर कोई सवाल नहीं पूछे जाते। वे भी इसका इस्तेमाल करती हैं।
“उन दिनों में से किसी एक दिन मैं वह इमोजी भेजकर दर्शा देती हूं कि मैं आगे काम के लिए उपलब्ध नहीं हूं। मैंने देखा है कि बहुत सारे सहकर्मी इसका सम्मान करते हैं। जोमेटो में इसे बहुत गंभीरता से लिया जाता है।”
वह बताती हैं कि माहवारी अवकाश लेने के लिए जोमेटो में कर्मचारियों को अपना स्टेट्स बलकर एक आंतरिक सिस्टम में लॉगइन करना होता है। कंपनी ने एक ऐसी संस्कृति बनाने की कोशिश की है, जहां माहवारी अवकाश से किसी भी तरह का लांछन ना जोड़ा जा सके। यह नीति सभी लिंग पर लागू होती है, इसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं। “आपको इसके बारे में असहज महसूस नहीं करना चाहिए। यह एक जैविक क्रिया है।”
वह आगे कहती हैं कि इस नीति को लागू करने से बल्कि कंपनी की उत्पादकता में वृद्धि आई है। नीदरलैंड में महिलाओं के सर्वे से पता चला है कि गंभीर माहवारी के लक्षण के बावजूद 81 फ़ीसदी महिलाएं काम पर आई हैं, उन दिनों की संख्या साल में औसतन नौ है। इस दिनों में वे बहुत प्रभावोत्पादक नहीं होतीं।
पाराशर कहती हैं कि जोमेटो में माहवारी अवकाश ने पारदर्शिता और एक ऐसा माहौल बनाने में मदद की है, जहां लोग खुद में सहज और आत्मविश्वास महसूस कर सकते हैं। इसके चलते कंपनी में किसी कर्मचारी द्वारा की जाने वाली नौकरी के औसतन समय में वृद्धि हुई है। फिर इससे महिलाओं की भर्ती करने में भी मदद होती है। 2020 की एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में सिर्फ 16 फ़ीसदी महिलाएं ही श्रमशक्ति का हिस्सा हैं।
पाराशर आगे कहती हैं कि “शायद कुछ लोग माहवारी अवकाश का इस्तेमाल तब करती होंगी, जब वे बहुत बुरा महसूस भी नहीं कर रही होंगी, लेकिन आधिकारिक तौर पर हमारे पास अब तक गलत इस्तेमाल का एक भी मामला नहीं आया है। खैर जो भी हो, इस तरह का गलत उपयोग यहां प्रासंगिक नहीं है। हमें बस यह लगता है कि हम कर्मचारियों को ऐसा माहौल दे पाएं, जिसमें वो अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन कर सकें। चाहे वह मातृत्व अवकाश की बात हो या माहवारी अवकाश, यह सारी चीजें इस माहौल का हिस्सा बन जाती हैं।”
हिटिपेऊ के लिए माहवारी अवकाश “महिलाओं के लिए समर्थन और मान्यता का प्रतीक है।” वे कहती हैं, “कंपनियों या नियोक्ताओं को महिलाओं को अपना काम करने के लिए सशक्त तो करना ही चाहिए, लेकिन उन्हें समाज में भी उनकी भूमिका और एक इंसान, एक महिला व एक मां के तौर पर भी अपने किरदार को निभाने में सक्षम बनाना चाहिए।”
संपादन: एंड्रियास इल्लमर
साभार: डी डब्ल्यू
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