उन्नाव: पोस्टमार्टम में ज़हर खाने से मौत की पुष्टि, छावनी में तब्दील हुआ बबुरहा गांव
उत्तर प्रदेश का उन्नाव ज़िला एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां बुधवार, 17 फरवरी को देर शाम एक खेत में तीन दलित नाबालिग लड़कियां बेहोशी की हालत में कथित तौर पर कपड़े से बंधी पाई गईं। अस्पताल ले जाने पर तीन में से दो को मृत घोषित कर दिया गया, वहीं तीसरी को कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में वेंटीलेटर पर रखा गया है।
इस घटना का संज्ञान उत्तर प्रदेश मनवाधिकार आयोग ने भी लिया है। फिलहाल प्रशासन द्वारा इन लड़कियों के गांव बबुरहा को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। अमर उजाला के अनुसार गांव में आने-जाने के रास्तों पर पुलिस ने बैरियर लगाए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की भारी तैनाती है। यहां तक कि मीडिया को भी मृतकों के परिजनों से नहीं मिलने दिया जा रहा है।
अब तक क्या-कुछ हो चुका है?
-गुरुवार 18 फरवरी को आई पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक दोनों लड़कियों की मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। दोनों ने मौत से करीब 6 घंटे पहले खाना खाया था। दोनों के पेट में 100 से लेकर 80 ग्राम तक खाना मिला है।
-अब तक इस मामले की जांच के लिए पुलिस की छह टीमें गठित की गई हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बगल के गांव के चार लड़कों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है।
-इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने घटनास्थल को कब्जे में ले लिया है। इसके अलावा पीड़ित परिवार को नजरबंद करने की भी खबर है। पुलिस द्वारा कथित तौर पर परिजनों को परेशान करने के विरोध में गांव वाले धरने पर बैठ गए और घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं।
- गुरुवार दोपहर प्रशासन जब जेसीबी मशीन के जरिए कब्र खुदवाकर मृतक लड़कियों के अंतिम संस्कार की तैयारी में लगा था, तब ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया। उनका कहना था जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाएंगी तब तक वह लड़कियों के शव को दफनाने नहीं देंगे।
पुलिस क्या कह रही है?
इस घटना के संबंध में उन्नाव के पुलिस अधीक्षक आनंद कुलकर्णी ने मीडिया को बताया कि बबुरहा गांव में एक ही परिवार की तीन लड़कियां दोपहर करीब तीन बजे जानवरों के लिए चारा लेने घर से निकली थीं। देर शाम तक वापस न आने पर परिजनों ने उनकी तलाश की तो वे तीनों गांव के बाहर खेत में अचेत मिलीं और वे एक दुपट्टे से बंधी हुई थीं।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। लड़कियों के पोस्टमार्टम की आ चुकी है। उसी के आधार पर उनकी मौत की जांच आगे बढ़ पाएगी। डॉक्टरों के मुताबिक, प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मौत की वजह जहर खाना है। मौके पर झाग मिलने की भी जानकारी मिली है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लेकर जांच की जा रही है। जल्द ही मामला स्पष्ट हो जाएगा।
जानकारी के मुताबिक जिन दो लड़कियों की मौत हुई है, उसमें से एक की उम्र 13 और दूसरे की 16 साल थी। वहीं तीसरी लड़की 17 साल की है। मृत युवतियां बुआ-भतीजी थीं, 13 वर्षीय लड़की चचेरी बहन थी।
आनंद कुलकर्णी ने बताया कि घटना के खुलासे के लिए पुलिस की 6 टीमें गठित की गई हैं। इसके अलावा स्वाट व सर्विलांस टीमें भी काम कर रही हैं। गंभीर किशोरी के बयान व पोस्टमार्टम रिपोर्ट खुलासे के लिए अहम हैं। दोनों का इंतजार किया जा रहा है। जल्द ही घटना से पर्दा उठा जाएगा। हालांकि प्रथम दृष्टया मामला जहर से मौत का प्रतीत हो रहा है।
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विपक्ष ने फिर उठाया योगी सरकार के कानून व्यवस्था पर सवाल
बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार अक्सर प्रदेश में ‘बेहतर लॉ एंड ऑडर’ का दावा करती है, लेकिन राज्य में लगातार घट रही आपराधिक घटनाएं कुछ और ही बयां कर रही हैं। कभी समाजवादी पार्टी को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरने वाली बीजेपी अब खुद इस मुद्दे पर चौतफा घिरी नज़र आ रही है। बदहाल कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो वहीं प्रशासन जांच के नाम पर चुप्पी साधे बैठा है।
उन्नाव की इस घटना को लेकर एक बार फिर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। कोई मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा मांग रहा है तो कोई यूपी में महिलाओँ, दलितों को असुरक्षित बता रहा है। कहीं हाथरस नहीं दोहराने की मांग हो रही है तो कहीं न्याय के लिए दबाव बनाने की बात कही जा रही है।
इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “केवल दलित समाज को ही नहीं यूपी सरकार महिला सम्मान व मानवाधिकारों को भी कुचलती जा रही है। लेकिन वे याद रखें कि मैं और पूरी कांग्रेस पार्टी पीड़ितों की आवाज़ बनकर खड़े हैं और उन्हें न्याय दिलाकर ही रहेंगे।”
केवल दलित समाज को ही नहीं यूपी सरकार महिला सम्मान व मानवाधिकारों को भी कुचलती जा रही है।
लेकिन वे याद रखें कि मैं और पूरी कांग्रेस पार्टी पीड़ितों की आवाज़ बनकर खड़े हैं और उन्हें न्याय दिलाकर ही रहेंगे।#Save_Unnao_Ki_Beti
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 18, 2021
उन्नाव में हम, हाथरस नहीं दोहराने देंगे
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने ट्वीट कर कहा, “उन्नाव केस की एकमात्र गवाह बच्ची का बेहतर इलाज व उसकी सुरक्षा सबसे जरूरी है बच्ची को तत्काल एयर एंबुलेंस से एम्स दिल्ली लाया जाए। उत्तर प्रदेश सरकार का अपराधियों को संरक्षण व अपराधियों के मामले में सरकार की कार्यशैली को देश हाथरस कांड में देख चुका है। कहा कि सरकार जान ले उन्नाव में हम, हाथरस नहीं दोहराने देंगे।”
भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी की टीम Regency hospital कानपुर, जहाँ पीड़ित बेटी भर्ती है, वहाँ पहुँच चुकी है। सरकार जान ले उन्नाव में हम, हाथरस नही दोहराने देंगे। #Save_Unnao_Ki_Beti
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) February 17, 2021
न्याय के लिए दबाव बनाएं
गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सभी लोगों से मेरी अपील है कि जब तक उन्नाव की दुर्घटना की पीड़ित बहनों के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक उनकी लाश को स्वीकार न करें, न्याय के लिए दबाव बनाएं। एक बहन की अच्छे से अच्छे अस्पताल में चिकित्सा की जाए।
उत्तर प्रदेश के सभी लोगों से मेरी अपील है की जब तक उन्नाव की दुर्घटना की पीड़ित बहनों के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक उनकी लाश का स्वीकार न करें, न्याय के लिए दबाव बनाएं। एक बहन की अच्छे से अच्छे अस्पताल में चिकित्सा की जाए। #Save_Unnao_Ki_Beti pic.twitter.com/HYdvg22y3Z
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) February 17, 2021
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महिलावादी संगठन क्या कह रहे हैं?
उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक लगातार महिलाओँ के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर महिलावादी संगठन पहले भी कई बार आंदोलन कर चुके हैं। हाथरस की घटना के बाद ऐपवा, एडवा सहित कई संगठनों ने यूपी से दिल्ली तक सड़क से सोशल मीडिया पर कड़ा विरोध दर्ज करवाया था। सरकार से महिला सुरक्षा के साथ ही महिलाओँ के मुद्दों के प्रति संवेदनशील होने की मांग भी ये संगठन लगातार करते रहे हैं।
उन्नाव की इस घटना के संबंध में अखिल भारतीय जनवादी महिला संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि यूपी में रोज ऐसी घटनाएं हो रही हैं और यूपी सरकार सिर्फ अपने एजेंडे में लगी है। सरकार का इस प्रकार की घटनाओं पर कोई ध्यान नहीं है। प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह लचर हो चुकी है। देखा जाए तो अब उत्तर प्रदेश बहू-बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है।
Outside the hospital where young dalit girl from Unnao is in a critical condition. She was found in a field yesterday with her sisters who were dead. Very gruesome. UP govt has much to answer for pic.twitter.com/5VpTIHkYnd
— Subhashini Ali (@SubhashiniAli) February 18, 2021
ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णनन ने यूपी में दलित लड़कियों के खिलाफ हिंसा को भयावह बताते हुए कहा कि ये हद हो गई है। योगी आदित्यनाथ को अब मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए।
More horrific violence against Dalit girls in UP. This is too much. Yogi Adityanath must not remain CM, he is presiding over this spate of gender, caste based, communal violence, and murders by the police. Shame on @IndiaToday type publications claiming he's a "development" hero. pic.twitter.com/4Wf31LXsIe
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) February 18, 2021
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी इस घटना पर ट्वीट कर कहा, “उन्नाव की तीसरी बेटी को तुरन्त इलाज के लिए दिल्ली शिफ्ट किया जाए। हर हाल में बच्ची को बचाना है।”
उन्नाव की तीसरी बेटी को तुरन्त इलाज के लिए दिल्ली शिफ्ट किया जाए। हर हाल में बच्ची को बचाना है!
