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सूडान में लगातार हो रही नस्लीय हत्या के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन

ट्रांजिशनल सरकार में प्रमुख पद प्राप्त करने वाले उमर अल-बशीर सरकार के लोगों ने कुख्यात मिलिशिया को ख़त्म करने में अड़ंगा लगा दिया।
सूडान

दक्षिण दारफुर प्रांत से संबंध रखने वाले सूडान की राजधानी खार्तूम के निवासियों ने सोमवार 10 अगस्त को ट्रांजिशनल सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया।

दारफुर के लोगों की रक्षा करने में ट्रांजिशनल सरकार की विफलता के ख़िलाफ़ ये विरोध प्रदर्शन किया गया था। सरकार से संबद्ध मिलिशिया द्वारा हाल में किए गए कई हमलों के कारण इस क्षेत्र में कई लोग मारे गए और हज़ारों लोग विस्थापित हो गए हैं।

प्रधानमंत्री अब्दल्ला हमदोक के कार्यालय को सौंपे गए एक ज्ञापन में प्रदर्शनकारियों ने इस क्षेत्र में मिलिशिया के निरस्त्रीकरण और विस्थापितों के लिए राहत की मांग की। उमर अल-बशीर के बेदखल सरकार में इस क्षेत्र में मिलिशिया परवान चढ़ा था। उन्होंने ज़ोर दिया कि यह महत्वपूर्ण है कि कृषि के मौसम की शुरुआत में इस क्षेत्र में शांति बहाल की जाए।

इन प्रदर्शनकारी ने इसके अलावा "राजनीतिक क़ैदियों" की रिहाई की मांग की है जिनमें ज़्यादातर नागरिक जो प्रतिरोध समितियों का हिस्सा हैं जो कि स्थानीय स्तर पर संगठित होते हैं। इसने दिसंबर 2018 में शुरू होने वाले बड़े पैमाने पर विद्रोह को लेकर आधार तैयार किया था।

इन प्रतिरोध समितियों के सदस्यों को हिंसक झड़पों के बाद रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) द्वारा 29 जुलाई के बाद से कार्रवाई करते हुए गिरफ़्तार किया गया है।

आरएसएफ एक मिलिशिया है जो कि उमर अल-बशीर की अगुवाई में पूर्ववर्ती सरकार के अधीन जनजावीद अरब के आदिवासियों द्वारा तैयार किया गया। दारफुर और अन्य क्षेत्रों में नस्लीय हत्या करने के लिए इस मिलिशिया का इस्तेमाल किया गया था जहां बड़े पैमाने पर ग़ैर-अरब समूहों ने उनके नेतृत्व में तत्कालीन इस्लामवादी सरकार के अधीन आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव के ख़िलाफ़ विद्रोह करने के लिए संगठित किया था।

महीनों के निरंतर विरोध के बाद बशीर को बेदखल कर दिया गया है और नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों सहित आरोपों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) में मुकदमा चल रहा है।

सत्ता-साझा करने के समझौते के आधार पर बनी ट्रांजिशनल सरकार डिक्लेयरेशन ऑफ फ्रीडम एंड चेंज फोर्सेस (डीएफसीएफ) के बीच एक समझौते के रूप में गठित हुई। विरोध आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाला ये राजनीतिक गठबंधन जिसने बशीर को बाहर कर दिया। मिलिट्री जुंटा ने जिसने उनके निष्कासन के बाद कुछ समय के लिए सत्ता हासिल किया था उसने सशस्त्र विद्रोही समूहों से संपर्क किया और शांति वार्ता की शुरुआत की जो दिसंबर 2019 के बाद से अनिश्चित रूप से जारी है। हालांकि, पूर्ववर्ती सरकार के लोग वर्तमान सरकार में पदासीन हैं। वे कुछ स्पष्ट और मूल नियमों को लागू करना चाहते हैं जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण आरएसएफ का निरस्त्रीकरण है।

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