उन्नाव मामला: पीड़िता ने सेंगर की अंतरिम ज़मानत रद्द करने का अनुरोध किया, न्यायालय ने जवाब मांगा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार के मामले में अंतरिम जमानत रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर से बुधवार को जवाब मांगा।
उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 2017 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के जुर्म में उम्र कैद की सजा काट रहे, सेंगर को उनकी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए 16 जनवरी को अंतरिम जमानत दी थी।
अदालत ने 27 जनवरी से 10 फरवरी तक के लिए सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया था।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बंबा की पीठ ने पीड़िता के आवेदन पर नोटिस जारी किये और मामले की अगली सुनवाई की तिथि 27 जनवरी तय की, जिस दिन सेंगर को जेल से रिहा किया जाना प्रस्तावित है।
अदालत में मौजूद पीड़िता ने अपने आवेदन में कहा कि उसे और उसके परिवार को खतरा है और उसे सूचना मिली है कि रिहा होने के बाद सेंगर उन्हें कथित तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है।
पीड़िता ने 16 जनवरी के उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है जिसमें सेंगर को बलात्कार के मामले में अंतरिम जमानत दी गई थी।
सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि सेंगर को अभी रिहा नहीं किया गया है और उसे 27 जनवरी को रिहा किया जायेगा।
सेंगर ने पहले अदालत को सूचित किया था कि शादी आठ फरवरी को होगी।
सीबीआई के वकील ने कहा कि एजेंसी ने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है और यह पाया गया है कि विवाह समारोहों के लिए दो हॉल बुक किए गए हैं।
उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने संबंधी सेंगर की अपील उच्च न्यायालय में लंबित है।
उसने निचली अदालत के दिसंबर, 2019 के उस फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था।
सेंगर ने 2017 में लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया था। तब वह नाबालिग थी।
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