यूपीः फ़सलों की कटाई के समय हुई भारी बारिश ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया
मानसून के आख़िरी समय में क़रीब एक हफ़्ते हुई बारिश ने उतर प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसानों की खेत में खड़ी धान, बाजरे समेत अन्य फसलों को चौपट कर दिया जिससे किसानों पर अतिरिक्त क़र्ज़ का बोझ बढ़ जाएगा। किसानों का कहना है कि जिन खेतों में धान लगे थे उनमें दो-दो फुट पानी भर गया है, जिससे धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है। उनका कहना है कि यह पकने के कगार पर पहुंच गयी थी और कुछ ही दिनों में इनकी कटाई होनी थी लेकिन लगातार हुई बारिश ने इन्हें बर्बाद कर दिया है। खेतों में लगी फसल बारिश के चलते ज़मीन पर गिर गयी है।
उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले के किसान नेमपाल सिंह न्यूज़क्लिक से हुई बातचीत में बताते हैं कि हम लोग, सौ किसान मिलकर, क़रीब दो हज़ार बिगहा में खेती करते हैं। यही हम लोगों के परिवार की आजीविका का मुख्य श्रोत है। लेकिन ऐन आख़िरी समय में लगातार मूसलाधार हुई बारिश ने हमारी खेती को चौपट कर दिया है। हम लोगों का बड़ा नुकसान हुआ है। धान की फसल निचले खेतों में बोई जाती है इसलिए इन खेतों में लगी धान की फसल पूरी तरह डूब गई है। धान की फसल काटने का समय आ गया था। अगर कुछ दिन और बारिश नहीं होती तो ये फसल काट ली जाती और हम जैसे किसान भारी नुकसान से बच जाते।
नेमपाल का कहना है कि धान और बाजरे की खेती के लिए जो पूंजी लगाई गई थी वह शायद ही निकल पाएगी। अगले फसल की बुआई के लिए पूंजी जुटा पाना काफ़ी मुश्किल होगा। साथ ही सभी खेतों में पानी भरा हुआ है ऐसे में दूसरी फसल की बुआई के लिए खेत भी तैयार नहीं हो पाएगा। हम लोगों के सामने दोहरा संकट पैदा हो गया है।
अलीगढ़ ज़िला के किसान प्रमोद सिंह बातचीत में कहते हैं कि हमने क़रीब बारह बिगहा में धान बाजरे के साथ टमाटर की खेती की है। बारिश के चलते खेत में लगी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। टमाटर का पौधा फल देने लगा था लेकिन खेत में भरे पानी के चलते पौधे की जड़ें निकल आई हैं। इस बार फसल अच्छा लगा थी। हम लोगों को खुशी थी कि उपज अच्छी होगी लेकिन सब कुछ उम्मीद के विपरीत हो गया। बारिश के चलते हमारा बड़ा नुकसान हुआ है। इधर-उधर से पैसा जुटाकर खेती में लगाया था। कृषि अब हम लोगों के लिए चुनौती बन गई है।
किसान नेता सुनील कुमार न्यूज़क्लिक से हुई बातचीत में बताते हैं, "काशगंज और ऐटा क्षेत्र के ज़्यादातर किसान धान और बाजरे की खेती करते हैं। यहां अभी इतनी बारिश हुई है कि इस इलाक़े किसान तबाही के कगार पर पहुंच गए हैं। उनका खेतों में लगी फसल चौपट हो गयी है। बारिश के साथ साथ तेज़ चली आंधी ने फसलों को ज़मीन पर गिरा दिया। धान बिल्कुल पक गई थी। वर्षा नहीं होती तो अब तक आधे से ज़्यादा कट गई होती। पानी में जो फसल डूब गयी है वो तो पूरी तरह सड़ गयी है। ये इलाक़ा चूंकि गंगा यमुना का क्षेत्र है इसलिए यहां के ज़्यादातर किसान धान की खेती बहुतायत में करते हैं।"
सुनील का कहना है कि सरकार और प्रशासन को किसानों के नुक़सान के लिए फ़सल का आंकलन करके उन्हें समय पर मुआवज़ा देने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उन्हें अपने परिवार चलाने के लिए आर्थिक सहयोग मिल सके और अगले फसल की बुआई के लिए किसानों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े।
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