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संघर्ष जारी है: पहलवान गंगा में बहाएंगे अपने मेडल, इंडिया गेट पर करेंगे आमरण अनशन

आज पहलवानों ने एक बहुत ही कठोर संदेश देश के नाम जारी किया है- "तंत्र में हमारी जगह कहां है, भारत के बेटियों की जगह कहां हैं। क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं, ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ़ अपना प्रचार करता है यह तेज सफ़ेदी वाला तंत्र।"
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फ़ोटो साभार: PTI

पिछले एक महीने से अधिक समय से राजधानी दिल्ली में यौन शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहीं महिला पहलवानों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने आज 30 मई को शाम को हरिद्वार जाकर गंगा में अपना मेडल बहाने का एलान किया है। इसके बाद उन्होंने अपने जीने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके बाद वो दिल्ली के इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त देश के चैंपियन पहलवान एक महीने से अधिक समय से न्याय की उम्मीद में जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। इनकी सिर्फ एक ही मांग थी कि यौन शोषण के आरोपी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ़्तार किया जाए।

इसी क्रम में उन्होंने 28 मई को नई संसद के उद्घाटन के मौके पर महिला पंचायत का आह्वान किया था। उस दिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सामने ब्राह्मणवादी कर्मकांड के साथ नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे, उसे लोकतंत्र का मंदिर बता रहे थे उसी समय बाहर जंतर मंतर से लेकर दिल्ली के बार्डर्स पर पहलवानों और उनके समर्थक को लोकतंत्र के मौलिक अधिकार विरोध प्रदर्शन से रोका जा रहा था। उन्हें सिर्फ़ रोका ही नहीं गया बल्कि एक तरह से सत्ता ने पुलिस के साथ मिलकर उनके ऊपर क्रूर हमला भी किया। देश की शान महिला पहलवानों को सड़कों पर घसीटा गया और हिरासत में ले लिया गया। यही नहीं पूरा तंत्र शाम तक उल्टा प्रदर्शनकारियों को ही दोषी साबित करने में लग गया और उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया और जबरन उनके धरने को समाप्त घोषित कर दिया गया। इस पूरी घटना के बाद से ही खिलाड़ी बेहद क्षुब्ध और व्यथित थे।

आज पहलवानों ने एक बहुत ही कठोर संदेश देश के नाम जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि "28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय माँगकर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फब्तियाँ कस रहा है। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को क़बूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक कि पाक्सो एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।"

वे आगे लिखती हैं "अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना ?”

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के व्यवहार पर सवाल करते हुए लिखा कि "यह सवाल आया कि किसे लौटाएं। हमारी राष्ट्रपति को, जो एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ खुद 2 किलोमीटर दूर बैठी सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं… हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध-बुध नहीं ली। बल्कि नयी संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया और वह तेज सफेदी वाली चमकदार कपड़ों में फ़ोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र है।”

पहलवानों ने साफ कहा ये तंत्र इस्तेमाल करता है "तंत्र में हमारी जगह कहां है, भारत के बेटियों की जगह कहां हैं। क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं, ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ़ अपना प्रचार करता है यह तेज सफ़ेदी वाला तंत्र। और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के ख़िलाफ़ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है। इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा माँ है, जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र माँ गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र। मेडल हमारी जान है, हमारी आत्मा है इनके गंगा में बहाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएँगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी।

अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफेदी वाले तंत्र के साथ। आज शाम 6 बजे हम हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित कर देंगे।

इससे पहले इस घटना को लेकर देश के बुद्धिजीवी ,किसान और मज़दूर संगठनों ने अपना बयान जारी कर 28 मई की घटना की निंदा की और पहलानों के समर्थन में बयान जारी किया।

एसकेएम देश भर में करेगा प्रदर्शन

इसी को लेकर 500 से अधिक किसान संगठनों के संयुक्त मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार, 29 मई को अपनी विस्तारित समन्वय समिति की बैठक की।

 इस बैठक में पहलवान एक्शन कमेटी के प्रतिनिधि बजरंग पूनिया विशेष आमंत्रित सदस्य थे। बजरंग ने कहा कि पहलवानों की कार्य समिति उनके संघर्ष के समर्थन में एसकेएम के फैसलों का पूर्ण समर्थन करेगी और महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग पूरी होने तक स्वतंत्र रूप से अपना संघर्ष जारी रखने के लिए सभी प्रयास करेगी। बैठक में आश्वासन दिया गया कि एसकेएम अपनी जीत तक पहलवानों के संघर्ष में समर्थन और सक्रिय रूप से भाग लेगा। बैठक में चर्चा के बाद आगे की कार्रवाई तय की गई।

1. एसकेएम 1 जून 2023 को सभी नागरिकों के विरोध के संवैधानिक अधिकार की रक्षा के लिए और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भारत भर के सभी जिला और तहसील केंद्रों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और पुतला दहन का आह्वान करेगा। एसकेएम इस कार्रवाई को बड़े पैमाने पर और सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियनों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों और व्यापारियों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक आंदोलनों सहित अन्य सभी वर्गों के साथ समन्वय करेगा।

2. 5 जून 2023 को, जिस दिन महंत और आरएसएस कार्यकर्ता बलात्कारी और अपराधी बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में फैजाबाद में रैली करेंगे, एसकेएम उनके अब तक के आपराधिक आचरण का पर्दाफाश करने और पूरे भारत में गांव और शहर स्तर तक उनका पुतला जलाने का आह्वान करेगा।

3. एसकेएम 5 जून 2023 के तुरंत बाद नई दिल्ली में सभा (National Council) की बैठक बुलाएगा और संघर्ष जारी रखने के लिए भविष्य की कार्य योजना तय करेगा।

सेंट्रल ट्रेड यूनियन भी साथ

इसके साथ ही दस सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने अपने साझे बयान में कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच पिछले एक महीने से अधिक समय से न्याय की मांग कर रही महिला पहलवानों के दिल्ली पुलिस द्वारा क्रूर दमन की एक स्वर से निंदा करता है।

28 मई, 2023 को पुलिस की कार्रवाई चरम पर चौंकाने वाली थी, स्पष्ट रूप से अलोकतांत्रिक, मनमानी और जाहिर तौर पर केंद्र सरकार के आदेश पर। यह चौंकाने वाली बात है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह, जिन पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, जिनमें से एक नाबालिग है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद उसे छुआ नहीं जा रहा है।

महिला पहलवानों ने हमारे पितृसत्तात्मक समाज में सामाजिक कलंक को झेलते हुए उसके खिलाफ शिकायत करने की बहुत बड़ी हिम्मत की है। यह उसी तारीख को "नई संसद" के नाम पर खेले गए झांसे और "सेंगोल" के नाटक को भी उजागर करता है, जबकि सेंगोल आम लोगों के लिए न्याय का प्रतीक है।

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 1 जून, 2023 को देश भर में बृजभूषण शरण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने के लिए, और कुछ कम नहीं के समन्वित विरोध कार्रवाई के हमारे किसान भाइयों के आह्वान का केंद्रीय यूनियनों का संयुक्त मंच तहे दिल से स्वागत करता है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच अपनी सभी यूनियनो को अपने इलाके में किसान यूनियनों और अन्य लोकतांत्रिक जन संगठनों के साथ तुरंत संपर्क करने और 1 जून को बृजभूषण शरण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने और दिल्ली पुलिस द्वारा केंद्र सरकार के आदेश पर महिला पहलवानों पर क्रूर दमन की निंदा करते हुए सक्रिय विरोध करने का आह्वान करता है।

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