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UP: गलाघोंटू से आजमगढ़, उन्नाव में नौ बच्चों की मौत से मचा कोहराम, यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल

आजमगढ़ के निजामाबाद थाना क्षेत्र के गांव सीधा सुल्तानपुर में गलाघोंटू बीमारी से 10 दिनों में 6 मासूम बच्चों की मौत हो गई तो 10 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं।
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फोटो साभार : एनएफआईडी

आजमगढ़ के निजामाबाद थाना क्षेत्र के गांव सीधा सुल्तानपुर में गलाघोंटू बीमारी से 10 दिनों में 6 मासूम बच्चों की मौत हो गई तो 10 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। दूसरी ओर, उन्नाव जिले के नवाबगंज और असोहा प्रखंड के तीन गांवों में गलाघोंटू से तीन बच्चों की मौत हो गई। डिप्थीरिया (गलाघोंटू) से हुई बच्चों की मौत ने योगी सरकार और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। आज़मगढ़ की सीधा सुल्तानपुर नट बस्ती में गलाघोंटू से जान गंवाने वाले वो बच्चे हैं जिनकी उम्र डेढ़ से छह साल है। गलाघोंटू से नौनिहालों की मौत से आसपास के गांवों में दहशत और आतंक का माहौल है।

दरअसल सीधा सुल्तानपुर गांव की नट बस्ती में गला घोंटू (डिप्थीरिया) बीमारी से पूरी नट बस्ती संक्रमित हो गई है। स्थानीय अमर उजाला के अनुसार, तीन दिन पहले, फिर से 10 बच्चों की हालत खराब हो गई थी, जिसके कारण लोग डरे हुए हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यहां बीमारी से मीरू (3) पुत्र मंजन, अलीराज (5) पुत्र मिनहाज, मोहम्मद (3) पुत्र सुहेल, आतिफ (4) पुत्र कैश, कासिम (1) पुत्री गुड्डी समेत एक अन्य बच्चे की मौत हो चुकी है। वहीं, लगभग 10 बच्चे अभी भी डिप्थीरिया की बीमारी से पीड़ित हैं।

सीधा सुल्तानपुर गाँव में 2 अगस्त 2024 को कैश नामक व्यक्ति के 6 वर्षीय पुत्र आतिफ़ की गलाघोटू बीमारी से मौत हुई। 6 अगस्त को कश्मीरा पुत्री रोजन की मौत इलाज के अभाव में हो गई। उसके बाद तीन मौतें मोहम्मद (3 वर्ष) पुत्र सुहेल, अलीराज (5 वर्ष) पुत्र मिनहाज़, सजमा(3 वर्ष) पुत्री मीरु की मौत गलाघोटू बीमारी से हो गई। 16 अगस्त को बीमारी के चलते 10 और बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। स्थानीय अमर उजाला अखबार लिखता है कि बस्ती से जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जो भी नालियां बनी हैं सब गंदगी और कीचड़ से भरी हुई हैं। आसपास के जो भी खेत खाली हैं, उनमें नाबदान का पानी एकत्र है, जिससे उठने वाली बदबू लोगों को परेशान कर रही है।

इतने पर भी, आजमगढ़ में सरकारी मशीनरी तब हरकत में आई जब कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने वीडियो के साथ अपने फेसबुक पर एक मार्मिक पोस्ट लिखी। प्रियंका ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है, “उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में गलाघोंटू बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौतें अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण व दुखद हैं। आजमगढ़ के सीधा सुल्तानपुर गांव में पूरी नट बस्ती संक्रमण की चपेट में है। खबरों में कहा गया है कि गांव में बच्चों का टीकाकरण ही नहीं हुआ था। पूरे गांव में नाली और गंदगी का साम्राज्य है। उन्नाव में भी कुछ बच्चों की मौतें हुई हैं। यह लापरवाही अक्षम्य है। क्या जिन बच्चों की जान चली गई, उन्हें वापस लाया जा सकता है? “

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने फेसबुक पर इससे जुड़ा एक वीडियो भी पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि सुल्तानपुर गांव में पूरी नट बस्ती गला घोटू बीमारी के संक्रमण की चपेट में है। इस पोस्ट में एक महिला रो-रोकर बता रही है कि कैसे उसके बेटे का गला सूजा और उसकी मौत हो गई।

प्रियंका के फेसबुक पोस्ट के वायरल होने के बाद अफसरों की नींद उड़ी और वो नट बस्ती में दौड़ने लगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल यादव के नेतृत्व में पार्टी के कई नेता/कार्यकर्ता भी गांव में डेरा डाले हैं। अनिल कहते हैं, “सीधा सुल्तानपुर की नट बस्ती में किसी व्यक्ति के पास पक्का मकान नहीं है। ज्यादतर लोग झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं। इस गांव की आबादी करीब 1700 है। यहां ज्यादातर दलित और नट समुदाय के लोग रहते हैं। पेयजल की स्थिति बेहद खराब है। नट समुदाय के लोगों के लिए सरकार अभी तक शौचालय तक का इंतजाम नहीं करा पाई है। इस समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके घरों की महिलाओं को इकलौते शौचालय की सुविधा नहीं मिलती। वहां लंबी लाइन लगानी पड़ती है। लाचारी में लोगों को खेत में शौच करने जाना पड़ता है।”

