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मेवात किसान महापंचायत: ‘अगर शोभा यात्रा निकली तो हम भी निकालेंगे ट्रैक्टर रैली’

पिछली शोभा यात्रा में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा से पूरे प्रदेश में आपसी सौहार्द बिगड़ गया था, ऐसे में एक बार फिर 28 अगस्त को यात्रा निकालने की बात की जा रही है। किसान नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
Rakesh Tikait protest
फ़ोटो साभार : ट्विटर/@RakeshTikaitBKU

शनिवार, 26 अगस्त, 2023 को राजस्थान के अलवर में एक बड़ी 'किसान महापंचायत' हुई। बीते दिनों मेवात इलाके में धार्मिक सौहार्द ख़राब होने के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस महापंचायत से हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया गया और एकता-भाईचारे पर बात हुई जिसमें देशभर के बड़े किसान नेता समेत हज़ारों की संख्या में लोग एकजुट हुए। इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि "अगर शोभा यात्रा निकली तो किसान भी चार लाख ट्रैक्टर के साथ रैली निकालेंगे और वहां बड़ी पंचायत भी होगी।"

अलवर में आयोजित इस महापंचायत में जहां एक तरफ किसान नेताओं ने भाईचारे की बात करी तो वहीं नूंह हिंसा को लेकर हरियाणा सरकार और विश्व हिंदू परिषद जैसे दक्षिणपंथी संगठनों पर सौहार्द बिगाड़ने के भी आरोप लगाए।

मेवात का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा में है जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी इसके कुछ हिस्से शामिल हैं। जहां मेव मुसलमान रहते है, उस पूरे इलाके को मेवात कहा जाता है। ये पंचायत, मेवात में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के बीच टकराव पैदा करने की कोशिशों के ख़िलाफ़ आयोजित की गई जिसमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से किसान नेता और आम लोग शामिल हुए। इसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मालिक, किसान नेता राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरुनाम सिंह चढूनी, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल, भारतीय किसान यूनियन (भगत सिंह) के अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोरही, भारतीय किसान मज़दूर यूनियन के सुरेश कोथ और मौलाना अरशद समेत कई अहम लोग शामिल हुए।

गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा, "बीजेपी वालों के पास कोई और मुद्दा नहीं है। ये आपस में लोगों को लड़वाना चाहते हैं लेकिन हमें लड़ना नहीं है, हमें अपना भाईचारा बनाए रखना है। यहां कोई हिंदू और मुसलमान नहीं है, सब भाई हैं।"

चढूनी ने वर्तमान सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "इन्होंने आज़ादी के 60 सालों तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया और अब ये तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं।"

मीडिया से बात करते हुए चढूनी ने कहा कि "ये पंचायत सामाजिक भाइचारे के ताने-बाने को बनाए रखने के लिए हुई है। सामाजिक भाईचारा कायम रहे, यही इस महापंचायत का मकसद है।"

भारतीय किसान यूनियन (भगत सिंह) के अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोरही ने कहा, "सैकड़ों साल पहले देश को बचाने के लिए हज़ारों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। आज एक बार फिर आप लोगों पर बड़ी ज़िम्मेदारी है क्योंकि ये लोग (बीजेपी) देश का संविधान तक बदलना चाहते हैं लेकिन हम न भाईचारा टूटने देंगे,न झंडा बदलने देंगे और न ही संविधान बदलने देंगे। इसकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी आप लोगों पर है क्योंकि मेवात के लोगों ने देश की आज़ादी में बहुत ज़्यादा कुर्बानी दी है और आज जो खुद को राष्ट्रवादी बोल रहे हैं वो अंग्रेज़ों के साथ थे।"

इसके अलावा मोरही ने अपने बयान में कहा, "धर्म जाति की बेड़ियां तोड़ कर अपने किसान भाईयों का हाथ थामिए, अपने सदभाव से सांप्रदायिक नफ़रत और विभाजनकारी ताकतों को हराने का काम करिए।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा, "केंद्र सरकार किसानी को ख़त्म करना चाहती है। इसलिए तरह-तरह के कानून लाए जा रहे हैं। नूंह दंगे के बाद से हरियाणा पुलिस बेकसूर लोगों को गिरफ़्तार कर रही है, बदले की भावना से उनकी दुकानें और मकान गिराए जा रहे हैं।"

