लाओस ने दी COVID-19 को मात, लेकिन क़र्ज़ से हो रहा पस्त
11 जून को दक्षिण-पूर्व एशिया में महज़ 70 लाख की आबादी वाले देश लाओस ने तात्कालिक तौर पर कोरोना वायरस पर फतह हासिल करने की घोषणा की। लाओस के प्रधानमंत्री थोंग्लॉउन सिसोउलिथ ने कहा कि ''हमारे देश ने ज़हरीले दुश्मन के खिलाफ़ पहले कैंपेन में एक अहम जीत हासिल की है।''
लाओस में कोविड-19 का पहला मामला 24 मार्च को सामने आया था। 12 अप्रैल तक वायरस से 19 लोग संक्रमित हो चुके थे। इसके बाद अगले 58 दिन तक लाओस में कोई नया मामला सामने नहीं आया था। आखिरी मरीज़़ को 9 जून को छुट्टी दी गई थी। 12 अप्रैल से अब तक, 93 दिन निकल चुके हैं। अप्रैल में कोई नया मामला सामने नहीं आया है। कोविड-19 से लाओस में किसी की मौत नहीं हुई है।
लाओस चारों तरफ दूसरे देशों की ज़मीन से घिरा है। इसके आसपास चीन, विएतनाम, म्यानमार, थाईलैंड और कंबोडिया हैं। चीन के साथ लाओस की 423 किलोमीटर की सीमा है, जिसके आर-पार पर्यटक और व्यापारियों का खूब आवागमन होता है। लेकिन इसके बावजूद अपने पड़ोसी विएतनाम की तरह, लाओस में भी कोविड-19 से किसी की मौत नहीं हुई। लाओस में पड़ोसी देशों से आने वाले यात्रियों से संक्रमण फैलने का खतरा बहुत ज़्यादा था। इसलिए अब इन यात्रियों को दो हफ़्ते के लिए क्वारंटीन केंद्रों में रखा जा रहा है।
लाओस ने ऐसा कैसे किया?
जनवरी के पहले हफ़्ते में वुहान से नए कोरोना वायरस के फैलने की ख़बर आ गई थी। 6 जनवरी को लाओस के प्रधानमंत्री थोंग्लाउन, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रीमियर ली केकियांग से बातचीत करने के लिए बीजिंग में मौजूद थे। इस दौरान बातचीत आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित रही। दोनों देशों में विशेषतौर पर चीन और लाओस रेलवे पर बातचीत हुई। यह रेलवे 2016 से चालू है। रेललाइन विएनटिएन (लाओस की राजधानी) से बोटेन (चीन-लाओस सीमा पर स्थित) तक चलेगी। उस वक़्त इस कोरोना वायरस के बारे में बहुत कम जानकारी मौजूद थी। इसलिए यह बैठक का मु्द्दा नहीं बना। 20 जनवरी तक इस बात पर साफ़गोई नहीं थी कि यह वायरस इंसान से इंसान में संक्रमित हो सकता है। जैसे ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 30 जनवरी को कोरोना वायरस पर अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली जन स्वास्थ्य आपात की घोषणा की, लाओस सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक टास्कफोर्स का गठन कर दिया, जिसका काम नये कोरोना वायरस की निगरानी करना भी था, ताकि यह लाओस में न फैल सके।
पहली मुश्किल एक फरवरी को आई, जब झांग बियाओ नाम का शख़्स चीन के चोंगकिंग में वापस अपने घर लौटा। झांग कोरोना वायरस संक्रमित पाया गया था। वह एक पर्यटक समूह का हिस्सा बनकर चाइना एक्सप्रेस एयरलाइन फ्लाइट से विएनटिएन आया था। समूह के साथ उसने वांग विएंग की यात्रा की थी। वांग विएंग एक पर्यटक स्थल है, जो विएनटिन से कुछ घंटे की दूरी पर स्थित है। वह 31 जनवरी को चीन लौटा था, जहां उसे संक्रमित पाया गया। प्रतिक्रिया में लाओस के प्रशासन ने उसकी चहलकदमी को खोजा, जो भी लोग उससे संपर्क में आए थे, उन सभी की जांच की। आक्रामकता के साथ प्रशासन ने संक्रमण को आगे रोकने के लिए कार्रवाई की। लाओस ने चीन के लोगों के लिए वीजा रद्द कर दिया और लाओ एयरलाइन्स ने चीन जाने वाली फ्लाइट में कटौती कर दी। लाओ एयरलाइन्स के लिए चीन सबसे बड़ा बाज़ार ही नहीं, बल्कि लाओस में पर्यटक व्यापार पूरी तरह चीन पर आश्रित है। 24 मार्च तक लाओस में कोई भी नए केस नहीं आए।
