न्यायालय ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के ख़िलाफ़ दलीलें रखने वाले व्याख्याता के निलंबन पर सवाल उठाए
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जम्मू कश्मीर के शिक्षा विभाग के व्याख्याता के निलंबन के मुद्दे पर गौर करने को कहा जिन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने से जुड़े मामले में शीर्ष न्यायालय में दलीलें रखी थीं।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने जहूर अहमद भट के निलंबन पर संज्ञान लिया जिन्होंने मामले में याचिकाकर्ता के रूप में 24 अगस्त को शीर्ष न्यायालय में दलीलें रखी थीं।
Supreme Court asks Attorney General R Venkataramani to talk to the Lieutenant Governor of Jammu and Kashmir, Manoj Sinha on the suspension of Zahoor Ahmad Bhat, a teacher, for allegedly appearing in person before the apex court and arguing against Abrogation of Article 370. pic.twitter.com/g9j6vRuBtp
— ANI (@ANI) August 28, 2023
पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल रहे।
न्यायालय ने जैसे ही इस मामले पर सुनवाई शुरू की तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा कि भट को शीर्ष न्यायालय में बहस करने के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नौकरी से निलंबित कर दिया है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘उन्होंने दो दिन की छुट्टी ली थी। इस अदालत में दलीलें रखी थीं और वापस चले गए थे । उन्हें निलंबित कर दिया गया।’’
पीठ ने वेंकटरमणी से जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल से बात करने और मामले पर गौर करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘यह नहीं होना चाहिए। इस अदालत में बहस कर रहे व्यक्ति को निलंबित कर दिया जाता है...।’’
इस पर वेंकटरमणी ने जवाब दिया कि वह मामले पर विचार करेंगे।
मेहता ने कहा कि एक अखबार में भट के निलंबन की खबर प्रकाशित होने के बाद उन्होंने प्रशासन से इसकी पुष्टि की तथा उन्हें बताया गया कि व्याख्याता के निलंबन के पीछे कई वजह हैं जिनमें उनका आए दिन विभिन्न अदालतों में याचिकाएं दायर करना भी शामिल है।
मेहता ने कहा, ‘‘हम उनके निलंबन से जुड़ी सभी सामग्री अदालत के समक्ष पेश कर सकते हैं।’’
सिब्बल ने इस पर कहा, ‘‘फिर उन्हें पहले ही निलंबित कर दिया जाना चाहिए था, अब क्यों। मेरे पास भट का निलंबन आदेश है और इसमें कहा गया है कि उन्होंने इस अदालत के समक्ष दलीलें रखी और इसलिए निलंबित किया गया है। यह उचित नहीं है। लोकतंत्र इस तरीके से नहीं चलना चाहिए।’’
पीठ ने कहा कि अगर अन्य कारण है तो फिर यह दूसरा मामला है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इस अदालत में दलीलें रखने के कारण निलंबित कर दिया जाता है तो इस पर गौर करने की जरूरत है।
मेहता ने कहा कि वह मानते हैं कि निलंबन का समय उचित नहीं है और वह इस पर गौर करेंगे।
भट 24 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उच्चतम न्यायालय में पेश हुए थे तथा उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के केंद्र के पांच अगस्त 2019 के फैसले के खिलाफ दलील दी थी।
एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, वरिष्ठ व्याख्याता जहूर अहमद भट को तैनाती के स्थान श्रीनगर से हटा दिया गया है और उन्हें निदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय, जम्मू से संबद्ध किया गया है। आदेश के अनुसार, उनके आचरण की गहन जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है।
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आलोक कुमार ने एक आदेश में कहा,‘‘ आचरण के संबंध में लंबित जांच को देखते हुए वर्तमान में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जवाहर नगर, श्रीनगर में तैनात राजनीति विज्ञान में वरिष्ठ व्याख्याता ज़हूर अहमद भट को जम्मू-कश्मीर सीएसआर, जम्मू एवं कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम 1971 आदि के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
निलंबन की अवधि के दौरान वह निदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय, जम्मू में संबद्ध रहेंगे।
शुक्रवार को जारी आदेश के अनुसार, ‘‘यह आदेश दिया जाता है कि सुबाह मेहता, संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा, जम्मू को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो अधिकारी के आचरण की गहन जांच करेंगी।’’
भट मध्य कश्मीर के बडगाम जिले से हैं। उनके पास कानून की डिग्री भी है, वह व्यक्तिगत रूप से उच्चतम न्यायालय में पेश हुए थे। उच्चतम न्यायालय में वर्तमान में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और जम्मू कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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