इक्वाडोर : राष्ट्रीय हड़ताल के दूसरे दिन भी जनता का प्रतिरोध जारी
13 जून से, देशभर में लाखों की संख्या में इक्वाडोर की जनता राष्ट्रपति गुविलोर्मो लासो की दक्षिणपंथी सरकार और उनकी प्रतिगामी आर्थिक नीतियों के विरोध में अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी हड़ताल के हिस्से के तौर पर देश भर के सभी हिस्सों में लामबंद हो रहे हैं। फोटो: अलेक्जेंडर क्रेस्पो
पिछले 13 जून से, लाखों की संख्या में इक्वाडोर की जनता गुइल्लेर्मो लासो की दक्षिणपंथी सरकार और उनकी जन-विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ अनिश्चितकालीन राष्ट्रीय हड़ताल के हिस्से के तौर पर देशभर में लामबंद हो रहे हैं। इस हड़ताल का आह्वान विभिन्न जनजातियों, किसानों एवं सामाजिक संगठनों के द्वारा किया गया था, जिनकी ओर से दस मांगों की एक सूची पेश की गई है जो इक्वाडोर की बहुसंख्यक आबादी की सबसे तात्कालिक जरूरतों को हल किये जाने से संबंधित है।
#Imbabura
El Pueblo Kichwa Karanki, en su octavo día de resistencia recorrió las principales calles de la capital Imbabureña. Además, se sumaron las comunidades de la UNORCAC y sectores sociales de la ciudad.#ParoNacionalEc2022#CONAIE#ParoEcuador#ecuador#Quito pic.twitter.com/nYoWnk7i2f— CONAIE (@CONAIE_Ecuador) June 20, 2022
उनकी मांगों में: ईंधन की कीमतों में कमी लाने और उन पर लगाम लगाने; रोजगार के अवसरों और काम की गारंटी करने; सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को खत्म करने; आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रखने वाली नीतियों को लागू करने; सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ज्यादा बजट का प्रावधान करने; मादक पदार्थों की तस्करी; अपहरण और हिंसा के खात्मे; बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र से आम लोगों के लिए सुरक्षा के उपायों; उनके कृषि उत्पादों पर उचित मूल्य; जनजातीय क्षेत्रों में खनन एवं तेल अवशोषण से जुडी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने; और जनजातीय लोगों और राष्ट्रीयताओं के 21 सामूहिक अधिकारों का सम्मान करने जैसी मांगें शामिल हैं।
लासो प्रशासन इन मांगों पर बर्बर दमन के साथ पेश आता रहा है। पिछले सोमवार से ही पुलिस और सैन्य अधिकारियों के द्वारा प्रदर्शनकारियों के उपर पैलेट गन, आंसू गैस, और पानी की बौछारों को आजमाया जा रहा है। इक्वाडोर के एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एलायंस फॉर ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, 13 जून से 19 जून के बीच में राज्य सुरक्षा बलों ने राष्ट्रीय हड़ताल में हिस्सा लेने वाले नागरिकों के खिलाफ 39 प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघनों का कृत्य किया है। इसमें एक 18 वर्षीय जनजातीय युवा की हत्या करने के साथ-साथ इस दमनात्मक कार्यवाई में 79 लोगों को हिरासत में लिया गया है, और 55 लोगों को घायल कर दिया गया है।
🚨8 días de paralización nacional, pero el gobierno insiste en responder con represión.
Son 10 temas centrales https://t.co/7vtTP4Dlxu, que esperan respuesta para dar alivio a miles de familias.
Las medidas mínimas anunciadas por Lasso son pequeños logros del #ParoNacionalEC pic.twitter.com/tg14uVzAKu— CONAIE (@CONAIE_Ecuador) June 20, 2022
राजकीय दमनात्मक कार्यवाई
शनिवार, 18 जून को राष्ट्रपति लासो ने पिचंचा, कोटोपैक्सी और इम्बाबुरा प्रान्तों में आपातकाल की स्थिति की घोषणा कर दी थी, जहाँ पर विरोध सबसे मजबूती से चल रहा था। इन प्रान्तों के सैन्यीकरण को चाक-चौबंद करने के साथ कई संवैधानिक अधिकारों को फिलहाल के लिए निरस्त कर दिया गया है।
रविवार, 19 जून को राजधानी क्यूटो में राष्ट्रीय पुलिस ने सामाजिक विरोध प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के उद्येश्य से अन्य प्रान्तों से लाये गए पुलिसकर्मियों के निवास हेतु आधार के रूप में इसकी सुविधाओं का उपभोग करने के लिए बेंजामिन कैरियन सांस्कृतिक केंद्र को अपने कब्जे में कर लिया था। पुलिस के द्वारा अधिग्रहण करने से कुछ घंटे पहले ही राज्य अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के अधिकारियों के द्वारा केंद्र पर छापा मारा गया था। उनका तर्क था कि उन्हें एक गुमनाम शिकायत मिली है, जिसके अनुसार प्रदर्शनकारियों ने वहां पर विस्फोटकों को जमा कर रखा है। हालाँकि, अधिकारियों को वहां से कुछ नहीं मिला है।
