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पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन

पेपर लीक मामले में पत्रकारों की गिरफ़्तारी और उत्पीड़न के खिलाफ आज बलिया में ऐतिहासिक बंदी है। बलिया शहर के अलावा बैरिया, बांसडीह, बेलथरा रोड, रसड़ा और सिकंदरपुर समेत ज़िले के सभी छोटे-बड़े बाज़ार पूरी तरह बंद हैं।
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पेपर लीक मामले में पत्रकारों की गिरफ्तारी और उत्पीड़न के विरोध में शनिवार को बागी बलिया दहकने लगा। साथी पत्रकारों की रिहाई के लिए अखबारनवीसों के साथ हजारों आम लोगों का हुजूम सड़क पर उतरा तो नौकरशाही की नींद उड़ गई। बलिया बंद को सफल बनाने के लिए चक्रमण कर रहे पत्रकारों की कई स्थानों पर पुलिस अफसरों से तीखी झड़पें हुईं। पुलिस-प्रशासन के अफसर व्यापारियों से अपने प्रतिष्ठान खोलने का अनुरोध करते रहे, लेकिन लोगों ने उनकी एक नहीं सुनी। पत्रकारों की रिहाई की मांग को लेकर जिले भर में ऐतिहासिक बंदी रही। पुलिस-प्रशासन को लेकर लोगों में इस कदर गुस्सा था कि चट्टी-चौराहों की दुकानें भी पूरी तरह बंद हैं।

आज़ादी के आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान के वजह से उत्तर प्रदेश का यह ज़िला बागी बलिया के नाम से जाना जाता है। बलिया में संयुक्त पत्रकार मोर्चा के आह्वान पर पत्रकारों के साथ प्रबुद्ध नागरिकों व व्यापारियों ने जगह-जगह जुलूस निकाले और जमकर नारेबाजी की। नादिरशाही पर उतारू कलेक्टर व कप्तान को हटाने और तीनों निर्दोष पत्रकारों की रिहाई के लिए बाजार बंदी का आह्वान किया गया था। पत्रकारों ने अल्टीमेटम दिया है कि अगर न्याय नहीं मिला तो समूचे यूपी में आंदोलन तेज किया जाएगा।

बलिया शहर में पत्रकारों का हुजूम शनिवार की सुबह आठ बजे रेलवे चौराहे पर इकट्ठा हुआ। यहां से बड़ी संख्या में पत्रकार, व्यापारी, अधिवक्ता और प्रबुद्धजन चौधरी चरण सिंह तिराहे की नारेबाजी करते हुए निकले। पत्रकारों का जुलूस चौधरी चरण सिंह तिराहा से बस स्टेशन, बस स्टेशन गली होकर पूरे नगर का चक्रमण करते पुनः रेलवे चौराहे पर पहुंचा। बाद में जुलूस सभा में बदल गया।

जनसभा को संबोधित करते हुए शिक्षक नेता जितेंद्र सिंह, व्यापारी नेता प्रदीप गुप्ता, रजनीकांत सिंह, मंजय सिंह, विकास पांडेय लाला, पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता, राहुल सिंह सागर के साथ व्यापारियों ने लंबी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया।

छोटे-बड़े सभी बाज़ार बंद

अभूतपूर्व बंदी के चलते बलिया जिले के सभी रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों तक खाने-पीने के सामान नहीं मिल पाया। बलिया शहर के अलावा बैरिया, बांसडीह, बेलथरा रोड, रसड़ा और सिकंदरपुर समेत जिले के सभी छोटे-बड़े बाजार पूरी तरह बंद रहे। गड़वार बाजार में सभी दुकानें और प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे। व्यापार मंडल के अध्यक्ष आनंद सिंह और इलाकाई पत्रकार चक्रमण कर डीएम-एसपी के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन करते रहे। दुकानदारों ने स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा। बैरिया क्षेत्र में अभूतपूर्व बंदी देखने को मिली। शिवन टोला चट्टी, जयप्रकाश नगर, बाबू के डेरा चट्टी, रानीगंज बाजार, बैरिया बाजार, मधुबनी, लालगंज, रामगढ़ आदि बाजारों की सभी दुकानें पूरी तरह से बंद रहीं। बंदी को पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह,  उद्योग व्यापार मंडल रानीगंज बाजार, पूर्व सैनिक संगठन के अलावा सपा, कांग्रेस और बसपा ने भी समर्थन दिया।

