क्यों बेरोज़गारी के लाभ का विचार कंज़रवेटिव दिमाग़ को डराता है
जब अमरीकी कांग्रेस ने इस वर्ष की शुरुआत में केयर्स (CARES) अधिनियम पारित किया था, तो वहाँ के सांसदों के माध्यम से कम वेतन पाने वाले अमेरिकियों को कुछ राहत मिली जो लोग अपनी नौकरी और आय दोनों खो चुके थे, वैसे भी यह वर्षों से चली आ रही मांग थी: कि उन्हे 600 डॉलर प्रति सप्ताह दिया जाए, जो 40 घंटे के काम के एवज़ में 15 डॉलर प्रति घंटे बैठता है। क्योंकि संघीय न्यूनतम वेतन की दर इस मांग के आधे से भी कम है – इसलिए संसद में कंजरवेटिव सांसदों की घुसपैठ की वजह से गरीबों के खिलाफ एक वर्गीय युद्ध चल रहा है। कोरोनोवायरस महामारी से पैदा हुई विडंबना को अमेरिकी मजदूर जो समाज के निचले पायदान पर है को इस दौरान बहुत कुछ झेलना पड़ा है। 600 डॉलर का यह बेरोजगारी लाभ इतना लोकप्रिय हो गया कि यहां तक कि केयर्स (CARES) अधिनियम के खिलाफ मतदान करने वाले कुछ रिपब्लिकन भी अपने घटकों के सामने इसके बारे में घमंड करने लगे हैं लेकिन यह बताने में हिचकिचा रहे कि उन्होने अपने अधिकांश जीओपी सहयोगियों की तरह, शुरू में इस प्रावधान का विरोध किया था।
बेरोजगार श्रमिकों को प्रति सप्ताह 600 डॉलर का भुगतान करने के खिलाफ कंजरवेटिव सांसदों का मुख्य तर्क यह था कि मालिक लोग उन्हें वापस कार्यबल में लुभाने की कोशिश करेंगे-फिर चाहे वह सुरक्षित हो या नहीं– उनको सरकारी वेतन/भुगतानों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। सीनेट के प्रमुख नेता मिच मैककोनेल (आर-केवाई) ने ज़ोर देकर कहा कि, "हम काम पर जाने के बजाय घर पर रहने को अधिक लाभदायक नहीं बना सकते हैं।" इसके बारे में सोचें: इस अनुमानित उदार लाभ के बराबर सालाना वेतन 31,000 डॉलर प्रति वर्ष से कुछ अधिक बैठता है। यदि मालिक/नियोक्ता इतने कम वेतन से प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं, तो इसका मतलब यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था में कुछ गड़बड़ी है। लॉस एंजिल्स में जहां मैं रहता हूं, वहाँ यह राशि दो-बेडरूम अपार्टमेंट के किराए के लायक भी नहीं है।
फिर भी, अमेरिकी मजदूर इतना कम वेतन पाते है कि 600 डॉलर सप्ताह का लाभ, एक वक़्त के 1,200 डॉलर के प्रोत्साहन के बेहतर कदम है, जिससे लोगों के वास्तविक खर्च में बढ़ोतरी हुई है और अर्थव्यवस्था कुछ हद तक रास्ते पर आ गई है। इस साल के मई तक, दो महीने पहले अर्थव्यवस्था के नाटकीय ढंग से गिरने से बाद खर्च में 8.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुहै है। जून के अंत में एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, "संघीय धन के माध्यम से 20 अरब डॉलर को अर्थव्यवस्था में पंप किया गया है जिसने कई बेरोजगारों को ज़िंदा रहने में मदद की है।" एक अनुमान के अनुसार, इस लाभ का फायदा राष्ट्र के कुल मजदूरों के 15 प्रतिशत हिस्से को मिला है, और अब "बेरोजगार लोग महामारी से पहले की तुलना में अधिक खर्च कर रहे हैं, जबकि जिनके पास नौकरी है वे कम खर्च कर रहे हैं।"
लगभग उसी दौरान सबसे अमीर अमेरिकियों का खर्च कम हुआ है। क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में नाटकीय रूप से वर्ष की पहली छमाही में गिरावट आई है – यह एक ऐसी प्रवृत्ति जिसके लिए राष्ट्र के सबसे धनी लोगों को जिम्मेदार हैं। वे व्यवसाय जो महामारी से पहले दुनिया की सबसे लक्जरी वस्तुओं और अमीर लोगों को दी जाने वाली कीमती सेवाओं पर खर्च करने पर निर्भर थे को बड़ा धक्का लगा है। एक अध्ययन ने इसके आपसी संबंध पर नज़र डाली और निष्कर्ष निकाला कि, "उच्च आय वालों में खर्च में गिरावट आने से देश में सबसे संपन्न ज़िप कोड में काम करने वाले कम आय वाले व्यक्तियों का रोजगार का नुकसान हुआ है।"
इस तरह के एक अध्ययन से व्यापक निष्कर्ष यह भी निकला है कि कामकाजी गरीबोंकी मजदूरी काफी हद तक अमीर लोगों के लक्जरी खर्च पर निर्भर करती है - अमेरिकी अर्थव्यवस्था में यह एक बढ़ती और गहरी सड़ांध का स्पष्ट संकेत है क्योंकि धन और आय की असमानता साल दर साल बढ़ती जा रही है। यदि कंजरवेटिव सांसद 7.25 डॉलर प्रति घंटे से अधिक के संघीय न्यूनतम वेतन में वृद्धि के रास्ते में नहीं खड़े हुए तो संभावना है कि कोविड-19 संकट के समय सबसे गरीब अमेरिकियों पर कम आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।
