मध्य प्रदेश के जनजातीय प्रवासी मज़दूरों के शोषण और यौन उत्पीड़न की कहानी
भोपाल: अपनी तरह की पहली घटना में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के रहने वाले 300 से ज्यादा आदिवासियों को एक एनजीओ और नागरिक समाज समूह जागृति आदिवासी दलित संगठन (जे ए डी एस) द्वारा महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों के चंगुल से छुड़ाया गया है।
इन मिलों में चार महीने काम करने के दौरान, इन लोगों ने से एक 16 साल की अवयस्क लड़की के साथ गैंगरेप भी हुआ है। जबकि बाकी सभी लोगों से 16-18 घंटे काम करवाया जाता और उन्हें पैसे भी नहीं दिए जा रहे थे।
कुल छुड़ाए गए 309 कामगारों में से 87 महिलाएं और 127 बच्चे हैं। जे ए डी एस के मुताबिक इनमें से 83 मजदूर कर्नाटक के बेलगावी में स्थित निरानी सुगर लिमिटेड में काम पर रखे गए थे। इनमें 27 बच्चे और 30 महिलाएं भी शामिल थीं। मिल का स्वामित्व बीजेपी विधायक और मंत्री मुरुगेश मिरानी के पास है। मुरुगेश सरकार में लघु एवम मध्यम उद्योगों के राज्य मंत्री हैं।
बड़वानी लेबर कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दूसरे 227 मजदूरों को महाराष्ट्र के बागलकोट, कोल्हापुर, सतारा और पुणे जिलों की मिलों से छुड़ाया गया है। इनमें 87 महिलाएं व 57 बच्चे शामिल हैं।
Bounded labour & sexual abuse: Story of MP's tribals labourers.
A thread -
Over 300 tribal migrant labourers hailing from MP's Barwani district who were allegedly pushed into bonded labour at sugarcane mills of Maharashtra & Karnataka were rescued by @JADS_mp & other NGOs. pic.twitter.com/JscdHlm3LQ— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) February 22, 2022
ग़रीबी में जन्म लेने के चलते मध्य प्रदेश के निमाण क्षेत्र में बड़वानी, झाबुआ, धार, खरगोन और अलीराजपुर के आदिवासियों को महाराष्ट्र, गुजरात यहां तक कि केरल तक प्रवास करना पड़ता है। अक्टूबर मार्च में गन्ना कटाई के मौसम में लाखों दंपत्ति गन्ना काटने का काम करने के लिए प्रवास करते हैं। जिन 309 मजदूरों को यहां छुड़ाया गया है, उनमें से ज्यादातर इस बार बड़वानी के पाती प्रखंड से हैं, जो महाराष्ट्र सीमा पर स्थित है।
Of 309 returners, there were 87 women & 127 children.