पांच मार्च को लाओस के उपस्वास्थ्यमंत्री डॉ। फोउथोन मुओनग्पाक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने कहा कि देश में कुल 53 कोरोना संक्रमण के मामलों के होने की आशंका है। लेकिन इनमें से सभी लोग नेगेटिव पाए गए। लाओस में कोविड-19 रोकथाम और नियंत्रण टास्कफोर्स के उपाध्यक्ष डॉ फोउथोन ने कहा, ''हमें अपने निगरानी तंत्र पर पूरा भरोसा है।'' लाओस में जहां-जहां कोरोना से मौतें होने की आशंका हुई, वहां एपिडेमियोलॉजिस्ट की टीमों ने यात्राएं कीं। शवों से लिए गए नमूनों की तीन लेबोरेटरी- नेशनल सेंटर फॉर लेबोरेटरी एंड एपिडेमियोलॉजी(जहां विश्व स्वास्थय संगठन के विशेषज्ञ निगरानी करते हैं), द इंस्टीट्यूट पास्तेर डू लाओस और महोसोत हॉस्पिटल की लेबोरेटरी में जांच की गई। लेकिन इन सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई। नमूनों को ऑस्ट्रेलिया की WHO लेबोरेटरी में भी भेजा गया, वहां से भी सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई। यह जानकारी लाओस के डिपार्टमेंट ऑफ कम्यूनिकेबल डिसीज़ कंट्रोल के डॉयरेक्टर जनरल डॉ रत्तनाक्साय फेतसुवान्ह ने दी।
द विएनटिएन टाइम्स ने लाओस में आए कम मामलों का श्रेय हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर बड़े पैमाने पर हुई स्कैनिंग और टेस्टिंग के साथ-साथ देश में आने वालों के लिए की गई क्वारंटीन व्यवस्था को दिया। जिन लोगों में किसी तरह के लक्षण भी नहीं थे, उनके लाओस में प्रवेश करने पर उन्हें भी दो हफ़्तों के लिए अपने घरों में क्वारंटीन में रहने के लिए कहा गया। सावधानी रखते हुए सरकार ने 9 मार्च को 'लाओ नये साल (13-15 अप्रैल)' का जश्न रद्द करने का ऐलान कर दिया।
बल्कि लाओस में 30 जनवरी से 24 मार्च के बीच कोई भी मामला सामने नहीं आया। 24 मार्च को दो नए मामले सामने आए। इनमें से एक होटल में काम करने वाला 28 साल का एक पुरुष कर्मचारी था। अनुमानित तौर पर इस व्यक्ति को शुरुआती मार्च में अपनी बैंकॉक ट्रिप के दौरान में थाईलैंड में कोरोना हुआ। दूसरा संक्रमित शख़्स, एक 36 साल की महिला थी, जो विएनटिएन में में टूर गाइड का काम करती थी। अनुमानित तौर पर उसे किसी पर्यटक से कोरोना हुआ। इस बात की जानकारी मुझे एक सरकारी अधिकारी ने दी। दोनों को विएनटिएन के मित्ताफाब हॉस्पिटल ले जाया गया। इसे जल्द ही कोविड-19 हॉस्पिटल घोषित कर दिया गया।
चार दिन बाद, 29 मार्च को लाओस सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। किसी भी तरह की जरूरी सेवाओं को फिज़िकल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ साफ करने वाले WHO प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा गया। टास्कफोर्स को स्वास्थ्यकर्मियों और सुरक्षा सेवाकर्मियों को प्रशिक्षित करने, संक्रमण चेन तोड़ने (जिसमें टेस्टिंग, कांटेक्ट ट्रेसिंग, क्वारंटीन और इलाज़ शामिल था) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को जरूरी स्वास्थ्य उपकरणों के उत्पादन में इस्तेमाल करने का काम दिया गया। सरकारी संस्थाओं को निर्देश दिया गया कि वे आसान भाषा वाले दिशानिर्देशों को जनता तक पहुंचाएं, इसके लिए एक अलग वेबसाइट बनाने को कहा गया। संस्थाओं से केवल विज्ञान आधारित जानकारी को ही प्रसारित करने के लिए कहा गया।
8 जुलाई को ट्राइकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च ने एक ''कोरोनाशॉक एंड सोशलिज़्म'' नाम की एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में दुनिया की तार समाजवादी सरकारों- क्यूबा, वेनेजुएला, विएतनाम और केरल (भारत) के अनुभवों और संक्रमण चेन को तोड़ने में इनके सफल कार्यक्रम पर बारीक नज़र डाली गई। विश्लेषण में पता चला कि इन देशों में संक्रमण से बेहतर मुकाबला इसलिए हो सका, क्योंकि वहां विज्ञान आधारित प्रक्रिया का पालन किया गया। उनके पास एक सार्वजनिक ढांचा था, जिसके ऊपर वे वायरस से लड़ने में जरूरी उपकरणों के उत्पादन के लिए निर्भर रह सकते थे और इन इलाकों में बड़े पैमाने पर जनकार्रवाई शुरू की गई। जुलाई की शुरुआत में टेलीफोन बातचीत में दो सरकारी अधिकारियों ने मुझे बताया कि लाओस ने इन्हीं मूल्यों का पालन किया। साथ में लाओस को जरूरी सामानों (पीपीई, मास्क) की आपूर्ति विएतनाम और चीन से हो गई। चीन के स्वास्थ्यकर्मी लाओस की स्वास्थ्य सेवा की मदद करने भी आए।
