सुगौली विस्फोट कांड : कौन है ज़िम्मेदार? बेख़बर है सरकार!
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी 22 नवंबर को भाकपा माले विधायकों ने ‘शोक प्रस्ताव‘ सत्र में सुगौली में मिड-डे-मील योजना का खाना बनाते समय बॉयलर में हुए विस्फोट से मारे गए चार रसोइयों की मौत पर शोक व्यक्त करने का मामला उठाया। बाद में सदन से बाहर इस कांड की ज़िम्मेदार अधिकारियों की संवेदनहीनता व लापरवाही को लेकर पोस्टर के साथ विरोध जताया।
बता दें कि 16 नवंबर को पूर्वी चंपारण स्थित सुगौली में मिड डे मील की भोजन आपूर्ति करनेवाली एनजीओ ‘नव प्रयास ’ के किचेन में खाना बनाने वाले बॉयलर में हुए भीषण विस्फोट कांड ने राज्य की नीतीश – भाजपा सरकार की लचर व्यवस्था को फिर से उजागर कर दिया। साथ ही मुजफ्फरपुर बालिका यौन शोषण कांड की तरह इस मामले में भी शिक्षा विभाग के निकम्मेपन को सामने ला दिया। सुबह साढ़े चार बजे खाना बनाते समय बॉयलर में अचानक इतना भीषण विस्फोट हुआ कि वहां काम कर रहे 13 मजदूरों में से चार मजदूरों के मौके पर ही मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए।
विस्फोट इतना भयानक था कि कई टन का भारी बॉयलर और किचेन परिसर तो उड़ ही गया, साथ ही इसकी चपेट में आए मजदूरों के शरीर के अंग आस पास के घरों में जाकर गिरे। शोर सुनकर वहां पहुंचे ग्रामीणों ने सभी घायलों को आनन फानन में पास के अस्पताल भर्ती कराया। इनमें से एक और मजदूर की मौत रास्ते में ही हो गयी। बाद में पुलिस भी पहुंची लेकिन स्थानीय प्रशासन अथवा संबंधित विभाग के किसी भी प्रतिनिधि ने वहां पहुंचने की जहमत नहीं उठाई ।
17 नवंबर को भाकपा माले विधायक सत्यदेव राम और पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा के नेतृत्व में वहां गयी विशेष जांच टीम द्वारा छानबीन के बाद प्रेस वार्ता कर रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें दिल दहला देने वाले इस घटना के लिए राज्य सरकार – शिक्षा विभाग के साथ साथ स्थानीय प्रशासन और मिड डे मील का टेंडर लेनेवाले एनजीओ को ज़िम्मेदार बताया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि सुगौली के स्थानीय भाजपा नेता के अनाज के गोदाम परिसर में मिड डे मील बनाने का ठेका लेने वाले एनजीओ नव प्रयास का कुकिंग सेंटर चलता था। जिसका उद्घाटन 16 अक्टूबर को ज़िला शिक्षा पदाधिकारी और बीडीओ द्वारा हुआ था।
नव प्रयास एनजीओ को सरकार से 57 स्कूलों के 1100 बच्चों को खाना पहुंचाने का ठेका मिला हुआ था। सुगौली स्थित संस्था के परिसर में ही मिड डे मील का खाना कोयले से चलने वाले बड़े बॉयलर से बनाया जाता था। बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के इतने बड़े बॉयलर का इस्तेमाल किया जा रहा था। जांच टीम ने खुद देखा और पूछताछ की तो पाया कि वहां काम के सभी सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़कर काम हो रहा था। यह सब स्थानीय प्रशासन और ज़िला शिक्षा विभाग की मीलीभगत से हो रहा था। जिस बॉयलर में कोयला झोंककर स्टीम तैयार कर खाना पकाया जाता था उसमें तापमान मापने का कोई यंत्र भी नहीं लगा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वहां काम कर रहे 6 से ज़्यादा मजदूर मारे गए हैं लेकिन प्रशासन कई मज़दूरों को लापता बताकर मामले पर पर्दा डाल रहा है। इसलिए स्थानीय प्रशासन, शिक्षा विभाग और नव प्रयास एनजीओ पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
जेएनयू में चल रहे छात्रों के आंदोलन को लेकर त्वरित ट्वीट कर देशविरोधी बतानेवाले प्रदेश के उप मुख्यमंत्री इस वीभत्स कांड पर कुछ नहीं बोल रहे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री भी खामोश हैं। विस्फोट कांड के घायलों से मिलने गयी अस्पताल जांच टीम को घायलों के परिजनों ने बताया कि वे कर्ज लेकर किसी तरह से इलाज़ करा रहें हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक न तो नवप्रभात एनजीओ और प्रशासन कोई ख़बर लेने आया है और न ही कोई मदद मिली है। हालांकि पुलिस ने बॉयलर संचालक नव प्रयास एनजीओ के अध्यक्ष समेत अन्य चार के खिलाफ केस तो दर्ज़ कर लिया लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं करके दोषियों को बचने का पूरा मौका दे रही है ।
सुगौली विस्फोट कांड के शिकार रसोईया कर्मियों के परिजनों के इंसाफ तथा मिड डे मील व्यवस्था के निजीकरण के खिलाफ 19 नवंबर को बिहार विद्यालय रसोईया संघ ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी पटना स्थित मध्याह्न भोजन योजना समिति कार्यालय के समक्ष संघ के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मिड डे मील व्यवस्था को निजी संस्थाओं को देना बंद कर फिर स्कूलों को देने की मांग की। साथ ही सुगौली कांड के शिकार रसोइयों व परिजनों को अविलंब पूरा मुआवजा व आश्रितों को नौकरी देने की भी मांग की।
सुगौली गयी माले जांच टीम ने विस्फोट कांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कर दोषियों को अविलंब कार्रवाई की मांग करते हुए इसमें मारे गए और घायल हुए सभी रसोईया कर्मियों के मुआवज़े और आश्रितों को नौकरी देने की मांग की है। साथ ही मिड डे मील योजना व्यवस्था में जारी संस्थाबद्ध लूट और लापरवाही बंद कर इसे निजी एजेंसियों से वापस लेने की भी मांग की है। टीम के प्रतिनिधियों के अनुसार वर्तमान केंद्र व राज्य की सरकारें अपने लोगों को फायदा पहुंचाने और इस क्षेत्र में कोर्पोरेटों की घुसपैठ कराने के लिए ही इसे निजी एजेंसियों के हवाले कर रहीं हैं।
बिहार भाकपा माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने भी कहा है कि अभी चल रहे विधान सभा की शीतकालीन सत्र में वे इस मामले को मजबूती से उठाकर मिड डे मील भोजन व्यवस्था को फिर से स्कूलों को देने की मांग करेंगे।
ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र संघ के नियम के अनुसार 15 अगस्त 1995 से भारत में तत्कालीन सरकार ने देश के गरीबों के प्रथम से आठवीं क्लास तक के छात्रों को स्कूल में पौष्टिक भोजन की व्यवस्था के लिए मिड डे मील व्यवस्था की शुरुआत की थी। तब से सभी स्कूलों में मिड डे मील योजना लागू है। पहले स्कूलों में ही वहाँ के शिक्षकों व ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से बनाया जाता था लेकिन बाद में इसमें भ्रष्टाचार और लापरवाही से बच्चों की मौतें और घोटालों के कारण इस योजना को निजी एजेंसियों और कंपनियों के हवाले कर दिया गया । लेकिन सुगौली विस्फोट कांड ने जारी अनियमियतता, लापरवाही और संगठित लूट पर से पर्दा हटा दिया है।
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