A group of 83 PPL including 27 kids & 30 women were rescued from Karnataka's Belagavi district who had gone to work in Nirani Sugars factory, owned by Murugesh Nirani, MSME Minister in BJP-ruled Karnataka state in Oct 2021. pic.twitter.com/3pGII3vsnv— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) February 22, 2022
16 साल की गर्भवती लड़की के साथ हुआ सामूहिक बलात्कार
जिन मजदूरों को छुड़ाया गया है, उनमें से एक 16 साल की लड़की चार महीने की गर्भवती है, वो बड़वानी के सिवनी गांव से आती है। उसने यौन उत्पीड़न की एक दिल दहला देने वाली कहानी सुनाई। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक़, लड़की और उसका पति महाराष्ट्र के सतारा में पहली बार चीनी मिल में काम करने के लिए गए थे।
जनजातीय इलाकों में प्रवास बहुत आम है। वहां परिवार बच्चों की जल्दी शादी कर देते हैं, क्योंकि चीनी ठेकेदार शादी शुदा दंपत्तियों को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। चीनी ठेकेदार गांव का ही एक व्यक्ति होता है, जिसके बाहर की मिलों में घनिष्ठ संबंध होते हैं। वह आसपास के इलाकों से मजदूरी करने के इच्छुक लोगों को इकट्ठा करता है। लगातार पड़ने वाले सूखे और खराब होती फसलों के चलते कई दंपत्ति घर पर कृषि जमीन होने के बावजूद बाहर काम करने जाते हैं।
पारंपरिक तौर पर ठेकेदार किसी दंपत्ति को एक इकाई, जिसे एक क्योता कहते हैं, के तौर पर भर्ती करता है। उन्हें इकट्ठे (उछल) भुगतान कर दिया जाता है। यह भुगतान 25 हजार से लेकर 40 हजार रूपए तक होता है।
लड़की और उसके पति को भी महाराष्ट्र में बीड जिले के ठेकेदार गणेश भोसले और जीतू भोसले ने पिछले अक्टूबर में 40 हजार रूपए दिए थे।
दो पन्नों की एफआईआर में लड़की ने बड़वानी पुलिस को बताया है कि दोनों ठेकेदार और उनके एक साथी ने उसका अपहरण कर उसके साथ कई बार गैंगरेप किया। जिसके चलते लड़की का गर्भपात हो गया। पीड़िता ने बताया, "जब मैं सुबह चार बजे पानी भरने का रही थी तभी गणेश और जीतू ने मेरा अपहरण किया और मुझे एक जंगल में ले गए। वहां उनके साथ एक और आदमी शामिल हो गया। उन्होंने मुझे जबरदस्ती कुछ खिलाया, जिसके बाद मैं बेहोश हो गई। इसके बाद उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की।
तीनों लोगों ने लड़की के गुप्तांगों में कुछ तरल भी डाला जिससे उसे काफी दर्द, सूजन और खुजली हुई। पीड़िता ने कहा, "जब मुझे रेप करने वाला एक ठेकेदार लेबर कैम्प लेकर आया, तो गर्भपात के चलते मैं पूरी तरह खून से सनी हुई थी। उसने दावा किया कि उसने मुझे पड़ोस के एक गांव में पाया। उसने मुझे शिकायत करने पर, मेरे पति और साथी गांव वालों को मारने की धमकी दी थी।
एफआईआर के मुताबिक़ घटना के एक हफ्ते बाद बाद भी पीड़िता दर्द में थी और उसे लगातार रक्त स्राव हो था। लेकिन निर्मम ठेकेदारों ने कोई रहम नहीं दिखाया और उन्हें काम करने पर मजबूर किया। पीड़िता ने आगे बताया कि 14 जनवरी को उन लोगों ने उसका एक बार फिर अपहरण किया और फिर उसका रेप किया। "उन्होंने हमें पुलिस स्टेशन नहीं जाने दिया।"
धमकियों के बावजूद पीड़िता ने अपनी आपबीती पति को सुनाई। इसके बाद पति ने बड़वानी के एक एनजीओ से मदद की गुहार लगाई। बड़वानी लौटने के तीन दिन बाद पीड़िता ने तीनों लोगों के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 376, 376 (2), 376 D, 506 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज कराई।
