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दिल्ली: यौन उत्पीड़न को लेकर पीड़िता व SKU कार्यकर्ताओं से मिले स्वास्थ्य मंत्री, दिया न्याय का भरोसा

अस्पताल प्रशासन पर मनमानी और ठेका कंपनी से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए यूनियन के नेतृत्व में सफाई कर्मचारी प्रदर्शन भी कर चुके हैं लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है।
sku

सफाई कामगार यूनियन (SKU) के कार्यकर्ताओं ने बुराड़ी अस्पताल यौन उत्पीड़न मामले के पीड़िताओं के साथ कल शुक्रवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से मुलाकात की। मंत्री के समक्ष मामले से जुड़े कानूनी मुद्दे और विभिन्न खामियों को भी उठाया गया। स्वास्थ्य मंत्री ने पीड़िताओं को न्याय का भरोसा दिलाया।

ज्ञात हो कि दिसंबर के पहले हफ्ते में बुराड़ी अस्पताल में सफाई और हाउसकीपिंग सेवाएं देने वाली कॉन्ट्रैक्ट कंपनी, ग्लोबल वेंचर्स, के सुपरवाइजर और मैनेजर ने महिला सफाई कर्मचारियों का यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी। साथ ही, उन्होंने महिला सफाई कामगारों को नौकरी से निकाल देने की धमकी भी दी थी। यौन उत्पीड़न और धमकियों की शिकायत को लेकर पीड़िताओं ने मेडिकल डायरेक्टर, डॉ. आशीष गोयल और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, डॉ. स्वर्ण सिंह से संपर्क किया लेकिन आरोपितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। गत 19 दिसंबर को जब पीड़िताओं ने एक बार फिर मेडिकल डायरेक्टर से बात करने की कोशिश की तो आरोपितों ने तीन सफाई कर्मचारियों नितिन, नीरज गुप्ता और सुशील की मदद से उनके साथ मारपीट की। इसके बाद पीड़िताओं ने पुलिस को बुलाया और धारा 323/354/506/509/34 के तहत ठेका कंपनी ग्लोबल वेंचर्स के तीन सुपरवाइजर और एक प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

SKU ने कहा कि यौन उत्पीड़न की इस घटना से पहले बुराड़ी अस्पताल में कोई आंतरिक शिकायत समिति (ICC) नहीं थी और पीड़ितों को कभी भी आईसीसी के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए नहीं कहा गया था। मीडिया का ध्यान खींचने वाली इस घटना के मद्देनजर, ऐसा साफ प्रतीत होता है कि जल्दबाजी में एक आईसीसी गठित की गई जिसमें महिला सफाई कामगारों के प्रतिनिधि तक नहीं हैं। इसलिए सफाई कर्मचारियों को डर है कि आईसीसी का उद्देश्य अस्पताल प्रशासन के उन अधिकारियों को बचाना है जो सफाई कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न और शोषण में संलिप्त रहे हैं।

इस मामले पर मुख्य सचिव ने आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के मिनट्स के साथ एक्शन टेकन रिपोर्ट को मीडिया से साझा किया। आईसीसी के मिनट्स केवल कार्यपालक अधिकारियों के साथ साझा किए जाते हैं। अन्य प्राधिकारियों और मीडिया के साथ मिनटों को साझा करना आईसीसी की स्वायत्तता का गंभीर उल्लंघन है और इसके जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

गौरतलब है कि एटीआर में लिखा है कि दिल्ली पुलिस द्वारा दोषी पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। यह शर्मनाक है और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में कार्यवाही के खिलाफ है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यौन उत्पीड़न का खुलासा करने वाली शिकायतों में पीडिताओं के बयान को सच माना जाता है। अभियुक्त के दोषी न होने को साबित करने का दायित्व अभियुक्त पर होता है। पीड़िता का बयान तब तक सच माना जाता है जब तक कि उसे सबूत के साथ नकार न दिया जाए। यह कथन पीड़िता की गवाही को तिरस्कृत करता है। इसके अलावा, आईसीसी मिनट्स को मीडिया के साथ साझा करने से जांच प्रभावित होती है और आरोपियों को खुद को बचाने का मौका मिलता है। आईसीसी मिनट्स का सार्वजनिक किया जाना पीड़िताओं की पहचान और उनकी गवाही को सभी के सामने लाता है और यह कार्यवाही का खुलेआम उल्लंघन करता है।

