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ज़मानत पर रहते हुए लालू बैडमिंटन क्यों नहीं खेल सकते?

2021 में, राष्ट्रीय जनता दल के विरोधियों ने पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा विपक्षी दलों को जुटाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर भी सवाल उठाया था।
Lalu yadav

आपको लगता है “कि बैडमिंटन खेलना अपराध है? क्या खाना, घूमना और लोगों से मिलना अपराध है? क्या किसी बीमार व्यक्ति को हमेशा के लिए कैद में रखा जाना चाहिए और कुछ भी न करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।” तेजस्वी यादव ने उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो की दलीलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उठाईं।

चारा घोटाला मामलों में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष को झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने के लिए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसके लिए जांच एजेंसी के वकील ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे लालू के बैडमिंटन खेलते वीडियो का हवाला दिया है। 

23 अगस्त को, सीबीआई के वकील ने कथित तौर पर तर्क दिया कि लालू को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिली है, इसलिए बैडमिंटन खेलने से पता चलता है कि उनका स्वास्थ्य बेहतर है। उन्होंने सर्वोच्च अदालत से उनकी जमानत रद्द करने की गुहार लगाई है। कोर्ट ने मामले को 17 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है। 

बिहार के उपमुख्यमंत्री और लालू के बेटे तेजस्वी ने कहा कि, “उन्होंने (लालू ने) केवल एक या दो शॉट खेले और उसके बाद उन्होंने बच्चों को खेलते खेल का आनंद लिया।” उन्होंने कहा कि, "अदालत से जुड़े मुद्दों पर अदालत में चर्चा होनी चाहिए।"

यह कहा जा सकता है कि अपने पिता के बारे में तेजस्वी की टिप्पणी एक भावनात्मक प्रतिक्रिया थी, लेकिन यहां तक कि झारखंड उच्च न्यायालय के वकील, जिस न्यायालय ने 22 अप्रैल 2022 को लालू को जमानत दी थी, और पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले लोग भी राजद प्रमुख लालू के खिलाफ सीबीआई की याचिका से हतप्रभ थे।

यह अलग बात है कि, “सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की कमजोर दलीलों को दर्ज नहीं किया है। लालू के वकील प्रभात कुमार कहते हैं कि, कोई वकील कोर्ट में इस तरह कैसे बोल सकता है? अगर वकील अदालत में इस तरह की दलील दोहराता है तो न्यायाधीश उसका प्रैक्टिस करने का लाइसेंस रद्द कर सकते हैं,'' ये प्रभात कुमार ही हैं जिन्होंने अप्रैल 2022 में झारखंड उच्च न्यायालय में उनकी ओर से बहस की थी।

ज़मानत की मेरिट

वकील इस बात से सबसे ज्यादा हैरान थे कि सीबीआई अन्य के अलावा स्वास्थ्य के आधार पर लालू प्रसाद यादव की जमानत रद्द करना चाहती है।

पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील देव प्रकाश कहते हैं कि, “लालू की ज़मानत पूरी तरह से मेरिट के आधार पर मिली ज़मानत है। झारखंड उच्च न्यायालय ने उन्हें आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के तहत जमानत दी थी और माना था कि उन्होंने 42 महीने जेल में बिताए, जो कि सीआरपीसी की धारा 436 ए के तहत एक किस्म से आधी से अधिक सजा थी।"

वकीलों का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने जेल में आधी सजा पूरी करने के बाद और उनके खिलाफ "मामलों की प्रकृति" के संदर्भ में लालू की जमानत की अनुमति दी है। “झारखंड उच्च न्यायालय ने तब लालू की जमानत याचिका दो बार खारिज कर दी थी, जब सीबीआई ने दलील दी थी कि उन्होंने अपनी आधी सजा पूरी नहीं की है। कोर्ट ने तभी जमानत दी जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो गया कि उनकी आधी सजा पूरी हो चुकी है।''

सीबीआई की ओर से पेश होने वाले, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि राजद प्रमुख को जमानत देने का झारखंड उच्च न्यायालय का आदेश "कानून की दृष्टि से खराब" और "गलत" था। लेकिन लालू की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि, "लालू ने 42 महीने सलाखों के पीछे बिताए हैं और ऐसे में उनकी जमानत रद्द करने का कोई कारण नहीं बनता है।"

