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डीयू: अधूरी कक्षाओं और बिना स्टडी मटेरियल के कैसे परीक्षा देंगे एसओएल छात्र!

विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। बिना कक्षाओं और स्टडी मटेरियल के छात्रों के बड़ी संख्या में फेल होने की ज़मीन तैयार की जा रही है।
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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में प्रशासन द्वारा बिना तैयारी के इंटरनल असेसमेंट और समेस्टर परीक्षाओं की घोषणा से विद्यार्थियों में काफी चिंता और रोष है। क्रांतिकारी युवा संगठन के नेतृत्व में बीते रविवार, 19 फरवरी को सैकड़ों एसओएल छात्रों ने आर्ट्स फैकल्टी से डीयू कुलपति आवास तक रैली निकाली। संगठन का कहना है कि अगर अभी भी प्रशासन नींद से नहीं जागता तो छात्र अपनी मांगों को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तक पहुंचेंगे।

विरोध कर रहे छात्रों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि प्रशासन का आनन-फानन में परीक्षाओं को लेकर किया गया फैसला लाखों छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा। समेस्टर सिस्टम के तहत अगले सफ्ताह करीब 28 फरवरी से एसओएल की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं लेकिन अभी तक सभी छात्रों को स्टडी मटेरियल ही नहीं मिला है। कक्षाएं नियमित रूप से नहीं लग रही हैं। ऐसे में छात्र कैसे परीक्षा देंगें।

छात्र संघ क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में भारी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में डीयू वीसी से आगामी समेस्टर परीक्षाओं को टालने की मांग की। साथ ही एसओएल के छात्रों को भी रेगुलर छात्रों की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने की गुहार लगाई।

कई बार प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश, लेकिन हर बार सिर्फ़ आश्वासन

केवाईएस के राज्य समिति सदस्य भीम ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उन्होंने डीयू प्रशासन द्वारा सेमेस्टर सिस्टम लागू करने से लेकर अब तक एसओएल छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव, तमाम प्रावधानों की अनदेखी और छात्रों की समस्याओं को लेकर कई बार प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही उनके हाथ लगा।

बता दें कि एसओएल में अव्यवस्था, अधूरी कक्षाएं और परीक्षा से पहले स्टडी मटेरियल न मिलने का मुद्दे पहली बार सामने नहीं आया। ये बीते कई सालों से हर बार की कहानी बन गया है। इस संबंध में केवाईएस और एसओएल छात्रों ने एसओएल और डीयू प्रशासन को कई ज्ञापन भी सौंपे हैं। हालांकि यह समस्याएं फिर भी जारी हैं, और स्थिति बद-से-बदतर होती जा रही हैं।

भीम कहते हैं कि डीयू प्रशासन लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। छात्र सेमेस्टर मोड और सिलेबस से पहले ही जूझ रहे हैं। क्योंकि सेमेस्टर सिस्टम को प्रशासन की ओर से बिना किसी तैयारी के अचानक स्टूडेंट्स पर थोपा दिया गया था। फिर कोरोना ने वैसे ही सब पर ग्रहण लगा दिया। ऐसे में एक बार फिर बीना तैयारी के परीक्षाएं से लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है।

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भीम का आगे कहना है, "जहां रेगुलर छात्रों के पास रेगुलर कक्षाएं, बेहतर लाइब्ररी, आल रूट बस पास जैसी तमाम सुविधाएं हैं तो वहीं एसओएल छात्रों को अनियमित और अव्यवस्थित कक्षाओं, लाइब्ररी की कमी, स्टडी मेटेरियल में गड़बड़ियाँ और लेट रिज़ल्ट संबंधी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में परीक्षाओं से पूर्व छात्रों के लिए जरूरी मूलभूत सुविधायेँ सुनिश्चित नहीं करने से इस सत्र में भारी अव्यवस्था देखने को मिली है, जिसका खामियाजा अंत में छात्रों को ही भुगतना पड़ेगा।"

अवव्यवस्थित क्लासेस, अधूरा स्टडी मटेरियल

एसओएल से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स की पढ़ाई कर रहे सत्यम बताते हैं कि अभी तक उनकी मात्र 10 कक्षाएं ही हुई हैं, वो भी अवव्यवस्थित तरीके से जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों को एक कक्षा में पढ़ाया गया। स्टडी मटेरियल भी उन्हें आधा ही मिल पाया है। ऐसे में सत्यम कहते हैं कि यूजीसी की गाइडलाइन के हिसाब से एसओएल के स्टूडेंट्स को छपा हुआ स्टडी मटेरियल देना जरूरी है, लेकिन छात्रों को अब तक यह पूरा नहीं मिला है। ना ही इसे लेकर कोई अन्य सुविधा दी जा रही है ऐसे में अगले सफ्ताह से परीक्षा में वो क्या लिखेंगे उन्हें खुद नहीं पता, क्योंकि बिना तैयारी के परीक्षा में बैठना उनके लिए काफी मुश्किल है।

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बीए प्रथम वर्ष की छात्रा पूजा कहती हैं कि कल रविवार के दिन प्रदर्शन के बाद उन्हें स्टडी मटेरियल मिला है। कक्षाएं उनकी ऑनलाइन हुई हैं, वो भी ठीक से नहीं क्योंकि कई बार कब किस माध्यम से क्लास होनी है इसकी जानकारी सही तरीके से मिल नहीं पाती। पूजा के दो विषय भी बदल दिए गए हैं। ऐसे में उनके लिए अब अचानक उन दो विषयों की तैयारी भी एक चुनौती है।

ऑनलाइन वाइवा कई के लिए बड़ी समस्या

एक अन्य छात्रा शमा बताती हैं कि उन्हें बीते सप्ताह काफी देर से स्टडी मटेरियल मिला, उनके कई साथियों के आखिरी समय में विषय और स्ट्रीम दोनों बदल दिए गए, जिससे उन्हें अलग दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा शमा कहती हैं कि उनका वाइवा ऑनलाइन लिया जा रहा है, जो बहुत मुश्किल है, क्योंकि हर किसी के पास पर्सनल स्मार्ट फोन हर समय डेटा के साथ नहीं होता। कई निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए ये कठिन भी है। ऊपर से इस वाइवा को लेकर कोई प्रॉपर इंस्ट्रकशन पहले से नहीं दिए गए। कैसे, जवाब समिट करने हैं, कैसे पेपर समिट होगा आदी। इसके चलते अलग दिक्कतें पेश आ रही हैं।

गौरतलब है कि प्रशासन पर कई छात्र ऐन समय पर विषय और स्ट्रीम बदलने का भी आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि एडमिशन के समय छात्रों की कोई जांच, स्क्रीनिंग नहीं हुई। जिसने जिस विषय, संकाय में फार्म भरा उसे एडमिशन मिल गया, फीस ले ली गई लेकिन अब परीक्षाओं से पहले प्रशासन स्क्रीनिंग के नाम पर कम नंबरों या अन्य नियम बताकर अचानक छात्रों के विषय और स्ट्रीम बदल रहा है, जो अपने आप में एक गंभीर मसला है। ऐसे में ये देखना होगा की प्रशासन और छात्रों के बीच कैसे तालमेल बैठता है और दिल्ली विश्वविद्यालय कैसे तमाम सुविधाओं और व्यवस्था को सुनिश्चित करता है।

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