मौजूदा मामले में, महिलाओं को अपनी शिकायतें साझा करने और घटनाओं को सामूहिक रूप से बताने के लिए कहा गया। ज्ञात हो कि यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िताओं की गवाही सामूहिक न होकर व्यक्तिगत रूप से ली जाती है। अस्पताल प्रशासन ने इस घटना को केवल तीन महिलाओं तक सीमित करने का प्रयास किया है। यौन उत्पीड़न की व्यापक और बार-बार होने वाली घटनाओं की सूचना पहले अधिकारियों को दी गई थी लेकिन उसके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। मीडिया में मामले के उजागर होने के बाद अस्पताल घटना को मामूली बता रहा है। प्रशासन का रवैया घटनाओं की गंभीरता को कम करना और स्वयं को बचाने का है।

ज्ञात हो कि बुराड़ी अस्पताल में यौन उत्पीड़न की यह पहली घटना नहीं है। ऐसी ही शर्मनाक घटना जून में हुई थी जब सफाई का काम ठेका कंपनी, कार्तिकेय, द्वारा कराया जा रहा था। आरोपितों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बावजूद उन्हें नवंबर में नई ठेका कंपनी, ग्लोबल वेंचर्स, के तहत एक बार फिर अस्पताल में काम पर लाया गया। सफाई कामगार यूनियन का आरोप है कि पिछली घटना में भी उपरोक्त सफाई कर्मचारियों की मिलीभगत से उन्हीं आरोपी व्यक्तियों द्वारा पीड़िता पर लगातार यौन संबंधों के लिए दबाव डाला गया था और धमकी दी गई थी। नतीजतन पीड़िता को अंततः अपनी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यह शर्मनाक और चौंकाने वाली बात है कि मेडिकल डायरेक्टर, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और डायरेक्टर ऑफ नर्सिंग स्टाफ को पिछली घटना की पूरी जानकारी होने के बावजूद आरोपी व्यक्तियों को अस्पताल में फिर से काम करने की अनुमति दी गयी।एसकेयू का आरोप है कि पिछली घटना की तरह इस बार भी पीड़िताओं को अपनी शिकायत वापस लेने या अपना बयान बदलने के लिए कंपनी की ओर से लगातार धमकियों और दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

इस संबंध में आरोप है कि सफाई कर्मचारियों को अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत से ठेका कंपनी के हाथों भारी शोषण का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें कानूनी रूप से अनिवार्य न्यूनतम वेतन, ESI, EPF, बोनस आदि नहीं मिल रहा है। इसे कई बार मौखिक और लिखित रूप से अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में लाया गया है लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। गौरतलब है कि सफाई कर्मचारियों को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित अनिवार्य न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है। हर महीने कर्मचारियों के वेतन से 4,000 रुपये की कटौती की जाती है। यह सरकारी अस्पताल में एक बड़ा वेतन घोटाला है।

अस्‍पताल में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों और सफाई कामगार यूनियन का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की इस मनमानी और ठेका कंपनी से मिलीभगत के खिलाफ एसकेयू के नेतृत्व में सफाई कर्मचारी प्रदर्शन भी कर चुके हैं लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। दरअसल, ठेका कंपनी खुलेआम मजदूरों को धमकी दे रही है कि अगर वे विरोध प्रदर्शन करते हैं तो उनकी जगह दूसरे मजदूरों को ले आया जाएगा। साथ ही, कई बार उन्हें हाजिरी देने से भी मना कर दिया जाता रहा है। ठेका कंपनी ने अस्पताल प्रशासन गठजोड़ कर लगातार हो रहे इस शोषण के संबंध में शिकायत करने पर कर्मियों को नौकरी से निकालने की धमकी भी दी है।

यह भयावह स्थिति प्रधान नियोक्ता के तौर पर दिल्ली सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाती है कि उसके तहत संस्थानों द्वारा आदर्श नियोक्ता का उदाहरण प्रस्तुत किया जाए और कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन और अन्य सभी वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित किए जाएं।

ज्ञात हो कि कल दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में बुराड़ी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक और नर्सिंग स्टाफ के निदेशक को तत्काल निलंबित करने; महिला सफाई कर्मियों के यौन उत्पीड़न में शामिल तीन सफाई कर्मियों के नाम व आईपीसी धारा 354ए को FIR में शामिल करने व सभी आरोपितों की तुरंत गिरफ्तारी; आंतरिक शिकायत समिति का पुनर्गठन किए जाने और इसमें सफाई कर्मचारियों और उनके यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल किए जाने; ठेका कंपनी, ग्लोबल वेंचर का ठेका तुरंत रद्द करने व सभी सफाई कर्मचारियों को उनका बकाया वेतन सुनिश्चित करने की मांगें उठाई गयी हैं।

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