“यौन उत्पीड़न का आरोपी अब तक पद पर क्यों?”..संदीप सिंह के ख़िलाफ़ खाप और महिला संगठन एकजुट
यौन शोषण के आरोपी हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह के खिलाफ हरियाणा के झज्जर में शुक्रवार, 10 फरवरी को महिला संगठनों और खापों ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के नेतृत्व में करीब दर्जन भर संगठनों ने संदीप सिंह के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। मंत्री की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग को लेकर हुए इस प्रदर्शन में सामाजिक संगठन, कर्मचारी और किसान संगठन सहित नागरिक समाज के कई प्रतिनिधियों और पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने भी हिस्सा लिया।
अखिल भारतीय जनवादी समिति (एडवा) की शकुंतला जाखड़ ने न्यूज़क्लिक को बताया कि झज्जर में इस प्रदर्शन को करने का ख़ास मकसद ये था कि जिस महिला कोच ने संदीप सिंह पर आरोप लगाया है वो यहींं की हैं। इसके अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ का भी यहां से नाता है, इसलिए एक तरह से राजनीतिक प्रेशर और खापों के दबाव के ज़रिए भी पीड़िता के लिए न्याय सुनिश्चित करने की कोशिश जारी है।
शकुंतला आगे कहती हैं, “खापों से हमारी विचारधारा मेल नहीं खाती। ऑनर किलिंग और महिलाओं से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर हम बहुत अलग हैं, लेकिन कई बार किसी एक मुद्दे पर न्याय के लिए एक साथ संघर्ष ज़रूरी हो जाता है, जैसे किसान आंदोलन में भी खापों ने अहम भूमिका निभाई थी और अब महिला पहलवानों के साथ उत्पीड़न का मामला हो या संदीप सिंह के खिलाफ एकजुट होना हो, खाप हमारा सहयोग कर रही हैं। फिलहाल 21 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन देने की योजना है।"
पुलिस ने की थी प्रदर्शन रोकने की तैयारी
इस प्रदर्शन की शुरुआत शहर के महर्षि दयानंद सरस्वती स्टेडियम से हुई जहां सभी संगठन और खापों के प्रतिनिधियों ने बैठक की। बाद में शहर भर में प्रदर्शन करते हुए सभी प्रदर्शनकारी लघु सचिवालय पहुंंचे। यहां उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने पहले ही बैरिकेड्स लगा रखे थे। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स के पास ही सरकार और खेल मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की और धरने पर बैठ गए। इसके बाद डीसी कैप्टन शक्ति सिंह स्वयं प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और बातचीत के बाद उनका ज्ञापन लिया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि उनकी मांगें सरकार के पास भेज दी जाएंगीं।
प्रदर्शन के दौरान पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि चाहे यूपी का कुलदीप सेंगर मामला हो या हाथरस या अब हरियाणा के जूनियर कोच का मसला, हर जगह बीजेपी इन आरोपियों को संरक्षण देती दिखाई देती है। उन्होंने सवाल किया कि, "यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद भी संदीप सिंह अभी तक मंत्री पद पर क्यों हैं? ऐसे लोगों के लिए कानून और भी ज़्यादा सख्त होने चाहिए। इन लोगों को चाहिए कि वह जेल जाकर ही अपने सबूत दे कि वह निर्दोष हैं।"
राजभवन से अभी तक नहीं आया कोई आश्वासन
बता दें कि मंत्री संदीप सिंह को कैबिनेट से हटाने और उनकी गिरफ़्तारी की मांग को लेकर महिला और नागरिक संगठन लगातार संघर्षरत हैं और कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रदर्शन अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत 15 से अधिक संगठनों द्वारा 22 जनवरी को पंचकूला-चंडीगढ़ बॉर्डर पर किया गया। इन संगठनों का 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ राजभवन भी पहुंचा था जहां राज्यपाल के सचिव को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया था। हालांकि राजभवन से इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं मिलने से इन संगठनों में खासी नाराज़गी भी है।
प्रेस क्लब में सात फरवरी को हुए एक कार्यक्रम के दौरान न्यूज़क्लिक के एक सवाल के जवाब में एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भीम अवार्डी जगमति सांगवान ने कहा, "राजभवन का व्यवहार महिला और सामाजिक संगठनों के प्रति हतोत्साहित करने वाला था। राज्यपाल मिले नहीं और सचिव का कहना था कि उनके पास इतने बड़े राजभवन में प्रतिनिधियों के साथ बैठकर बात करने के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए सिर्फ ज्ञापन ही सौंपा जा सका और उसका भी कोई जवाब या आश्वासन नहीं मिला, ये अपने आप में चिंताजनक है।"