बलिया में सालों बाद पहली मर्तबा अभूतपूर्व बंदी रही। बैरिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह बड़ी संख्या में अपने कार्यकर्ताओं के साथ पत्रकारों के आंदोलन में शरीक हुए। प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वह आंदोलित पत्रकारों बैरिया बाजार में घूमे और कहा कि देश लोकतांत्रिक मूल्यों पर चलता है, नादिरशाही से नहीं। बंद को सफल बनाने में पत्रकार रविंद्र सिंह वीरेंद्र मिश्र, सुधाकर शर्मा, विश्वनाथ तिवारी, सत्येंद्र पांडे, सुनील पांडे, विद्याभूषण चौबे, अखिलेश पाठक, नित्यानन्द सिंह आदि शामिल थे।

कई संगठनों ने दिया समर्थन

बलिया बंद को उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, सेवानिवृत्त शिक्षक कर्मचारी/अधिकारी समन्वय समिति, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, रसोइया संघ, कोटेदार संघ, अधिवक्ता संघ, टैक्स बार एसोसिएशन, भूतपूर्व सैनिक संगठन, ट्रेड यूनियन के अलावा सभी छात्र व व्यापारी संगठनों, राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए बंद को सफल बनाने में सहयोग दिया।

आंदोलन-प्रदर्शन में शामिल अभयेश मिश्र, पुनीत गुप्त, अशोक जायसवाल, शीला देवी, रणजीत सिंह, शब्बीर अहमद, ए समद, शहजाद हुसैन, धनंजय वर्मा, अंजनी राय, राजू राय, ननीन मिश्र, शिवकुमार हेमकर, अनामोल आनंद, वेदप्रकाश शर्मा, अमर नाथ गुप्ता, धनंजय शर्मा, मिंटू खां, मोनू खां, प्रवीण सिंह, जुबेर सोनू, विक्की पांडेय, जितेंद्र सिंह, करूणा सिंधु सिंह, रणजीत मिश्रा, अखिलानंद तिवारी, मकसूदन सिंह, संजय तिवारी, अखिलेश यादव, मुकेश मिश्रा, राजू दुबे, अखिलेश सैनी, सन्नी, सनंदन उपाध्याय, विक्की गुप्ता, जितेंद्र उपाध्याय, धनंजय तिवारी, कृष्णकांत पांडेय, हसन खां, कंचन सिंह, विवेक जायसवाल, राजकुमार यादव, रत्नेश सिंह, अमित कुमार, सुनील दादा, आलोक कुमार, चंदन,  श्रवण कुमार पांडेय ने कहा है कि निर्दोष पत्रकारों की रिहाई तक आंदोलन जारी रहेगा।

इससे पहले निर्दोष पत्रकारों की रिहाई की मांग को लेकर 13 अप्रैल 2022 को कुंवर सिंह महाविद्यालय के छात्रनेता आशीष मिश्रा के नेतृत्व में रतसर गांधी आश्रम चौराहे पर डीएम और एसपी का पुतला फूंका गया था। इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच नोकझोंक हुई थी। इससे पहले बलिया के पत्रकारों ने डीएम-एसपी को जिले से भगाने के लिए सूप बजाकर प्रदर्शन किया था। सूप बजाकर अफसरों के दफ्तरों की परिक्रमा करते देख अफसर भाग खड़े हुए थे।

30 मार्च को लीक हुआ था पेपर

उत्तर प्रदेश के बलिया में 30 मार्च को यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर लीक हो गया था। इस मामले में पुलिस ने तीन पत्रकारों को सिर्फ इस बात के लिए गिरफ्तार कर लिया था कि उन्होंने लीक पर्चे को अपने अखबारों में प्रकाशित कर दिया था। बाद में 24 जिलों में यूपी बोर्ड की कक्षा 12वीं की अंग्रेजी की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। गिरफ्तार पत्रकारों में अजीत कुमार ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज कुमार गुप्ता शामिल हैं। अजित दिग्विजय लीडिंग न्यूज पेपर ‘अमर उजाला’ अखबार के लिए और मनोज ‘राष्ट्रीय सहारा’ के लिए काम करते हैं। इन सभी के खिलाफ नकल, धोखाधड़ी के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है। योगी सरकार ने ऐलान किया है कि पेपर लीक मामले के आरोपियों को रासुका में निरुद्ध किया जाएगा।

इस मामले में अब तक 52 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) बृजेश कुमार मिश्रा के अलावा कई सरकारी व निजी स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं। तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद से पत्रकार अपने साथियों की रिहाई के अलावा बलिया के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और पुलिस अधीक्षक राज करण नैय्यर को निलंबित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