अनिल कहते हैं, “सीधा सुल्तानपुर की नट बस्ती एक ऐसी बस्ती है जहां ज्यादातर लोगों के पास न आधार कार्ड है और न ही राशन कार्ड। वोटर आईडी कार्ड भी नहीं। कई लोगों के नाम वोटर लिस्ट में भी नहीं हैं, जिसके चलते लोग मतदान भी नहीं कर पाते हैं। लगता है कि इस गांव में सरकार विकास करना ही भूल गई है। सड़कें हैं, लेकिन वो ठोकर मारती हैं। उनकी दशा ठीक नहीं है।”

योगी सरकार पर उठे सवाल 

यूपी कांग्रेस के संगठन महासचिव अनिल यादव ने बयान जारी कहा कि यह सिर्फ़ प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि इतने मासूम बच्चों की मौत हो गई। इसके लिए सिर्फ़ प्रशासन ज़िम्मेदार है। उन्होंने बताया कि, 'पीड़ित परिवार नट समाज से आते हैं। उनकी सामाजिक- आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब है। होना तो यह चाहिए था कि प्रशासन सहानुभूति और ज़िम्मेदारी के साथ काम करता लेकिन अफ़सर उन्हें ही दोषी ठहरा रहे हैं कि सीधासुल्तानपुर नट बस्ती के लोगों ने टीकाकरण नहीं करवाये. सिर्फ़ इतना ही नहीं बीमारी से मरे बच्चों की मौत को छिपाने की प्रशासन साज़िश रच रहा है।' 

कांग्रेस ने प्रशासन पर लगाए ये आरोप

निज़ामाबाद के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी रहे अनिल यादव ने प्रशासन पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बहुत सारे बच्चों का टीकाकरण करवाया है। टीकाकरण ना करवाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। दोषी अधिकारी इस तरह का बयान देकर ख़ुद को बचाना चाहते हैं। अनिल यादव ने कहा कि अगर प्रशासन सही समय पर सतर्क हो जाता तो इतने बच्चों की मौत नहीं होती। उन्होंने कहा कि हम ज़िला प्रशासन से मांग करते हैं कि दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, पीड़ित परिवार को 10-10 लाख मुआवजा दिया जाये।

बच्चों की मौत के बाद सीधा सुल्तानपुर पंचायत के लोगों ने गांव के नाले की गंदगी और नए नाले के निर्माण व शौचालय का निर्माण कराने के लिए सहायक पंचायत विकास अधिकारी को पत्र लिखा है। इस पत्र में लिखा गया है कि ठेकेदार की लापरवाही व मनमानी की वजह से नाले की सफाई किए बिना ऊपर से रास्ता ढलवा दिया गया जिसके कारण पिछले कई वर्षों से उस नाले से जल निकाली नहीं हो रहा है। इससे लोगों के घरों में और रास्ते पर जलभराव की स्थिति बनी रहती है। इसी गंदगी के बीच लोग रहने को मजबूर हैं। इसके कारण कई बीमारियों का खतरा बना रहता है। यह नागरिक के जीवन जीने के अधिकार का हनन है और बस्ती में जानलेवा बीमारी गला घोटू के कारण पिछले 15 दिनों में पांच की मौत हो चुकी है और बीमारी का खतरा बना रहता है। उन्होंने मांग की है कि बस्ती में नाला व शौचालय का निर्माण कराया जाए ताकि नागरिकों के जीने के अधिकार की सुरक्षा की जा सके। 

सीधा सुल्तानपुर की नट बस्ती की कुल आबादी करीब 700 है। जिसमें 14 साल से नीचे के 216 बच्चे हैं यह आशा और आंगनबाड़ी की रिपोर्ट है।

यह लोग घुमंतू जनजाति में आते हैं कुछ लोग जानवर पलते हैं या भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते हैं। 

सोशल एक्टिविस्ट मुनिजा खान कहती हैं कि मैं खुद वहां 2 महीने पहले गई थी और यह देखा कि न तो शौचालय है न पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही कोई स्कूल है। वहां खुला नाला और गंदगी देखने को मिली। शासन प्रशासन का कोई ध्यान इस नट बस्ती में नहीं है। यहां सरकार की कोई भी योजना या सुविधा नहीं पहुंची है। ये बहुत ही गरीब लोग हैं जिनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया है।

साभार: सबरंग 

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