जगमति सांगवान ने ये भी बताया था कि, "पीड़ित महिला को सुरक्षा के नाम पर निगरानी में रखा जा रहा है। उनके स्कूल, कॉलेज सहित अन्य जगहों पर जांच कर उनके चरित्र पर लांछन लगाने की तैयारी चल रही है। इसके अलावा उनके किराए के मकान से लेकर उनके दफ्तर तक के काम में कई तरह से बाधाएं उत्पन्न करने की कोशिश की जा रही है। ये पीड़ित को और प्रताड़ित करने की शासन-प्रशासन की साज़िश है।"
ध्यान रहे कि गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी के दिन संदीप सिंह के निर्वाचन क्षेत्र पिहोवा में उनके द्वारा झंडा फहराने का ज़ोरदार विरोध देखने को मिला था। एक ओर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के नेतृत्व में करीब दर्जन भर संगठनों ने अपना विरोध दर्ज करवाया था तो वहीं दूसरी ओर संदीप सिंह के मजबूत सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए एक महिला ने उनके झंडा फहराने पर ज़ोरदार नारेबाज़ी की थी। महिला का कहना था कि संदीप सिंह अपवित्र हैं और उन्हें देश के पवित्र झंडे को फहराने का कोई अधिकार नहीं है। पुलिस ने इन दोनों मामलों में सख्ती से कार्रवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और कई घंटों बाद छोड़ा था।
एडवा की राज्य अध्यक्ष सविता ने न्यूज़क्लिक को बताया, "सभी संगठनों ने राज्य सरकार से पहले ही कई बार संदीप सिंह को मंत्री पद से हटाने की अपील की थी, बावजूद इसके वो अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं। यौन शोषण के गंभीर आरोप के बाद भी अभी तक उनकी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। यहां तक 26 जनवरी को राज्य सरकार ने मंत्री संदीप सिंह को पिहोवा में झंडा फहराने दिया। इसलिए राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में एडवा समेत विभिन्न सामाजिक संगठन बार-बार सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हैं।"
महिला संगठनों की मुख्य मांगे क्या हैं?
- पीड़िता को पूरी सुरक्षा, संबल और करुणामय व्यवहार मिले।
- मंत्री संदीप सिंह को तुरंत मंत्रिमंडल व हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाते हुए गिरफ्तार किया जाए ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके।
- मुख्यमंत्री, पीड़िता को दोषी ठहराने वाले अपने आपत्तिजनक बयानों को वापस लेते हुए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें।
- पूरे मामले की जांच माननीय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की निगरानी में कराई जाए।
- विधानसभा की उचित समिति, मंत्री एवं मुख्यमंत्री के आचरण पर समुचित कार्रवाई करे।
- 26 जनवरी को मंत्री संदीप सिंह द्वारा झंडारोहण करने का सामने से विरोध करने वाली महिला को घसीटने वाले पुरुष पुलिसकर्मियों और मंत्री के गुर्गों पर कड़ी कार्रवाई हो।
- पीड़िता की सुरक्षा का समुचित प्रबंध हो और रहने के लिए सरकारी क्वार्टर में व्यवस्था हो। धमकी देने व लांछित करने वाले खेल विभाग के अधिकारी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
- खेलों से संबंधित संस्थाओं की लोकतांत्रिक एवं जवाबदेह कार्य प्रणाली सुनिश्चित की जाए और विभिन्न संघों के अध्यक्ष और महासचिव पदों पर भूतपूर्व खिलाड़ियों की ही तैनाती हो।
- खिलाड़ी-लड़कियों के लिए खेल का स्वस्थ, सुरक्षित और प्रोत्साहित वातावरण निर्मित हो।
- खेल संघों व सभी कार्यस्थलों पर कानून के अनुसार यौन हिंसा विरोधी समितियां गठित की जाएं।
गौरतलब है कि 'फ्लिकर किंग' के नाम से मशहूर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और हरियाणा में बीजेपी के नेता संदीप सिंह के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोप में बीते साल31 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही घंटों बाद संदीप सिंह ने खेल मंत्रालय का ज़िम्मा सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंप दिया था। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में लगभग 25 दिनों से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। संदीप सिंह अभी भी कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैं जिसका विरोध महिला और नागरिक संगठन लगातार कर रहे हैं।
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