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अदालतें सरकार को संसद द्वारा पारित क़ानून को अधिसूचित करने का निर्देश नहीं दे सकती : सुप्रीम कोर्ट

‘‘संसद द्वारा पारित क़ानून को अधिसूचित करने का काम सरकार का है। यह अदालतों की शक्तियों से परे है। माफ़ कीजिए, यह नीति का मामला है। हम इस पर निर्देश नहीं दे सकते।’’
Supreme court

उच्चतम न्यायालय ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के कुछ प्रावधान लागू करने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि अदालतें सरकार को संसद द्वारा पारित किसी कानून को अधिसूचित करने का निर्देश नहीं दे सकतीं।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘संसद द्वारा पारित कानून को अधिसूचित करने का काम सरकार का है। यह अदालतों की शक्तियों से परे है। माफ कीजिए, यह नीति का मामला है। हम इस पर निर्देश नहीं दे सकते।’’

प्रधान न्यायाधीश ने इस संबंध में अपने फैसले के संदर्भ में कहा, ‘‘हम सरकार को यह आदेश नहीं दे सकते कि वे कानून को अधिसूचित करें।’’

शीर्ष न्यायालय सीमा बी कय्यूम द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें केंद्र को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के एक हिस्से को अधिसूचित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

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