राजद्रोह मामला: कश्मीर के तीन इंजीनियरिंग छात्र फिर गिरफ्तार
हुबली/दिल्ली : राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे कश्मीर के तीन इंजीनियरिंग छात्रों को बांड भरवाकर रिहा किये जाने के बाद पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने पर उन्हें सोमवार को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। हुबली-धारवाड़ के पुलिस आयुक्त आर. दिलीप ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ उन्हें (कश्मीरी छात्रों को) फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत के समक्ष पेश कर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।’’
पुलवामा हमले की पहली बरसी पर पाकिस्तान के समर्थन में कथित रूप से नारेबाजी करने और सोशल मीडिया पर उसका वीडियो पोस्ट करने के मामले में राजद्रोह के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया था।
सीआरपीसी की धारा 169 के तहत बांड भरवाकर तीनों छात्रों को रविवार को रिहा कर दिया गया था। लेकिन दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा उन्हें रिहा करने के पुलिस के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद फिर गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, तीनों छात्रों को आज सुबह गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया जिसने उन्हें दो मार्च तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। छात्रों की रिहाई के विरोध में दक्षिणपंथी संगठनों के कुछ सदस्यों ने रविवार को पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
छात्रों को रिहा करने के फैसले की आलोचना करने वालों में श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक भी शामिल हैं। मुतालिक ने आरोप लगाया कि छात्रों ने पुलवामा हमले की पहली बरसी पर भारत विरोधी रुख दिखाया। पुलिस ने बताया कि गृहमंत्री बासवराज बोम्मई ने भी उच्च पुलिस अधिकारियों से इस मामले में बातचीत की थी। तीनों छात्रों से अदालत में भीड़ द्वारा धक्कामुक्की किये जाने की खबर है।
इस बीच हुबली बार संघ के सदस्य अशोक अनवेकर ने कहा कि उन्होंने फैसला किया है कि बार का कोई सदस्य तीनों कश्मीरी छात्रों के वकील के तौर पर पक्ष नहीं रखेगा।
कश्मीरी छात्रों के लिए काम करने वाले संगठन जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए इस पूरे घटना को लेकर चिंता जाहिर की और कहा की छात्रों पर से देश द्रोह का मुकदमा हटा लिया जाए। इसके साथ ही जिस तरह से कोर्ट परिसर में छात्रों पर हमला हुआ उसको लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा इन घटनाओं से कश्मीर में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों और उनके माता-पिता और रिश्तेदारों के बीच में भारी असुरक्षा और चिंता की भावना बढ़ी है।
बार एसोसिएशन ने केस लड़ने से मना किया लेकिन बाद में कुछ वकील इन छात्रों का केस लड़ने को तैयार हुए। ऐपवा की राष्ट्रीय महसचिव कविता कृष्णन ने ट्वीट किया, "कर्नाटक में कई – वकील और लोग इन छात्रों की मदद करने के लिए पहुंच रहे हैं"।
Mob violence against three Kashmiri students in Hubli, Bar Assoc & lawyers gang up to deny representation. I hope the 3 are safe. There are many in Karnataka - lawyers, concerned people - who are reaching out to help. https://t.co/B2c60RGQvY
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) February 17, 2020
जेएंडके स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने सोमवार को जारी एक बयान में छात्रों पर की गई कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने कहा, "हम कठोर शब्दों में इन सब की निंदा करते हैं। हम कश्मीरी छात्रों से अपनी शिक्षा पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं। हम सभी छात्रों से अपील करते हैं कि वे आग में घी डालने के लिए सोशल मीडिया पर उत्तेजक बातें न लिखें"।
स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने यह भी दावा किया कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को लिखा है कि वे छात्रों पर लगे मामलों को वापस लेने के लिए हस्तक्षेप करें और विश्वविद्यालय के अधिकारियों को उनके निलंबन को रद्द करने की सिफारिश करें।
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के मुताबिक केएलई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल बसवराज अनामी ने कहा कि छात्रों को देश द्रोह के मामले में उनकी गिरफ्तारी के कारण निलंबित किया गया। आपको बता दें कि केएलई प्रौद्योगिकी संस्थान भाजपा के राजनेता प्रभाकर कोरे के केएलई समूह का हिस्सा है ।
कथित तौर पर वीडियो केएलआई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रेरणा हॉस्टल में छात्रों द्वारा रिकॉर्ड किया गया था। अनामी ने कहा “वे अपने कमरे में इकट्ठा हुए और पाकिस्तान समर्थक वीडियो रिकॉर्ड किया। हमने वीडियो के बारे में जानने के बाद छात्रों को बुलाया''। शुक्रवार को हुबली क्षेत्र में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद, हिंदुत्व समूहों के कार्यकर्ताओं ने कॉलेज अधिकारियों से संपर्क किया और छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की मांग की।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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