मध्य प्रदेश के एक गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक किसी को नहीं मिला आवास
मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेेत्र में 32 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। जिसमेें तकरीबन 26 लाख से ज्यादा यानी 81.4 प्रतिशत घरों को स्वीेकृति मिली। वहीं अब तक निर्माण 19 लाख से ज्यादा यानी 60.5 प्रतिशत घरों का हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना 25 जून 2015 को प्रारंभ की गयी थी। जिसका लक्ष्य झुग्गी-झोपड़ियों या कच्चे घरों में रहने वाले मुफ़लिस लोगों के लिए किफ़ायती पक्का घर निर्मित करवाना है।
ऐसे में यदि हम आवास योजना को लेकर पीएम मोदी की मुंह ज़ुबानी का ज़िक्र करें तो उन्होनें 2019 के आम चुनाव से पहले एक संबोधन में कहा था कि 2022 आने तक किसी भी गरीब का कच्चा घर नहीं होगा। वहीं 2021 के अंत में मध्यप्रदेश के रीवा से भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा तो आवास योजना को लेकर पीएम मोदी की वाहवाही में यह तक कह चुके है कि ’’मोदी जी एक बार अपनी दाढ़ी झटकते है तो 50 लाख घर गिरते है, दोबारा दाढ़ी हिलाते है तब 1 करोड़ घर निकलते है’’ आगे उन्होनें कहा था कि जब तक विधायक कहेगें, तब तक दाढ़ी से घर झड़ते रहेगें।
लेकिन आवास योजना की धरातलीय हक़ीक़त कुछ और ही बयां करती है। जिस गरीब वर्ग के लिए आवास योजना लायी गयी, वही गरीब वर्ग आवास योजना से आज तक वंचित भी है। जब हम मध्यप्रदेश के सागर जिले में आवास योजना की स्थिति का मुआयना करने सागर से 25 किमी दूर पर स्थित गांव बिहारीखेड़ा पहुंचे। जहां की आबादी लगभग 3000 हजार है। तब वहां हमने गांव वालों से मुलाकात की और उनका हालचाल पूछते हुये आवास आवास योजना पर बात की।
हमने सवाल किया कि गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ कितने लोगों को मिला है? तब वहां उपस्थित होशियार सिंह सहित कुछ मजदूर कहते हैं कि गांव में आवास योजना का लोगों ने सिर्फ नाम ही सुना है, मगर गांव के एक भी व्यक्ति को आवास योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है।
तब हमने पूछा कि आप लोगों को आवास योजना का लाभ क्यों नहीं मिला, सरकार तो शहरों और गांवों में आवास योजना के तहत गरीब लोगों को घर दे रही है? तब होशियार सिंह कहते है कि गांव वाले सरपंच, सचिव से आवास योजना को लेकर बात करते है। लेकिन वह कहते है कि पोर्टल बंद है, इसलिए आवास योजना के तहत किसी की कुटी नहीं निकल सकती है।
फिर हमने सवाल किया कि आवास योजना का पोर्टल कब से और क्यों बंद है, क्या आस-पास के गांव में भी आवास योजना का पोर्टल बंद है? तब वहां मौजूद गांव के पंच कंछेदी जबाव देते हुए कहते है कि वर्ष 2011 में आवास योजना को लेकर सर्वे हुआ था, जिसके तहत एक लिस्ट तैयार की गयी थी। वह लिस्ट जैसे ही उस समय के सरपंच, सचिव के पास पहुंचीं तब उन्होनें उसमें आग लगा दी। तब से लेकर गांव में आज तक आवास योजना का पोर्टल बंद है। जिससे इस गांव में एक भी व्यक्ति का पीएम आवास के तहत घर नहीं बना। जबकि पास के गांव उदयपुरा में हर साल आवास योजना से लोगों के घर बनते हैं।