बीजेपी के दुश्मन लालू

23 अगस्त की सुनवाई के बारे में पूछे जाने पर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "उनको नाहक तंग किया जा रहा है - वे (भाजपा और केंद्रीय जांच एजेंसियां) उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान कर रही हैं।" उन्होंने आगे कहा, “केंद्र में सत्ता में बैठे लोग किसी को भी [राजनीतिक विरोधियों] नहीं बख्श रहे हैं। वे सभी को परेशान कर रहे हैं।” उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा कि वे INDIA से डरते हैं, जो विपक्षी पार्टियों (भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन) का गठजोड़ है, जो 2024 के चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ाई की कमान संभालने के लिए खड़ा हो रहा है।

दरअसल, राजद सुप्रीमो 30 वर्षों से भी अधिक समय से भाजपा के खिलाफ वाले खेमे में रहे हैं। मंडल आयोग की रिपोर्ट पर उनका सख़्त और सशक्त रुख तथा 1990 के दशक में लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली भाजपा के खिलाफ उनका जुझारूपन हिंदी पट्टी में लोककथाओं का हिस्सा बन गया था। उनकी पार्टी राजद-बिहार विधानसभा में 80 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी- है और INDIA का प्रमुख घटक है। लालू ने पटना और बेंगलुरु दोनों बैठकों में भाग लिया और 31 अक्टूबर और 1 सितंबर को मुंबई में अगली बैठक में भाग लेने का कार्यक्रम बना हुआ है।

राजद प्रमुख ने लगातार भाजपा का मुकाबला किया है और बार-बार 2024 के चुनावों में मोदी शासन की हार की भविष्यवाणी की है।

रांची की एक निचली अदालत ने 2013 में तथाकथित चारा घोटाला मामलों में लालू को पांच साल की सजा सुनाई थी और जेल भेज दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में शानदार प्रदर्शन किया था। 

लेकिन 2015 में, लालू को जमानत पर रिहा कर दिया गया और उन्होंने नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) के साथ विपक्षी महागठबंधन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भाजपा और कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया था। बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने भाजपा की 53 सीटों के मुकाबले 178 सीटें जीतीं। यह उस राज्य में मोदी फैक्टर के लिए करारा झटका था जहां 2014 में भाजपा और उसके सहयोगियों ने 40 में से 32 लोकसभा सीटें जीती थीं।

भाजपा शायद यह समझती है कि बिहार में लालू-नीतीश की जोड़ी उसके मुकाबले के लिए बहुत शक्तिशाली है। सर्वेक्षणकर्ताओं ने यह भी देखा है कि 2014 के चुनाव अभियान में लालू ने मोदी को पछाड़ दिया था। राजद प्रमुख ने मोदी या अन्य भाजपा नेताओं की तुलना में कहीं अधिक भीड़ खींची और कहीं अधिक तत्परता से जनता को अपने पक्ष में किया था।

चुनाव प्रचार के दौरान लालू को जमानत न मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को तैनात कर दिया था। चारा घोटाला मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद, लालू 2017 में लगभग चार साल के लिए जेल भेज दिए गए। सीबीआई ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उनकी सभी जमानत याचिकाओं का विरोध किया। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लालू जेल में थे।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी राजद को एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली। उन चुनावों में नीतीश की जेडीयू+भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 39 सीटें जीतीं थीं। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि तेजस्वी ने अपने पिता की अनुपस्थिति में रणनीति सीखी और शक्तिशाली रूप से प्रचार किया। राजद 2020 में 78 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

अब चूंकि लालू आज़ाद हैं और तेजस्वी के साथ आ गए हैं, और उनके अनुभवी मित्र और भारतीय गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार भी उनके साथ हैं, इसलिए 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में भाजपा अब मुश्किल में पड़ गई है।

लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया शिक्षक और लोककथाओं के शोधकर्ता हैं। विचार निजी हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

Why Can’t Lalu Play Badminton When on Bail?

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