इस जबरन अधिग्रहण और छापा मारने की घटना को मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से व्यापक रूप से नकार दिया गया है। कई नेताओं का इस बारे में कहना है कि इस केंद्र को इसलिए निशाना बनाया गया है क्योंकि अक्टूबर 2019 की राष्ट्रीय हड़ताल के दौरान इस सेंटर ने पूर्व राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो की सरकार द्वारा घोर पुलिसिया दमन के जवाब में नागरिकों को मानवीय आधार पर आश्रय प्रदान करने का काम किया था।
केंद्र के निदेशक फ़र्नांडो सेरोन ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “बड़े दुःख के साथ मुझे इस बात को कहना पड़ रहा है कि आज संस्कृति खत्म हो चुकी है। जिंदगी, ख़ुशी, विविधता और बहुलता के उपर अत्याचार, अन्धकार, और आतंक ने अपनी जीत दर्ज कर ली है। आज के दिन, देश के भीतर मौजूद सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थान पर आतंक का राज कायम है। पिछली दफा 46 साल पहले हाउस ऑफ़ कल्चर पर तानशाही के दौरान पुलिस ने अपना कब्जा जमाया था। आज हम फिर से एक बार तानाशाही में जी रहे हैं। यह विचारों की आजादी वाला यह घर एक बार फिर से आतंक के हाथों गिरफ्त हो चुका है।”
सोमवार, 20 जून को राष्ट्रपति लासो ने सामाजिक प्रदर्शनों पर अपनी दमनात्मक एवं अपराधीकरण नीतियों को जारी रखते हुए आपातकाल की स्थिति को छह प्रान्तों: पिचिंचा, इम्बाबुरा, चिम्बोराजो, तुन्गुराहुआ और पस्ताज़ा तक में विस्तारित कर दिया है।
प्रतिरोध
इसके बावजूद, आपातकाल की स्थिति और क्रूर पुलिसिया एवं सैन्य दमन को धता बताते हुए उदारवादी अर्थनीति के खिलाफ लाखों की संख्या में लोगों का जमावड़ा सड़कों पर बना हुआ है।
#MoronaSantiago activa a estas horas en la entrada a Patuca, 8vo día #ParoNacionalEcuador pic.twitter.com/AG4w0bxqWh
— CONFENIAE (@confeniae1) June 21, 2022
हड़ताल के मुख्य आयोजकों में से एक द कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिजेनस नेशनलटीज ऑफ़ इक्वाडोर (सीओएनएआईई) ने आश्वस्त किया है कि जब तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता है तब तक यह हड़ताल जारी रहने वाली है।
सीओएनएआईई के अनुसार, जनजातीय समुदायों ने पिछले सोमवार से देश के 24 में से कम से कम 16 प्रान्तों की सड़कों पर चक्काजाम कर रखा है। हड़ताल के आठवें दिन, सीओएनएआईई ने सूचित किया कि देश के सभी हिस्सों से जनजातीय लोग अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए क्यूटो पहुँच रहे हैं।
सीओएनएआईई ने इस बात की निंदा की है कि प्रदर्शनों और चक्काजाम पर सुरक्षा बलों के साथ साथ दक्षिणपंथी उग्रवादी भीड़ के द्वारा हमला किया गया, जिन्होंने महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को अपना निशाना बनाया। महासंघ ने आपातकाल और दमन के हालात की भी आलोचना की है।
सीओएनएआईई ने अपने बयान में कहा है, “आपातकाल की घोषणा का फरमान नागरिक अधिकारों को सीमित करता है और लोगों को आपस में लड़ाता है। राष्ट्रीय हड़ताल के 8वें दिन तक, 81 लोगों को हिरासत में ले लिया गया था, 52 को चोटें, 4 को गंभीर चोटें, 11 को आँखों और चेहरे पर चोटें और 1 मौत की घटना दर्ज की गई थी।”
महासंघ ने जोर देकर कहा है, “जिस देश में कानून और लोकतंत्र का राज हो, वहां पर मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाता है और न ही हिंसा, पुलिस और सैन्य दमन को न्यायोचित ठहराया जाता है।” इसमें आगे कहा गया है कि, “कानून के राज में, विरोध करने के अधिकार की गारंटी होती है। सामाजिक क्षेत्र के नेताओं, मानवाधिकार रक्षकों के जीवन और अखंडता को खतरे में नहीं डाला जाता है, और नस्लवाद, भेदभाव और विदेशियों से घृणा को बढ़ावा नहीं दिया जाता है।”
विपक्ष के द्वारा की गई कार्यवाई
विपक्षी हलकों से भी लासो सरकार के द्वारा स्थिति से निपटने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने के बजाय दमन और हिंसा का सहारा लेने की आलोचना की गई है। 21 जून को विपक्ष के द्वारा नियंत्रित राष्ट्रीय सभा ने 137 वोटों में से 81 वोटों के साथ एक प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी, जिसमें सरकार से जनजातीय संगठनों एवं अन्य क्षेत्रों के साथ बातचीत करने का आग्रह किया गया था। प्रस्ताव के माध्यम से, एक सदन वाली कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और कैथोलिक चर्च जैसे संगठनों से इस वार्ता में हिस्सा लेने और इस संकट को हल करने के लिए उचित उपायों को प्रस्तावित करने का आह्वान किया है।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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