लड़कों को महिलाओं के साथ व्यवहार के बारे में सीख प्राथमिक वर्ग से दी जानी चाहिए : अदालत
केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि लड़कों को सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की या महिला को उसकी बिना मर्जी के नहीं छूना चाहिए और यह सीख उन्हें स्कूल और परिवारों में दी जानी चाहिए।
अदालत ने समाज में यौन उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि अच्छे व्यवहार और शिष्टाचार संबंधी पाठ कम से कम प्राथमिक स्तर से पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि लड़कों को यह समझना चाहिए कि ‘‘नहीं’’ का मतलब ‘‘नहीं’’ होता है। उसने समाज से आग्रह किया कि वह लड़कों को स्वार्थी और आत्मकेंद्रित होने के बजाय उन्हें नि:स्वार्थ और सज्जन बनना सिखाएं।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने उत्पीड़न के एक मामले में एक कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति के आदेश और कॉलेज के प्राचार्य द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली एक अर्जी पर विचार करते हुए कहा कि एक महिला के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना पुराने जमाने का रुख नहीं, बल्कि हमेशा बरकरार रहने वाला सदाचार है।
न्यायाधीश ने 18 जनवरी को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘लड़कों को पता होना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की/महिला को उसकी स्पष्ट सहमति के बिना नहीं छूना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि ‘‘ना’’ का मतलब ‘‘ना’’ होता है।’’
ज्ञात हो कि लड़कियों और महिलाओं के ख़िलाफ़ लगातार हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही हैं। पिछले वर्ष की एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में देश भर में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 4,28,278 मामले दर्ज किए गए जो साल 2020 में महिलाओं के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए अपराध से 15.3% था यानी महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा वृद्धि दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश में साल 2021 में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के 56,083 मामले दर्ज किए गए थे।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के साल 2021 में 40,738 मामले दर्ज किए गए जो वर्ष 2020से क़रीब छह हज़ार अधिक था।
ज्ञात हो कि यूपी में वर्ष 2021 में रेप के 2,845 मामले दर्ज किए गए। रेप के मामले में यूपी तीसरे नंबर पर रहा। वहीं राजस्थान में सबसे ज़्यादा 6,337 रेप के मामले दर्ज हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में 2,947 मामले सामने आए।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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