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यूपी चुनाव: कैसा है बनारस का माहौल?

बनारस का रुझान कमल खिलाने की तरफ है या साइकिल की रफ्तार तेज करने की तरफ?
banaras

उत्तरप्रदेश विधानसभा के 403 सदस्यों का चुनाव 10 फरवरी 2022 से 7 मार्च 2022 तक 7 चरणों में आयोजित किया गया है।  नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएगें। ऐसे में इस चुनाव के बीच आवाम के रुझानों से पता चल रहा है कि बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन क्या इस बार बीजेपी के धर्म और आस्था के मुद्दे पर सपा का समाजिक गठजोड़ ज्यादा मजबूत नज़र आ रहा है? आखिरकार चुनाव में मुद्दा क्या है और माहौल क्या है? इस संबंध मेें हमने यूपी के वाराणसी जिला का मुआयना किया। जिसे न सिर्फ ‘‘मंदिरों का शहर‘‘ बल्कि ‘‘भारत की धार्मिक राजधानी‘‘ भी कहा जाता है। वाराणसी में 8 विधानसभा सीटों पर 7 वें यानी अंतिम चरण में 7 मार्च को चुनाव होना है।

ऐसे में इस माहौल में वाराणसी के मतदाताओं का क्या रुझान है, वह इस चुनाव को कैसे देख रहें है? यह हमने उनसे बातचीत के जरिए जाना। सबसे पहले हम रोहनियां विधानसभा पर पहुचें। तब हमने वहां अरिहन्त से मुलाकात जो स्नातकोत्तर के विद्यार्थी है। उनसे हमने सवाल किया कि चुनावी माहौल क्या है और कौन पार्टी चुनाव में मजबूत नज़र आ रही है? तब अरिहन्त बताते है कि अब के चुनाव में समाजवादी पार्टी का बोलबाला है और पार्टी के 75 प्रतिशत जीतने की संभावना है। जब हमने उनसे सवाल किया कि सपा के जीतने की उम्मीद आप को ज्यादा क्यों नज़र आ रहे है? तब वह कहते है कि अखिलेश यादव जो कहते है। वह करते भी है। उन्होनें विद्यार्थीयों को लैपटॉप देनेे का वादा किया था। उसे पूरा भी किया। मुझे 2012 में 12 वीं पास करने पर अखिलेश सरकार ने लैपटॉप दिया था। आगे वह कहते हैं कि इस मर्तबा हम अपना मत सपा को देगें।

वहीं मौजूद संजीव से हमने सवाल किया कि आपको क्या लग रहा इस बार किस पार्टी को वोट देना चाहिए? तब वह कहते है कि अब के चुनाव में बीजेपी को वोट देने का सवाल ही नहीं उठता। क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी को देश के असली मुद्दे याद नहीं है। उसे यह नहीं पता कि महंगाई और बेरोजगारी कितनी सरपट बढ़ती जा रही है। आगे वह कहते है जब युवा रोजगार की मांग करते हैै। तब योगी सरकार उन पर लट्ठ बजा देती है। जैसे बनारस में एक विद्यीर्थी जिनका नाम धमेन्द्र है। उन्हें योगी प्रशासन ने बेेवजह लाठियों से कूट दिया। इसके बाद संजीव ने कहा कि रोहनियां विधानसभा से सपा के जीतने की उम्मीद है।

इसी संबंध में भगवान सिंह कहते है कि ‘‘पार्टी कोई भी जीते, हारना जनता को हो ही है‘‘ क्योंकि चुनाव के बाद नेताओं को अपने स्वार्थों के बीच जनता याद कहां रहती।

इसके बाद फिर हम रोहनियां  विधानसभा के करौता गांव पहुचें जहां बहुसंख्यक आबादी हरिजन समुदाय की है। गांव में हमने गीता देवी (बेरोजगार है) से चुनाव को लेकर बातचीत की। हमने उनसे पूछा कि आपके गांव में किस पार्टी का रुआब ज्यादा दिख रहा है। तब वह बताती है कि गांव में बसपा यानी बहुजन समाज पार्टी की धाक ज्यादा नज़र आ रही है। हम उसी को वोट देगें और बीएसपी पार्टी सत्ता में आयेगी।

तब हमने उनसे सवाल किया कि यदि समूचे यूपी के चुनाव की ओर रुख़ किया जाए तब आमतौर पर लागों का कहना है कि बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर है, ऐसे में आप बीएसपी को क्यों वोट देना चाहतीं है? तब गीता देवी बताती है कि योगी सरकार के इन 5 सालों में हमारे गांव में विकास का नारा ही पहुचां है। लेकिन गांव में पानी तक की समस्या का समाधान नहीं हुआ है।