वर्षों से कंजरवेटिव का मत रहा है कि उच्चतर न्यूनतम वेतन से आर्थिक सर्वनाश होगा, और कहा कि इसके चलते निगमों को नौकरियों में कटौती करनी होगी - जैसे कि वर्तमान में ये निगम जरूरत से अधिक श्रमिकों को रख रहे हों? इस तरह की धारणाओं ने अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाया है।
शायद आर्थिक रूप से संभ्रांत लोग भयभीत हैं कि इससे अमेरिकियों को कम से कम 600 डॉलर प्रति सप्ताह भुगतान की आदत पड़ सकती है। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने स्वीकार किया कि, “हम लोगों को काम न करने के लिए इनाम दे रहे हैं। यह उनके वेतन से भी बेहतर स्थिति होगी। ”कुडलो लंबे समय से स्थिर और अपेक्षाकृत बेहतर आय प्रदान करने के बजाय अपने कम-भुगतान वाली नौकरियों में लौटने के लिए अमेरिकियों को एक बारगी राशि का चेक देने के लिए अधिक तैयार हैं।
कुडलो और अन्य धनी अभिजात वर्ग का देश की आर्थिक नीति पर लगातार असर बढ़ रहा है, और डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन में यह प्रभाव अधिक बढ़ा है। ट्रम्प ने अपने शीर्ष कैबिनेट पदों पर विभिन्न अरबपतियों को अपनी पसंद के माफिक बैठाते हुए कहा था कि, "मैं ऐसे लोगों को चाहता हूं जिन्होंने अपने मुस्तकबिल को बनाया है क्योंकि अब वे आपके साथ बातचीत कर रहे हैं।" यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ट्रम्प के ट्रेजरी सचिव स्टीवन मेनुचिन, जिनकी धन-दौलत लगभग 400 मिलियन डॉलर है, ने बेरोजगार श्रमिकों को अधिक भुगतान करने के खिलाफ शिकायत की है। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ से चर्चा के दौरान कहा, "घर बैठे पैसा देना वह भी करदाता डॉलर का इस्तेमाल कर और बिना काम किए बेहतर कदम नहीं होगा।" मन्नुचिन के पास करदाताओं का बचाव करने का कोई बेहतर आधार नहीं है, क्योंकि उन्होंने अपनी आय को विदेशी यानि अपतटीय कर के दायरे में सुरक्षित रखा हुआ है।
वास्तव में, येल शोधकर्ताओं ने पाया है कि सरकारी सहायता ने कृत्रिम रूप से रोजगार की दरों को कम नहीं किया है और न ही "महामारी की शुरुआत के दौरान छंटनी को प्रोत्साहित किया और न ही व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए लौटने वाले लोगों को काम पर लौटने से रोका।" अपेक्षाकृत बेरोजगारों को उदार लाभ ने अंत में मजदूरी पर एक कदम बढ़ाने के बारे में राष्ट्रीय स्तर की एक बहस को चिंगारी दी है। अब जब कि कार्यबल के बड़े हिस्से ने एक खास आय का अनुभव किया है जो कि 15 डॉलर प्रति घंटा है, तो वेतन बढ़ाने की सार्वजनिक भूख अधिक बढ़ेगी। इसके अलावा, महामारी ने दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों को इस बात का अध्ययन करने का मौका दे दिया है कि इस तरह के बड़े पैमाने पर किए गए प्रयोग का आखिर क्या प्रभाव पड़ता है जिसका अध्ययन यूनिवर्सल बेसिक इनकम के प्रस्तावक सालों से करना चाहते हैं।
उपभोक्तावाद पर आधारित अर्थव्यवस्था के समर्थकों को विचार करना चाहिए। यदि कर-डॉलर सुनिश्चित करता हैं कि सबसे गरीब अमेरिकियों की मूल आय रहे, तो यह उपभोक्ता खर्च को स्थिर करने की संभावना रखता है। यहां तक कि कुछ अरबपतियों को इस विचार का मूल्य समझ आता है। टॉयलेट राइटर और ह्यूस्टन रॉकेट्स के मालिक टिलमैन फर्टिटा ने कहा, "जब आप 600 डॉलर एक हफ्ते में देंगे तो अर्थव्यवस्था पहले की तरह हो जाएगी।"
कोई भी इस बात की कल्पना कर सकता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प, जिन्होंने एक मजबूत अर्थव्यवस्था की अपनी पुनरावृत्ति रणनीति को दोहराया है, वे इस तरह की नीति का समर्थन करेंगे। लेकिन यह विचारधारा है जो आम अमरीकी के लिए मूल आय के सरकार के "समाजवादी" रुख का रिपब्लिकन हमलों का विरोधाभासी प्रतिनिधित्व करती है। यदि सरकार अमीर कुलीनों और निगमों (जैसा कि अब मामला है) के बजाय गरीब अमेरिकियों के पक्ष में अर्थव्यवस्था को धकेलती है, तो यह मेडिकेयर फॉर ऑल, एक ग्रीन न्यू डील जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों का दरवाजा खोल देगी, और निश्चित रूप से एक संघीय न्यूनतम वेतन में वृद्धि होगी। और उन पूंजीवादी विचारकों के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण बनेगी जो वर्तमान में नीति निर्धारित कर रहे हैं।
सोनाली कोल्हाटकर "राइज़िंग अप विद सोनाली" की संस्थापक, मेज़बान और कार्यकारी निर्माता हैं। यह एक टेलीविज़न और रेडियो शो है जो फ़्री स्पीच टीवी और पैसिफ़िक स्टेशनों पर प्रसारित होता है।
यह लेख इकोनॉमी फ़ॉर ऑल पर प्रकाशित हो चुका है, जो स्वतंत्र मीडिया संस्थान की एक परियोजना है।
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