इसके बाद हमने प्रश्न किया कि क्या आप लागों ने आवास योजना पोर्टल खुलवाने का प्रयास नहीं किया? तब कंछेदी कहते है कि हम गांव की महिलाओं और पुरुषों को लेकर सुरखी विधानसभा के (विधायक/ राजस्व एंव परिवहन मंत्री, मप्र) गोविंद सिंह राजपूत के पास गये थे। जब सभी ने उनके सामने आवास योजना पोर्टल खुलवाने का प्रस्ताव रखा। तब उन्होनें कहा था कि ‘’आप लोग चिंता न करें मेरी एक लात से आवास योजना पोर्टल यूं खुल जायेगा’’ लेकिन पोर्टल है कि अभी तक नहीं खुला।
कंछेदी आगे बताते है कि इसके बाद हमारे गांव के लोग जिला कलेक्टर सागर गये। वहां कलेक्टर साहब को आवास योजना पोर्टल खुलवाने के संबंध में ज्ञापन सौंपा। तब हम लोगों को आश्वासन मिला कि 15 दिन के अंदर आवास योजना का पोर्टल खुल जायेगा। लेकिन पोर्टल फिर भी नहीं खुला। इसके बाद एक बार फिर हम लोग कलेक्टर के दफ़्तर गये। मगर आवास योजना पोर्टल खोले जाने को लेकर आज की तारीख़ तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इसके उपरांत हमने सवाल किया कि सरकार आपके गांव में आवास योजना पोर्टल चालू करने के लिए कोई पुख़्ता कदम क्यों नहीं उठा रही है? तब जगदीश इसका जबाव देतेे हुए कहते है कि हमारे गांव में ज्यादातर जनसंख्या दलित और आदिवासी समुदाय की है। जो सदियों से दबा और पिछड़ा समाज है। ऐसे वर्ग के लिए आवास योजना पोर्टल खुलवाने की सरकार और प्रशासन की मंशा ही नहीं है। न ही इस गांव में मंत्री और नेता हमारी दशा देखने आतेे है। बस उनके प्रतिनिधि अपना उल्लू सीधा करने चुनाव के समय चले आते है।
आगे हमने गांव की कुछ महिलाओं से आवास योजना को लेकर मुलाकात करते हुए बात की। ताकि पता चले की उनका नजरिया आवास योजना को लेकर क्या है? जब हमने सवाल किया आपको आवास योजना के तहत घर क्यों दिया जाना चाहिए? तब वहां मौैजूद रीना कहती है कि हम सभी के कच्चे घर है, जिनकी हालत ठीक नहीं हैै। इसलिए आवास योजना के तहत हमें घर मिलना चाहिए। फिर हमने सवाल पूछा कि कच्चे घरों में आपको रहने में क्या परेशानियां होती है? तब रीना कहती है कि गांव मेें कच्चे घर होने से बरसात के मौसम में किसी के घर का छप्पर गिर जाता है, तो किसी के घर की दीवार गिर जाती है। ऐसे में हमें दूसरों के घरों में कुछ समय रहना पड़ता है। आगे पूजा इसी सवाल के जबाव में कहती है कि हमारे घरों की दीवारे इतनी ख़स्ता हो गयी है कि कोई दम भर की लात मार दे तो भरभराते हुए गिर जायेगीं।
इसके बाद हमने पास के गांव खांड की महरानी से आवास योजना के बारे में बात की। जो बिहारीखेड़ा गांव रिश्तेदारी में आयीं थी। हमने पूछा कि क्या आपके गांव में आवास योजना के तहत कुटी निकल रही है और क्या आपको सरकारी कुटी मिली? तब वह कहती है कि हां गांव में लोगों की आवास योजना के तहत कुटी बनवायी गयी हैै। और ऐसे-ऐसे लोगों की भी कुटी बनवायी गयी है जिनकी पहले से बिल्डिंग बनी हुयी है। लेकिन हमारी अभी तक सरकारी कुटी नहीं बनवायी गयी। आगे वह कहती है कि बरसात के दिनों में हमारे घर के छप्पर से पानी घर के भीतर आ जाता है। ऐसे में हम रात को पानी गिरते समय सो नहीं पाते है। जैसे-तैसे घर के छप्पर पर बरसाती डाल कर काम चलाना पड़ता है। फिर वह कहती है कि जब हम सरपंच, सचिव के पास जाते है और कहते है कि हमारा कच्चा घर है। हमारी कुटी कब आयेगी? तब सरपंच, सचिव कहते है कि आ जायेगी। अभी तुम्हारा लिस्ट में नाम नहीं आया।