महापंचायत के दौरान मलिक ने पुलवामा हमले को लेकर भी कई सवाल उठाए। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा उन्होंने दोनों समुदायों के लोगों से मिलकर रहने की अपील की।

किसान नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा, "अगर हरियाणा सरकार 28 अगस्त को नूंह में ब्रजमंडल यात्रा निकालने की मंज़ूरी देती है तो हम भी ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। ये बीजेपी वाले पूछते हैं कि कहा हैं चार लाख ट्रैक्टर? तो वे सुन लें कि चार लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग भी यही हैं।"

टिकैत ने कहा कि "ये देश कौमी एकता, सद्भाव और भाईचारे का देश है। वे भाईचारा तोड़ने की बात करेंगे, हम भाईचारा जोड़ने की बात करेंगे। देश की तरक्की के लिए ज़रूरी है कि स्कूल-कॉलेज व अस्पताल खोलो, युवाओं को रोज़गार दो।"

इसके अलावा टिकैत ने कहा कि "देश को कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं बचा सकती है। अगर कोई बचाएगा तो आंदोलन ही बचाएगा। आंदोलन में किसान, मज़दूर, बेरोज़गार, पीड़ित, शोषित सब हिस्सा लेंगे, तभी सरकारें झुकेंगी। देश के राजा की तो पॉलिसी है जनता को लड़ाओ और शासन करो।"

महापंचायत में किसान नेता टिकैत अपील करते हुए कहते हैं, "अपने बच्चों को पढ़ाओ, रोज़गार और काम पर लगाओ, दंगो में मत भेजो। हम सब हिंदू हैं। हिंदू दो तरह के हैं, एक तो वे जो नागपुर से चलते हैं और दूसरे हम भारतीय हिंदू हैं जो कभी लड़ते नहीं हैं, भाईचारे से रहते हैं।"

आपको बता दें कि ये महापंचायत संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एक ऐसे वक़्त पर आयोजित की गई जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल 28 अगस्त को एक बार फिर नूंह में शोभा यात्रा निकालने की बात कर रहे हैं जबकि इसी तरह की एक यात्रा में 31 जुलाई को जिस तरह से हिंसा हुई और उसने प्रदेश के कई हिस्सों में दंगे और धार्मिक उन्माद को बढ़ाया था। इस हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग ज़ख़्मी हुए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश में एक तनावपूर्ण माहौल बन गया था। हालांकि पुलिस प्रशासन ने किसी को भी 28 अगस्त को कोई यात्रा निकालने की अनुमिति नहीं दी है। पूरे ज़िले में धारा 144 लगी हुई है। इन सबके बाद भी विश्व हिंदू परिषद अड़ा हुआ है कि वो यात्रा निकालेगा।"

पिछली यात्रा के दौरान और बाद में जिस तरह से पूरे प्रदेश में नफ़रत बढ़ी और अनियंत्रित हिंसा हुई, ऐसे में फिर से यात्रा के ऐलान पर कई लोगों ने चिंता जताई है। पिछली हिंसा के बाद नफ़रती बयानबाज़ी हुई, इसके अलावा एक वर्ग ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की भी बात की थी। ऐसे में दोबारा इस तरह की यात्रा को लेकर प्रशासन से लेकर आम लोग भी सचेत हैं। प्रशासन ने इसके तहत पूरी व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा किया है। नूंह में हर गाड़ी को चेक किया जा रहा है, सभी मुख्य सड़कों पर पुलिस के जवान तैनात हैं। किसी भी बाहरी व्यक्ति की एंट्री इतनी आसान नहीं है। यात्रा की अनुमति नहीं है हालांकि विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के बयान में यात्रा को लेकर जो विश्वास दिख रहा है, ऐसे में 28 अगस्त का दिन प्रशासन के लिए काफ़ी चुनौती भरा हो सकता है।

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