आंदोलित पत्रकारों का आरोप है कि यूपी सरकार जानबूझकर अखबारनवीसों का दमन कर रही है। दिग्विजय सिंह (65) की बेटी प्रीति का आरोप है, "मेरे पिता ने पेपर लीक के बारे में लिखा, जो प्रशासन को नागवार गुजरा और अफसरों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। अगर पुलिस के पास मेरे पिता के खिलाफ कोई सुबूत हैं तो जनता के सामने रखना चाहिए।"

ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन (ग्रापए) के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार ने कहा है, "पेपर लीक मामले में बलिया के तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारी पुलिस-प्रशासन की निरंकुशता का नतीजा है। आंचलिक पत्रकारों का दमन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पत्रकारों की रिहाई की मांग को लेकर ग्रापए प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन कर चुकी है। जरूरत पड़ने पर यूपी बंद कराया जाएगा। बलिया जिले में पुलिस, प्रशासन और फासीवादी ताकतों का गठजोड़ इस मामले को जानबूझकर हवा दे रहा है।"

उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के महामंत्री राजेश रावत और डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मलय कुमार पांडेय ने कहा है,"पहले नौजवान, व्यापारी, किसान, आमजन की आवाज दबाया जाता था, अब लोकतंत्र के चौथे खंभे का दमन किया जा रहा है। डीएम और एसपी को विदाई करके ही हम दम लेंगे। ग्रापए के जिलाध्यक्ष शशिकांत मिश्रा, अधिवक्ता वरुण पांडेय और अखिलेंद्र चौबे ने कहा, "शासन-प्रशासन की नींद तोड़ने के लिए बलिया बंद का आह्वान किया गया है।"

प्रशासन पर भारी माफिया

प्रशासन के नकेल कसने के बावजूद बलिया में नकल माफिया का खेल तनिक भी नहीं थमा है। आरोप है कि जय जगदीश इंटर कॉलेज निपनिया के आंतरिक सचल दस्ते में ड्यूटी कर रहे चंदायर मठिया गांव निवासी शिक्षक अजीत यादव ने व्हाट्सएप से इंटरमीडिएट रसायन विज्ञान का प्रश्नपत्र हल करने के लिए एक युवक को बाहर भेज दिया। अजीत के निर्माणाधीन मकान में युवक ने प्रश्नपत्र हल किया। इसके बाद अजीत के व्हाट्सएप पर वापस भेज दिया और फिर परीक्षा केंद्र के अंदर बोलकर नकल कराई गई।

मामला उजागर होने पर इसे दबाने की कोशिश की गई। बाद में मनियर पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रविकांत, अनीस और सुनील कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। नकल कराने पर चार मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं। बलिया के मनियर थाने के निरीक्षक कमलेश कुमार पटेल के मुताबिक "एक शिक्षक के निर्माणाधीन मकान पर छापा मारकर प्रश्नपत्र का हल चिट बनाने के आरोप में पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों में रविकांत कुमार निवासी चंदायर, अनीस कुमार निवासी चंदायर, सुनील कुमार निवासी चंदायर, अजीत यादव निवासी चंदायर, अनिल कुमार यादव निवासी चंदायर शामिल हैं।"

बलिया में यूपी बोर्ड की परीक्षा में सामूहिक नकल कराने की पटकथा तभी तैयार कर ली गई थी जब परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया जा रहा था। इस मामले में "अमर उजाला" अखबार लिखता है, "बलिया में नकल माफिया व जिला प्रशासन के गठजोड़ ने परीक्षा केंद्र निर्धारण में टॉपर देने वाले स्कूल भी काट दिए जबकि शासन की ओर से वित्तविहीन स्कूलों को सबसे कम अंक निर्धारण का प्रावधान किया गया था। इसके बावजूद सत्यापन करने के दौरान जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति ने नकल के लिए बदनाम स्कूलों को परीक्षा केंद्र के लिए पास कर दिया। शासन की ओर से परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए आधारभूत सुविधाओं पर नंबर देने का प्रावधान किया गया था।"

"आधारभूत सुविधाओं पर ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले विद्यालय को ही परीक्षा केंद्र बनाने की संस्तुति करनी थी, लेकिन जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने खूब धांधली की। इससे पहले लगातार दो वर्षों तक 10वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉपर देने वाले स्कूल तिलेश्वरी देवी बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गौरा पतोई और जीएस हायर सेकेंडरी स्कूल भीमपुरा के दावे खारिज कर दिए गए, जबकि संसाधन पूरे होने की वजह से वह हमेशा परीक्षा केंद्र बनते थे। इतना ही नहीं कई वित्तविहीन स्कूल तो पहली बार केंद्र बन गए जबकि अंकों के आधार पर पूर्व के बने केंद्र की अपेक्षा इनके नंबर अधिक नहीं हो पाते।"

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