जून में प्रधानमंत्री थोंग्लाउन ने कहा, इस वक़्त ऐसा लगता है कि लाओस ने महामारी को मात दे दी है। लाओस में WHO के प्रतिनिधि डॉ होवार्ड सोबेल ने सरकार की प्रतिक्रिया को ''प्रेरणादायक'' बताया। सरकार ने इस ख़तरनाक महामारी के आगमन का बखूबी अंदाजा लगा लिया था और इसे रोकने के लिए सभी जरूरी चीजें कीं। कम मामलों और मौतों की संख्या पर उठ रहे सवालों को इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रेसेंट सोसायटीज़ के लुडोविच अर्नाउट ने दूर कर दिया। उन्होंने कहा कि ''इन्हें छुपाना मुश्किल है, इसलिए मैं दावों में यकीन करता हूं।''
प्रभाव
अमेरिका द्वारा लाओस में की गई बमबारी से देश अब भी पूरी तरह नहीं उबर पाया है। 1963 से 1973 के बीच अमेरिका ने लाओस में 2.5 मिलियन टन अमेरिकी बम गिराए। देश के कई हिस्सों की ज़मीन आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रदूषित हो गई। जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2016 में लाओस की यात्रा की थी, तो उन्होंने ''इतिहास की सबसे बड़ी बमबारी'' पर खेद जताया था। लेकिन उन्होंने इसके लिए माफ़ी नहीं मांगी थी। उन्होंने अगले तीन सालों में 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का वायदा किया था, ताकि 75 मिलियन जिंदा बमों को बाहर निकाला जा सके, जो बमबारी के वक़्त फूट नहीं पाए थे। यह बम आज भी लोगों की जान ले रहे हैं और कृषि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जबकि ''गुप्त युद्ध'' का खात्मा हुए दशकों बीत चुके हैं।
लेकिन इसके बावजूद लाओस की कम्यूनिस्ट सरकार ने चीन के निवेश की मदद से विकास की राह पकड़ी है, इससे वहां की जनता को काफ़ी मदद मिली है। बुनियादी मानवीय पैमानों पर सुधार हुआ है और पिछले दो दशकों से बेरोज़गारी दर एक फ़ीसदी के भीतर रही है।
लेकिन कोरोना वायरस से पैदा हुई मंदी लाओस पर बहुत बुरी मार करेगी। अप्रैल में सामाजिक कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले मज़दूर श्रम विकास विभाग के डॉयरेक्टर जनरल एनॉउसोन खामसिंगसावथ ने कहा, ''लाओस में गरीबी बढ़ेगी, क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों को उनकी नौकरियों से निकाल दिया गया है।'' विएनटिएन टाइम्स के मुताबिक़ उनके मंत्रालय ने बताया, ''बेरोज़गारी दर दो फ़ीसदी की औसत दर से बढ़कर 25 फ़ीसदी पर पहुंच चुकी है।'' विश्व बैंक के मुताबिक़, लाओस ने अभी तक ''स्वास्थ्य संकट से खुद को बचाकर'' रखा है, लेकिन यह ''वैश्विक आर्थिक फिसलन से सुरक्षित नहीं है।'' महामारी के पहले लाओस की विकास दर सात फ़ीसदी रहने का अंदाजा था। लेकिन वैश्विक कोरोना वायरस मंदी के चलते यह शून्य पर आ गई है।
इसका मतलब होगा कि अब तक एक स्थिर अर्थव्यवस्था वाला लाओस अब कर्ज़ और आपाधापी में फंस जाएगा। मई में फिच रेटिंग्स ने लाओस की 'Long-Term Foreign-Currency Issuer Default' को घटाकर B- कर दिया, वहीं लाओस के समग्र दृष्टिकोण को 'स्थिर' से बदलकर 'नकरात्मक' कर दिया। लाओस की अर्थव्यवस्था में यह बदलाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना के प्रभाव के चलते आया है। 2020 में लाओस को 900 मिलियन डॉलर के कर्ज़ सेवा भुगतान की उम्मीद थी। लेकिन अब लाओस इतना पैसा वहन नहीं कर सकता। लाओस का विदेशी मुद्रा भंडार महज़ एक बिलियन डॉलर ही है।
एक सरकारी अधिकारी ने मुझसे कहा, ''हमने वायरस के संकट को हरा दिया, लेकिन अब हम कर्ज़ संकट से हारने वाले हैं, जिसे हमने पैदा नहीं किया।''
विजय प्रसाद भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वे इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter में मुख्य संवाददाता और राइटिंग फैलों हैं। विजय लेफ्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक और ''ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल रिसर्च'' के साथ निदेशक हैं।
इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
Laos Has Tackled COVID-19, But It Is Drowning in Debt to International Finance
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