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‘कुछ पश्चिमी मीडिया’ ने कोविड-19 कवरेज में पूर्वाग्रह दिखाया : चीन

सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेली’ के एक संपादकीय में यह रेखांकित किया गया है कि इसे चीन का “अनुकूलन और नियंत्रण उपाय” कहा जाता है। इसमें मीडिया प्रतिष्ठानों द्वारा खबरों की यह कहते हुए आलोचना की गई है कि वे उन खबरों की “पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण प्रचार, कीचड़ उछालने और गुप्त उद्देश्यों के साथ राजनीतिक हेरफेर” करने वाले समाचार के तौर पर पहचान करने में विफल रहीं।
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फ़ोटो साभार: एपी

बीजिंग: चीन ने अपनी “शून्य कोविड” नीति को अचानक खत्म किए जाने को लेकर बृहस्पतिवार को “कुछ पश्चिमी मीडिया” पर पक्षपात, कीचड़ उछालने और राजनीतिक जोड़-तोड़ का आरोप लगाया।

चीन ने रणनीति में बदलाव की तैयारी के लिए की गई कार्रवाइयों का जोरदार बचाव किया।

सामूहिक परीक्षण और पृथकवास को समाप्त करने के लिए दिसंबर में उठाए गए कदम से मामलों में तेजी से वृद्धि हुई। अस्पतालों और श्मशानों में पीड़ितों की भीड़ देखने को मिली थी।

सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेली’ के एक संपादकीय में यह रेखांकित किया गया है कि इसे चीन का “अनुकूलन और नियंत्रण उपाय” कहा जाता है। इसमें मीडिया प्रतिष्ठानों द्वारा खबरों की यह कहते हुए आलोचना की गई है कि वे उन खबरों की “पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण प्रचार, कीचड़ उछालने और गुप्त उद्देश्यों के साथ राजनीतिक हेरफेर” करने वाले समाचार के तौर पर पहचान करने में विफल रहीं।

नए मामलों की शुरुआती लहर के बाद से, चीन के अधिकांश हिस्सों में जीवन काफी हद तक सामान्य हो गया है। अधिकारियों ने हालांकि ‘लूनर न्यू ईयर’ के मौके पर यात्रा करने वालों की भीड़ के मद्देनजर ग्रामीण इलाकों में वायरस के और प्रसार को लेकर चिंता व्यक्त की है।

संपादकीय में कहा गया कि इसके बावजूद कई इलाके “महामारी के चरम को पार कर चुके हैं, और उत्पादन और जीवन सामान्य होने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।”

“शून्य कोविड” रणनीति संक्रमण के हर मामले का पता लगाने और पृथकवास पर जोर देती है। यह उन लोगों को भी पृथकवास में रखने की मांग करती है जो संक्रमितों के साथ किसी भी रूप में संपर्क में आए थे। इस नीति के चलते शंघाई जैसे शहरों में लाखों लोगों को दो महीने या उससे अधिक समय के लिए अपने घरों में पृथकवास में रहना पड़ा और उनमें से कई को भोजन की कमी व स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच न होने के हालात का सामना करना पड़ा।

चीन ने दृढ़ता से नीति का बचाव किया लेकिन आर्थिक दबाव और बीजिंग व अन्य प्रमुख शहरों में सत्ताधारी पार्टी और उसके नेता शी चिनफिंग की निंदा करते हुए किए गए विरोध प्रदर्शनों के बाद इसे खत्म करना शुरू कर दिया।

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