आगे बूढ़ी अम्मा सुमन बताती है कि ‘‘गांव में पानी निकालने के खातिर नाली-नाला ना बा। जे वजई से पानी सबई के घरों में भर जाला और इसई से सबका लड़ाई होकेला। नाहीं ई समस्या को कोई नेता देखे खातिर आवेला और नाहीं हल करेला‘‘।

इसके आगें दीपा बताती है कि गांव में अभी तक 5 वीं तक स्कूल है। वहीं सड़कों की हालत किरकिरा है। अपस्पताल की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे मेें हम बीजेपी को किस आधार पर वोट दे। रहीे बात सपा की तो सपा के शासनकाल में अखिलेश यादव ने भी हमारे गांव को अछूता रखा है। जबकि उनके मुख्यमंत्री बनने से दादागिरी अलग से बढ़ जाती है। ऐसे हमारे विकास की आशा बीएसपी पार्टी है। हम उसे ही वोट देगें।

फिर हम वहीं मौजूद राधेश्याम से मिले। जो शिक्षित भी है और बेरोजगार भी है। उनसे हमने सवाल किया कि वर्तमान के चुनाव में आपको असली मुद्दा क्या नज़र आ रहा है? तब राधेश्याम कहते है कि इस चुनाव में दो मद्दे एक ओर सत्तारूढ़ पार्टी का धार्मिक मुद्दा है, तो वहीं दूसरी ओर जनता का आर्थिक मुद्दा है। जो धार्मिक मुद्दे से बढ़कर है। ऐसे में जनता मंहगाई, गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी को देखते हुए मतदान करेगी। जिससे किसी भी पार्टी केे लिए सत्ता में आना आसान नहीं है। 

इसके बाद हमनें बनारस के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से चुनाव को लेकर बातचीत की। हम पहले विनोद यादव से मिले और सवाल किया कि आप मतदान के समय किस पार्टी के चिन्ह का बटन दबाएंगे? तब वह बताते है कि हम साईकिल का बटन दबाएंगे। फिर हमने पूछा कि आप अखिलेश यादव की जाति से ताल्लुक़ रखते है क्या इसलिए सपा को वोट देेगें? तब इसके जवाब में विनोद कहते है कि इस बार समाजवादी पार्टी ने हमारी जाति के ज्यादा उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया है। जिससे स्पष्ट है। चुनाव में मुद्दा जाति का नहीं। बल्कि विकास का है।

फिर हमने इसके उपरांत सवाल किया कि यहां आस-पास के क्षेत्रों में लोग कहते है कि सपा के सत्ता में आने से दादागिरी बढ़ जाती है, ऐसे मेें आप क्या सोचते है? तब वह कहते है कि हां तनक-मनक तो दाउगिरी बढ़ जाती है। लेकिन योगी सरकार से अखलेश सरकार फिर भी ठीक-ठाक है। 

आगे हमने प्रश्न किया कि चुनाव में कांग्रेस का क्या हाल है, क्या वह इस चुनाव में उभर पायेगी? तब वहां मौजूद मुहम्मद शोएब अख़्तर हां में जवाब देते हुए कहते है कि इस चुनाव में बनारस की 8 विधानसभा सीटों में से 1-2 सीट कांग्रेस को मिल सकती है।

इसके बाद हमने राजेश से बात की और उनसे पूछा कि आपको क्या लग रहा है कौन जीत रहा है कमल या साईकिल, और आप किसे वोट देगें? तब वह कहते कमल जीत रहा है और हम उसे ही मत देगें। फिर हमने पूछा कि आप किस मुद्दे पर कमल को वोट देना चाहते है? तब राजेश कहते है कि योगी सरकार ने हमें आवास दिया है। इसलिए हम बीजेपी को वोट देगें। 

आगे हम बनारस के केन्ट विधानसभा की ओर पहुचें। तब वहां हम सोनू से मिले। उनसे हमने प्रश्न किया कि सरकार आपको राशन दे रही, होली-दिवाली पर रसोई गैस देने की बात कह रही है, अन्य योजनाओं का लाभ दे रही है, ऐसे में आपको क्या लगता है बीजेपी सत्ता में पुनः आयेगी? तब सोनू कहते है कि उत्तप्रदेश के इतिहास में किसी भी पार्टी का मुख्यमंत्री लगातार दो बार सत्ता में नहीं आया है। ऐसे में योगी सरकार को वापसी करना सरल नहीं है। रहा सवाल सरकारी राशन का तो उससे जनता नाकारा बनती जा रही है। सरकार को राशन की बजाए रोजगार देना चाहिए। वहीं मौजूद रीना इसी सवाल के जवाब में कहती है कि सरकार रसोई गैस की सब्सिडी तक लील गयी है। वह मुफ़्त गैस सिंलेडर कैसे देगी?

