पुणे रासायनिक संयंत्र अग्निकांड : कंपनी के मालिक के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज
महाराष्ट्र: पुणे जिले के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक रासायनिक संयंत्र में सोमवार को लगी भीषण आग में 17 कामगारों की मौत के एक दिन बाद मंगलवार को कंपनी के मालिकों में से एक के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि संयंत्र में अग्नि सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज किया गया था।
बीते कुछ सालों में औद्योगिक हादसों में तेज़ी देखी जा रही है। वर्कर्स यूनिटी की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता अजीत कुमार का कहना है कि ‘फ़ैक्ट्री मालिकों को खुली छूट देने का ये परिणाम है।’
वो कहते हैं कि ‘कंपनियों में अब सेफ़्टी को लेकर कोई जांच पड़ताल नहीं होती और ये मैनेजमेंट के ऊपर है कि वो इसे कराता है या नहीं। जबकि कंपनियां जांच पड़ताल या मरम्मत करने पर होने वाले खर्च को बचाने के लिए मशीनों, कलपुर्ज़ों, बॉयलर तक की मरम्मत और देखरेख नहीं कराती हैं, जिससे हादसों में बहुत इजाफ़ा हुआ है।
पुलिस अधीक्षक (पुणे, देहात) अभिनव देशमुख ने कहा कि ‘एसवीएस एक्वा टेक्नोलॉजीज’ के मालिकों में से एक निकुंज शाह के खिलाफ पौड पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) का मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को शाह को पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया गया।
अधिकारी ने कहा कि उप संभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) संदेश शिर्के के नेतृत्व में समिति द्वारा की गई जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मुकदमा दर्ज किया गया। शुरुआती जांच में सामने आया है कि कंपनी ने अग्नि सुरक्षा और भवन अनुमति नियमों का पालन नहीं किया।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि संयंत्र में आपातकालीन स्थिति में निकलने के लिए खुला स्थान या आपातकालीन दरवाजा नहीं था। कुछ श्रमिकों के मुताबिक, जिस हिस्से में आग आग लगी, वहां के दरवाजे लॉक हो गए और स्थानीय लोगों ने जेसीबी की मदद से दीवार तोड़कर फंसे लोगों को बचाया।
आग लगने के कारणों के बारे में पुलिस अधीक्षक देशमुख ने कहा कि ‘क्लोरीन डायऑक्साइड’ के उत्पादन में उपयोग होने वाली सामग्री ज्वलनशील होती है। ऐसे में घर्षण के कारण गर्मी या चिंगारी उठना आग भड़कने का कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि कई चश्मदीदों ने घर्षण या चिंगारी उठने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि फोरेंसिक विशेषज्ञों ने रसायन के नमूने एकत्र किए हैं और जांच के बाद पता चलेगा कि किस तरह की रासायनिक प्रक्रिया हुई। कंपनी द्वारा सेनेटाइजर बनाए जाने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं लगता है क्योंकि कम मात्रा में सेनेटाइजर पाया गया है जिसका उपयोग कर्मचारियों के लिए हो सकता है।
मुलशी संभाग के उप संभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) संदेश शिर्के ने सोमवार को बताया था कि परिसर से 18 शव बरामद किए गए हैं, जबकि पुलिस अधीक्षक अभिनव देशमुख ने बताया कि 17 शव बरामद हुए हैं, जो पूरी तरह जल चुके थे और एक शरीर का अंग तलाश अभियान के दौरान बरामद हुआ।
देशमुख ने कहा, ‘‘ हमें संदेह है कि यह शरीर का अंग 17 मृतकों में से किसी एक का हो सकता है। इसलिए हम अभी मृतक संख्या 17 ही मान कर चल रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि कंपनी अधिकारियों के अनुसार, ये वे 17 कर्मचारी हैं, जो घटना के समय मौके पर मौजूद थे।
गौरतलब है कि ‘एसवीएस एक्वा टेक्नोलॉजीज’ के संयंत्र में सोमवार को आग लग गई थी, जिसमें ‘क्लोरीन डायऑक्साइड’ का उत्पादन होता है। यह संयंत्र पुणे शहर के पास मुलशी तहसील के पिरगुंट इलाके में है। अंधेरा होने और आग से गर्मी अधिक बढ़ने के कारण सोमवार की रात तलाश अभियान रोक दिया गया था। दमकल विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को सुबह एक बार फिर बचाव अभियान शुरू किया। विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मंगलवार को सुबह हमने एक बार फिर तलाश अभियान शुरू किया, ताकि मलबे में कोई फंसा हो तो उसका पता लगाया जा सके।
वहीं, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने आग लगने के उचित कारण का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने का भी ऐलान किया है।
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे की फैक्टरी में कामगारों की मौत पर दुख जताया था और मृतकों के परिजन को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने इस घटना में घायल हुए लोगों को 50 हजार रुपये देने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर कहा, ‘‘महाराष्ट्र के पुणे में एक औद्योगिक इकाई में आग लगने से मरने वालों के परिजन को प्रधानमंत्री ने पीएमएनआरएफ के दो लाख रुपये देने की घोषणा की है। घायल लोगों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे।’’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )
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