आगे हमने स्वच्छता मिशन के तहत देश मेें बन रहे शौचालयों को लेकर महिलाओं से बात की और सवाल पूछा कि सरकार द्वारा किस-किस का शौचालय बनवाया गया है? तब आरती कहती है कि गांव में सरकार द्वारा एक भी जन का शौचालय नहीं बनवाया गया है। फिर वह कहती है कि गांव में ज्यादातर लोग खुले में ही शौच के लिए जाते है।
फिर जब हमने पूछा कि सरकारी शौचालय के निर्माण को लेकर क्या आपने गांव के सरपंच से बात की? तब आरती बताती है कि हम लोगों ने कई दफ़ा सरपंच से शौचालय के निर्माण की बात की है। लेकिन वह कहते है कि हम कुछ नहीं कर सकते है। सरकारी शौचालयों का निर्माण कार्य आगे से रुका हुआ है।
जब हम गांव के भीतर से होते हुए दूसरे छोर पर पहुचें तब वहां हमें तम्बाकू चबाते हुए अरुण दिखे और कुछ युवा बतियाते हुए नजर आए।जब हम उनसे मिले और सरकार द्वारा शौचालय निर्माण के संबंध में सवाल पूछा? तब सभी का पुनः वही जबाव आया कि प्रशासन की तरफ से रोक लगी। जिसकी वजह से गांव में अब तक एक भी व्यक्ति का सरकार द्वारा शौचालय नहीं बनवाया गया।
आगे हमने प्रश्न किया कि आप लोगों को सरकार की कौन-कौन सी योजनाओं का लाभ मिल रहा है? तब अरुण कहते है कि हम लोगों को सरकारी राशन के अलावा और किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता। इसी सवाल के संबंध में आगे लखन कहते है कि सरकार ने योजनाओं के लिए हम लोगों के जॉब कार्ड से लेकर श्रम कार्ड जैसे अन्य कई कार्ड पैसे लेकर बनवाए है। लेकिन ज्यादातर कार्ड सिर्फ देखने के लिए है। इन कार्ड पर न तो किसी सरकारी योेजना का लाभ मिलता है, और न कहीं काम आते है। इसके बाद लखन कहते है कि हम लोगों के लिए महीने में 10-15 दिन काम मिलता है। जिसमें 150 रुपये दिहाड़ी मिलती है। जिससे जैसे-तैसे रोजी चलती है। ऐसे में कागजात बनवाते-बनवाते सरकार हमको लूटती जा रही है।
ध्यातव्य है कि एक ओर बिहारीखेड़ा जैसे गांव जहां ग्रामवासियों के मुताबिक 1000 से ज्यादा घर है जो अधिकांशतः कच्चे और बदहाल है। ऐसे में समग्र गांव आवास योजना से महरूम है। तो वहीं दूसरी ओर आवास योजना को लेकर मार्च 2021 में सीबीआई द्वारा 14000 करोड़ के घोटाले का भंडाफोड और जनवरी 2022 में बिहार के लखीरसहाय में लगभग 959 लोगों के नाम आवास योजना सूची से हटाए जाने जैसे भ्रष्टाचार की खबरें सुर्खियों में आती है। देश में सरकार अब तक ग्रामीण पीएम आवास योजना पर 1 लाख 97 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। ऐसे में पीएम आवास योजना के तहत नवंबर 2021 तक 1 करोड़ 65 लाख आवास बनाए जा चुके है। वहीं बजट 2022-23 में पीएम आवास के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए है। जिसमें 80 लाख सस्ते मकान बनाकर तैयार किये जाने है। ऐसे में यह सवाल होना लाज़िमी है कि आवास योजना को लेकर सरकार इतना कुछ कर रही है। लेकिन उसके बावजूद बिहारीखेड़ा जैसे ना जाने कितने गांव आज भी आवास योजना से वंचित क्यों है? प्रशासन और सरकार ऐसेे गांव को आवास सहित अन्य योजनाओं का लाभ देने लिए कोई कारगर कदम क्यों नहीं उठाती?
(सतीश भारतीय स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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