वहीं इस चुनावी यात्रा में हमारे साथ मौजूद वरिष्ठ पत्रकार और साक्षात्कारकर्ता परंजय गुहा ठाकुरता ने, बनारस में बीजेपी कार्यकर्ता के एक होटल के मैनेजर से मुलाकात की। उन्होनें मैनेजर से सवाल किया कि चुनाव में कौन सी पार्टी आगे चल रही है? तब मैनेजर साहब बताते है कि बीजेपी जीत रही है। इसके बाद पत्रकार परंजय मैनेजर से पूछते है कि आपके मालिक बीजेपी से है क्या इसलिए आप कह रहे है कि बीजेपी जीत रही है? तब मैनेजर मुस्कुराने लगता है। फिर पत्रकार परंजय मैनेजर से सवाल करते है कि वास्तव में चुनाव में कौन सी पार्टी जीत रही है? तब मैनेजर की जुबां से समाजवादी पार्टी का नाम निकलता है। फिर वह कहता है कि इस चुनाव में जनता की नज़र में सपा का पलड़ा भारी हैै। 

इसके पश्चात हमने चुनावी माहौल को लेकर बनारस के ‘‘सांध्य समाचारपत्र‘‘ के संपादक ब्रिजेश कुमार से बात की। हमने उनसे सवाल किया आप इस चुनाव को किस तरह से देख रहे है? तब वह बताते कि इस चुुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति मतदाताओं में डर का माहौल बना हुआ है। जिसकी प्रमुख वजह विगत 5 सालों में बढ़ता गुंडाराज और अपराध है। वह आगे कहते है कि मतदाता डर के कारण भी सत्तारूढ़ पार्टी को वोट देने की बात कह रहे है। लेकिन चुनाव के नतीजे अलग देखने मिल सकते है।

आगे हमने सवाल किया इस चुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी में किस तरह की राजनीति नज़र आ रही है? तब ब्रिजेश कुमार जवाब देते हुए कहते है कि अब के चुनाव मेें बीजेपी कार्यों पर चर्चा नहीं कर रही, बल्कि धुव्रीकरण की राजनीति करने पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी जातीय समीकरण को लेकर सियासी खेल-खेल रही है। जिसका असर दोनोें के वोट बैंक पर पडे़गा।

इसके बाद हमने सवाल किया कि क्या इस चुनाव में आपको बनारस में सत्ता विरोधी माहौल दिख रहा है? तब संपादक ब्रिजेश कुमार कहते है कि हमेशा से बनारस में भारतीय जनता पार्टी का प्रभाव रहा है। ऐसे में कई बार बीजेपी प्रत्याशी यहां से जीते है। लेकिन अब की दफ़ा यहां वाकई सत्ता विरोधी माहौल दिख रहा है और बीजेपी और सपा के बीच कड़ा मुक़ाबला है। जिससे माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए बनारस से जीत हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।

ध्यातव्य है कि भारत में उत्तरप्रदेश राजनीति का गढ़ है। जिससे यह चुनाव न सिर्फ भारत की दिशा और दशा तय करेगा, बल्कि आगामी चुनाव पर भी प्रभाव डालेगा। वहीं इस चुनाव में मूल रूप से दो मुद्दे है। एक ओर धार्मिक मुद्दा है। दूसरी ओर आर्थिक मुद्दा है। इन मुद्दों में जनता-जनार्दन के रूझानों से स्पष्ट ज्ञात हो रहा हैै कि अब के चुनाव में धार्मिक मुद्दे पर आर्थिक मुद्दा हावी हैै। और आवाम बुनयादी जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थय, रोजगार को देखते हुए मतदान कर रही है। ऐसे में चुनावी परिणाम क्या होगा, जनता किसे सौपेंगी सत्ता? यह आने वाला वक्त यानी 10 मार्च 2022 का दिन मुकर्रर करेगा।

(सतीश भारतीय स्वतंत्र पत्रकार है) 

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