पाती पुलिस थाने के एसएचओ रामकृष्ण लोवंशी ने न्यूज़क्लिक को फोन पर बताया, "चूंकि अपराध सातारा जिले के भुज पुलिस थाने के अंतर्गत हुआ है, इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर मैंने केस डायरी भुज पुलिस थाने को ही भेज दी है।
गन्ना मजदूरों का यौन उत्पीडन "खुला राज" है
गन्ना काटने वालों के साथ ऐसे कई मामले सामने ही नहीं आ पाते। सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड इन्क्लूसिव डेवलपमेंट के कार्यकारी निदेशक बेनॉय पीटर के मुताबिक़, "काम की जगहों पर प्रवासी मजदूर का रेप खुला राज है। ठेकेदार ज्यादातर अनपढ़ मजदूरों को लुभाते हैं, जो काम की जगहों पर उन्हीं के रहमो करम पर रहते हैं।
पीटर ने न्यूज़क्लिक को बताया, "आजीविका और जान के डर से प्रवासी मजदूर कभी ठेकेदार के खिलाफ आवाज नहीं उठाते। उन्हें यह भी डर होता है कि अगर उन्होंने शिकायत की तो अगली बार कोई ठेकेदार उन्हें काम पर नहीं रखेगा। इस तरह की शिकायतें बड़वानी और खरगोन में विरले ही होती हैं।
गन्ना काटने वाली महिलाओं के गर्भाशय निकालने का मामला 2019 में खूब छाया था। तब एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि बीड में पड़ोसी जिलों और राज्यों में प्रवास करने वाली महिलाओं में बच्चादानी निकालने की दर बहुत ज्यादा है। मीडिया रिपोर्टों पर तेजी से कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मामले में जांच बैठा दी थी। लेकिन अब भी उसकी रिपोर्ट आना बाकी है।
बेलगावी में 3 किशोरियों समेत 6 महिलाओं का रेप
बड़वानी के पड़ोसी खरगोन जिले की रहने वाली 29 साल की एक महिला ने भी रेप की एफआईआर दर्ज कराई है। महिला, उसकी बहन और उसके गंव के अन्य 24 लोगों को बेलगावी के गन्ने के खेतों में काम करने के लिए बुलाया गया था। यह शिकायत खरगोन के चैनपुर पुलिस थाने में दर्ज की गई है।
महिला की शिकायत के 27 दिन बाद दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक़ महिला और पांच अन्य (जिसमें तीन अवयस्क हैं) के साथ दो ठेकेदारों और उनके एक सहयोगियों ने रेप किया। पीड़िता कहती हैं, "उन्होंने मेरी अवयस्क बहन को तक नहीं छोड़ा। वे मनमुताबिक तरीके से लड़कियों को खेतों से उठा लेते थे और उनके साथ यौन दुर्व्यवहार कर चेतावनी के साथ छोड़ देते थे। हैरान करने वाला यह रहा कि कर्नाटक और खरगोन पुलिस दोनों ही आरोपियों को बचाने की कोशिश में लगे रहे।"
किसी दंपत्ति के काम का दिन सुबह 6 बजे शुरू होता है। वहीं महिलाओं को सुबह 4 बजे उठकर पूरे परिवार के लिए खाना बनाना होता है। जब माता पिता मेहनत कर रहे होते हैं, तब बच्चों को झोपड़ियों में पीछे छोड़ दिया जाता है।
महिला और उसके साथी गांव वालों में हर किसी को 20,000 रुपए प्रस्तावित किए गए थे। साथ ही उन्हें दो महीने के काम का मौखिक आश्वासन दिया गया था। लेकिन उन्हें कभी भुगतान नहीं किया गया।
एक मजदूर की शिकायत पर 1200 किलोमीटर का सफर तय कर घटनास्थल पर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता अंतिम शितोले ने न्यूज़क्लिक को बताया, "यौन शोषण की शिकायत के बाद आरोपी मजदूरों को मारकर जमीन में गड़ाना चाहते थे। कर्नाटक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के फोन कॉल ने उन्हें बचाया। अंतिम कहते हैं की उन्होंने मजदूरों को वापस लाने के लिए वाहन करने के अपनी पत्नी के गहने बेच दिए, जिससे 27 हजार रूपए मिले।"
एक महीने से ज्यादा समय के बाद, 83 अन्य मजदूर जिन्हें पाती से ही ले जाया गया था, उन्हें रिहा कराया गया।
