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मौजूदा सरकार लोकतंत्र को ध्वस्त कर रही है, "गांधी विद्या संस्थान" पर क़ब्ज़ा करने का आरोप

वाराणसी स्थित गांधी विद्या संस्थान को क़ब्ज़ाने के ख़िलाफ़ गांधीवादियों का धरना-प्रदर्शन लगातार जारी है। दिल्ली स्थित पीसीआई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान सत्ता लोकतंत्र को ध्वस्त कर रही है।
Gandhi Vidya Sansthan

केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों ने पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय संपत्तियों और धरोहरों को काफी नुकसान पहुंचाया है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से बड़ी संख्या में सरकारी संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है साथ ही इस शासन में लोकतांत्रिक मूल्यों को नज़रअंदाज करने का सिलसिला निरंतर जारी है। इतना ही नहीं देश को अंग्रेजों से आजाद कराने वाले बापू के विचार प्रसार करने के लिए बनाई गई संस्थाओं पर भी हमला लगातार जारी है। मौजूदा समय में देश में जगह-जगह गांधी संस्‍थाओं में घुसपैठ की निरंतर कोशिशें हो रही हैं। गुजरात विद्यापीठ, साबरमती आश्रम आदि मामले अभी धूमिल भी नहीं हुई थी कि वाराणसी के राजघाट का गांधी परिसर निशाने पर आया है। लोक नायक जयप्रकाश द्वारा स्थापित समाज विज्ञान का प्रतिष्ठित केंद्र गांधी विद्या संस्‍थान इनकी कुचेष्‍टाओं से निस्‍तेज पड़ा था। अब उस पर कब्‍जा करने की कोशिश हुई है।

गांधी संस्थानों को बचाने के लिए देश भर में धरना-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गत सोमवार को राजधानी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

बता दें कि न्यूज़क्लिक ने वाराणसी स्थित गांधी संस्थान को प्रशासन की साठगांठ से कब्जाने के मामले को काफी विस्तार से रिपोर्ट किया था। यह स्टोरी बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत ने रिपोर्ट की थी। बनारस के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ की ज़मीन और गांधी विद्या संस्थान (गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीज़) के भवनों पर कब्ज़े को अवैध बताते हुए देशभर के 'गांधीवादियों' ने मोदी सरकार व राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। गांधी के इस धरोहर को बचाने के लिए उन्होंने जेपी प्रतिमा के सामने धरना-उपवास आंदोलन भी किया। गांधीवादियों का कहना है कि बापू के संस्थान को बचाने के लिए ये आंदोलन जारी रहेगा।

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गौरतलब है कि वाराणसी के कमिश्‍नर कौशल राज शर्मा के आदेश से अचानक 15 मई 2023 को शाम 4.00 बजे के लगभग प्रशासनिक महकमा गांधी विद्या संस्‍थान के भवनों पर बलपूर्वक कब्‍जा कर लिया और दिल्‍ली की संस्‍था इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र को सौंप दिया। इसके खिलाफ सर्व सेवा संघ और गांधी शांति प्रतिष्ठान ने 17 जून 2023 को दिल्‍ली में प्रतिरोध सम्‍मेलन का आयोजन किया। फिर 18 जून 2023 को राष्‍ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया।

इसी संदर्भ में गांधी-जेपी विरासत बचाओ अभियान के तहत 19 जून 2023 को प्रेस क्‍लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

वर्तमान सत्ता लोकतंत्र को ध्‍वस्‍त कर रही है

इस अवसर पर दिल्‍ली स्थित राष्‍ट्रीय गांधी स्‍मारक निधि के अध्‍यक्ष रामचंद्र राही ने मुख्‍य वक्‍ता के तौर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ''हम किसी राजनेता को नहीं बल्कि जनता को अपना आराध्‍य मानते हैं। लोक प्रमुख होता है और तंत्र उसके नियंत्रण में रहना चाहिए। आज साम्राज्यशाही, सामंतशाही शक्तियां लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को ध्‍वस्‍त कर रही हैं। इनसे सावधान रहना जरूरी है नहीं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। संस्‍थान पर कब्‍जा एक निमित मात्र है मौजूदा व्यवस्था तानाशाही हो रही है। इसने गांधी विद्या संस्‍थान के आसपास बनी झुग्गियों पर भी बुलडोजर चलवा दिया। असामाजिक तत्‍वों ने लोकतंत्र को किडनैप कर रखा है।'’

रामचंद्र राही

उन्होंने कहा कि "आज की सत्ता शासन करने लायक नहीं है। हमारा प्रयास है कि अगली बार ये सत्ता नहीं आनी चाहिए। सत्ता प्रतिष्‍ठान गांधी विद्या संस्‍थान पर कब्‍जा कर उसका दुरुपयोग कर रही है। गांधी प्रतिष्‍ठान के खिलाफ एक अनैतिक भूमिका बनाई जा रही है। मीडिया की बात करें तो यह लोकतंत्र का चौथा खंभा होता है। मीडिया को लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करना चाहिए।"