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) February 18, 2021
बॉलीवुड सेलेब्स ने भी दी कड़ी प्रतिक्रिया
उन्नाव की इस घटना को लेकर राजनीतिक दल के साथ फिल्मी जगत के लोग भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने उन्नाव को महिलाओं के लिए नर्क बताया।
ऋचा चड्ढा ने लिखा, “स्वर्ग और नरक धरती पर हैं और उन्नाव महिलाओं के लिए नरक है. जिंदगी की खातिर जंग लड़ रही लड़की के लिए प्रार्थना, इसे रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिस वजह से ऐसा बार-बार हो रहा है। उन्नाव हाथरस नहीं बनेगा। दोषियों को सजा दी जाए तुरंत...”
बॉलीवुड एक्टर स्वरा भास्कर ने सीधा सीएम आदित्यानाथ पर हमला बोला। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, "और क्या होना बाकी है???? उत्तर प्रदेश में और क्या होना है कि अजय बिष्ट की सरकार का इस्तीफा मांगा जा सके.. और राष्ट्रपति शासन लागू हो?"
और क्या होना बाक़ी है???? उत्तर प्रदेश में और क्या होना है कि अजय बिष्ट की सरकार का इस्तीफ़ा माँगा जा सके.. और राष्ट्रपति शासन लागू हो? #SackAjayBisht #Unnao #Save_Unnao_Ki_Beti
— Swara Bhasker (@ReallySwara) February 18, 2021
बता दें कि महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता बताने वाली बीजेपी की योगी सरकार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों का ग्राफ तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों एक के बाद एक बलात्कार और हत्या की घटनाओं ने रामराज पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की बीते साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल राज्यों में शामिल है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%।
इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 4,322 केस हुए। यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
दलितों के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध
दलितों के खिलाफ भी यूपी में अपराध तेज़ी से बढ़े हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराधों में, बलात्कार, हत्या, हिंसा और भूमी से संबंधित मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश का नाम शीर्ष राज्यों में रहता है।
एनसीआरबी के अनुसार, यूपी में दलितों के खिलाफ अपराधों में वर्ष 2014 से 2018 तक 47 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके बाद गुजरात और हरियाणा हैं, जहां क्रमश: 26 और 15 फीसदी अपराध बढ़े हैं।
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गौरतलब है कि ‘लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है और आगे भी बेहतर स्थिति में रहेगा' कहने वाले सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन तमाम घटनाओं के चलते कानून व्यवस्था के नाम पर नाकामी का आरोप झेल रहे हैं। जानकारों के अनुसार प्रदेश में पुलिस प्रशासन का खौफ़ नहीं है। अपराधी लॉ एंड ऑर्डर की खुले-आम धज्जियां उड़ा रहे हैं और सरकार इसे बाहरी साजिश के नाम पर लीपा-पोती करने में लगी है। आए दिन सामने आ रही आपराधिक घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही तो वहीं दबंगों में क़ानून का भय न के बराबर है। कई मामलों में तो सत्ता पक्ष के नेता खुलेआम आरोपियों के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं, जिससे उनका मनोबल और बढ़ता है। ऐसे में यह कहना बड़ा मुश्किल है कि अपराधियों में क़ानून का भय है और सीएम के रामराज के दावे में सच्चाई।
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