Another 227 PPL including 57 women & 87 children were rescued from Maha's Bagalkot, Kolhapur, Satara and Pune districts in last two weeks, said a senior officer of the Barwani labour court who added that the Court has received 2 plaint of bonded labour & non-payment of wages. pic.twitter.com/3gWurhP2pi
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) February 22, 2022
18 फरवरी को बड़वानी पुलिस और कलेक्टर को लिखित शिकायत में कंदरा, उदबगढ और सेमली गांव के मजदूरों ने बताया कि बीड के रहने वाले ठेकेदार अशोक शिंदे, कालू मुकद्दम और श्याम ने 56 मजदूरों को पिछले साल दशहरा और दीवाली के बीच, बेलगावी की सुगर मिल में तीन महीने काम करने के लिए, 20-20000 रुपए में काम पर रखा था।
एक कामगार कैलाश प्रताप में न्यूज़क्लिक को बताया, "हमसे एक दिन में 8 घंटे काम करवाने और हर दिन 400 रुपए देने का वायदा किया गया था। साथ ही 20,000 रुपए अग्रिम देने का वायदा किया गया था। लेकिन हमें 20-40 रुपए में 18 घंटे मजदूरी करने के लिए मजबूर किया गया। हर परिवार को तीन महीने के लिए 40 किलोग्राम चावल दिया गया था।
तीन महीने बाद जब तीन कामगारों ने अपने साथियों की तरफ से बचे हुए पैसे की मांग की तो ठेकेदार श्याम उन्हें लेकर निरानी सुगर फैक्ट्री गया। फैक्ट्री में जाने वाले तीन मजदूरों में से एक जड़िया ने बताया, "फैक्ट्री के एक अधिकारी ने कहा कि अगर हम घर जाना चाहते हैं, तो हमें दो लाख रुपए देने होंगे। जब हमने इनकार किया तो श्याम ने हमारे मोबाइल छीन लिए। हमारे पास जो एक हजार रूपए थे, वो छीन लिए। और हमें एक हफ्ते तक वहां बंधक बनाकर रखा।"
इसके बाद मजदूरों ने जे ए डी एस से मदद की गुहार लगाई। संगठन के सदस्य हरसिंग जमरे ने न्यूज़क्लिक को बताया, "अगर एनजीओ ने मजदूरों को ना छुड़ाया होता, तो कुछ अनचाही घटना हो गई होती। जिला प्रशासन और पुलिस को ठेकेदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और रिहा करवाए गए मजदूरों को सहायता देनी चाहिए।"
संगठन से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी कृष्णस्वामी दलितों और आदिवासियों के लिए दो दशक से काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अनुमानित तौर पर 10-12 लाख लोग निमाड़ से महाराष्ट्र और कर्नाटक मजदूरी करने जाते हैं। ऐसे इलाके से आने जो सूखे से ग्रस्त है और जहां रोजगार के मौकों की कमी है, वहां दलित और आदिवासी बेहद गरीबी में रहने पर मजबूर हैं। वे आजीविका के लिए गन्ने की कटाई पर ही निर्भर हैं। लेकिन उन्हें बंधुआ मजदूर के तौर पर काम पर रखा जाता है। जबकि महिलाओं का ठेकदारों द्वारा शोषण किया जाता है। पुलिस और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करते, क्योंकि ज्यादातर मिलें राजनेताओं की हैं।"
बड़वानी लेबर कोर्ट के अधिकारी के एस मुजाल्दा कहते हैं, "जब हमें बंधुआ मजदूरी की दो शिकायतें मिलीं, उसके बाद 300 से ज्यादा मजदूरों को छुड़ाया गया। हम फाइल तैयार कर रहे हैं जो संबंधित पुलिस थानों को भेजी जाएंगी, ताकि "रेस्क्यू सर्टिफिकेट" हासिल किया जा सके। हम कंपनियों पर श्रमिकों का बकाया चुकाने के लिए भी दबाव बनाएंगे।"
इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
Tribal Migrant Workers From MP Harvest Tales of Exploitation, Sexual Abuse
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