गांधी के प्रति दोहरा बर्ताव ख़तरनाक

लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के अध्‍यक्ष और गांधी मार्ग पत्रिका के पूर्व संपादक प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा, ''एक तरफ गांधी की मूर्ति के आगे सिर झुकाना और दूसरी तरफ उनकी विचारधारा को खत्‍म करना यह दोहरा बर्ताव खतरनाक है। हमारी लड़ाई सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई है, लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई है, यह लड़ाई जारी रहेगी।"

प्रोफेसर आनंद कुमार

उन्होंने आगे कहा कि "हम राजनीतिक सत्ता के नहीं जनता की सत्ता के हिमायती हैं। दिल्ली के कला केंद्र को गांधी विद्या संस्‍थान का मालिकाना हक देना डकैती है। इसके खिलाफ हम अपना सत्याग्रह जारी रखेंगे। हम अभी से लेकर 15 अगस्त तक समागम जारी रखेंगे। 23 जुलाई को लखनऊ में समागम होगा। उसके बाद 9-10 अगस्त को बनारस में समागम करेंगे। वहीं 15 अगस्त को राष्ट्रीय स्तर पर हमारा सत्‍याग्रह होगा।''

लोकतंत्र में असहमत होने के अधिकार को बचाना है

दिल्‍ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा, ''गांधीवादी संस्‍थानों से सत्ता के खिलाफ असहमति की आवाज उठती रहती है। वे चाहते हैं कि संस्‍थान ही बंद कर दिए जाएं जिससे कि ये आवाजें बंद हो जाएं। हमें लोकतंत्र में असहमत होने के अधिकार को बचाना है। ये सरकारें असहमति की आवाजें नहीं चाहतीं।'’

कुमार प्रशांत

उन्‍होंने मीडिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि "लोग कहते हैं प्रेस कांफ्रेंस करने से भी क्या फायदा है। क्‍या मीडिया लोकतंत्र की आवाज उठा रही है? अब ये आप मीडिया वालों का सोचना है। हम अपना सत्‍याग्रह जारी रखेंगे। आपको हमारी आवाज जनता तक पहुंचानी चाहिए।"

फासीवादी ताकतें सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ रही हैं

 शशि शेखर प्रसाद सिंह सबसे दाहिने

जे.पी. फाउंडेशन के अध्‍यक्ष और सत्‍यवती कॉलेज में प्रोफेसर शशि शेखर प्रसाद सिंह ने कहा, ''बनारस नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र है। यह सब उनकी नाक के नीचे हो रहा है। एक कमिश्‍नर इस तरह के आदेश दे रहा है। क्या ये बिना ऊपर की सहमति के संभव है? क्या एक कमिश्‍नर को इस तरह के निर्णय लेने का अधिकार है? दरअसल यह सब मिलीभगत है। फासीवादी ताकतें सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ रही हैं। सत्ता में बैठे लोग लोकतांत्रिक मूल्‍यों के खिलाफ हैं। ऐसे लोगों के वर्चस्‍व को समाप्त करना बहुत जरूरी है तभी लोकतंत्र बचेगा और भारत मजबूत होगा। हमारी कोशिश है कि यथास्थिति बहाल की जाए।''

राष्‍ट्रपति को दिया ज्ञापन

सर्वोदय मंडल उत्तर प्रदेश एवं 'जेपी विरासत बचाओ संघर्ष समिति और वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष राम धीरज ने कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है। उसमें हमने कई मांगें रखी हैं। हम चाहते हैं कि सबसे पहले यथा स्थिति बहाल की जाए।

राम धीरज

इसके अलावा कुछ अन्य मांगें निम्‍न हैं :

1. सर्व सेवा संघ की क्रयशुदा भूमि पर काशी कोरिडोर के वर्कशॉप के लिए 2 दिसंबर 2020 से जिला प्रशासन द्वारा कब्‍जा कर लिया गया है, जो अभी तक कायम है। इस जमीन को अविलंब कब्‍जे से मुक्‍त किया जाए।

2. 15 मई 2023को गांधी विद्या संस्‍थान के भवनों पर आयुक्‍त द्वारा बलपूर्वक कब्‍जा कर एक असंबद्ध संस्‍था, 'इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र' को सौंप देना अनुचित व आयुक्‍त द्वारा क्षेत्राधिकार का उल्‍लंघन है। इस आदेश को वापस लिया जाए।

3. रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ की खरीदी हुई जमीन के संबंध में 'कूटरचित आपराधिक कृत्‍य' का आरोप लगाया गया है, जो शर्मनाक है। इस प्रकरण के द्वारा आचार्य विनोबा भावे, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री, तत्‍कालीन रेलमंत्री जगजीवन राम तथा देश के प्रथम राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे व्‍यक्त्त्विों को लांक्षित किया गया है। रेलवे की इस शिकायत/वाद को तत्‍काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

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