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हरियाणा हिंसा: “दोषियों को छोड़ा न जाए, निर्दोषों को छेड़ा न जाए”

“नूंह इलाक़ा हमेशा से शांति का प्रतीक रहा है इसे सांप्रदायिक हिंसा में न झोंका जाए। प्रायोजित हिंसा को रोका जाए तथा कार्रवाई के नाम पर बेक़सूर युवाओं की धरपकड़ बंद की जाए।”
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फ़ोटो : PTI

हरियाणा के मेवात में हुई हिंसा को लगभग 2 हफ़्ते हो गए हैं। इस बीच कई संगठन दोनों समाज के बीच बढ़ी नफ़रत को कम करने और भाईचारे को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे संगठन भी हैं जो पंचायत और मीटिंग कर समाज में अविश्वास बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। 31 जुलाई की हिंसा के बाद से ही हरियाणा के कई खाप नेताओ ने, प्रदेश में भाईचारा न बिगड़े, इसके लिए काम करना शुरू किया। खापों की इस कोशिश में किसान और मज़दूर संगठन भी साथ आए। जबकि इस बीच आरोप लगे कि हिंसा का आरोप झेले रहे संगठन विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के साथ कुछ कथित गौ-रक्षक संगठन समाज में लगातार ‘मुस्लिम विरोधी’ बातें कर विभाजन का काम कर रहे हैं। हालांकि इन सबके बीच तमाम संगठनों के साथ-साथ वाम दलों के प्रतिनिधि मंडल ने भी हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ितों से उनका दर्द समझा।

पलवल हिंदू महापंचायत ने किया दोबारा यात्रा का ऐलान

पलवल के पंडौरी गांव के नूंह में 31 जुलाई को हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने एक सर्वजातीय हिंदू महापंचायत बुलाई जिसमें बीजेपी के नेता और कथित गौ-रक्षक संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए। महापंचायत में कुछ खाप और पाल प्रतिनिधि भी शामिल हुए। जबकि बड़ी संख्या में खाप नेताओं और पाल समाज के एक बड़े हिस्से ने इस पंचायत से दूरी बनाई। दैनिक भास्कर अखबार में डागर पाल के प्रधान चौधरी धर्मबीर डागर ने कहा, “पाल और खापों का कर्तव्य समाज को जोड़ना होता है, ना कि तोड़ना। यह जो महापंचायत हुई उसमें विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के लोग हैं। हम चाहते हैं कि अगर महापंचायत होती है तो उसमें हिंदू-मुस्लिम सभी लोग शामिल हों और आपसी भाईचारे और सौहार्द की बात करें। कुछ लोग धार्मिक संगठनों का चोला पहनकर समाज को तोड़ना चाहते हैं, जो बिल्कुल गलत है।”

डागर पाल के बहिष्कार के साथ रावत, सहरावत, चौहान व तेवतिया पाल के पंचों ने भी अपनी सहमति जताते हुए महापंचायत का बहिष्कार किया।

पलवल महापंचायत में नूंह हिंसा के आरोपियों पर कार्रवाई की बात तो बड़े ज़ोर-शोर से हुई लेकिन गुरुग्राम या हरियाणा के बाक़ी हिस्सों में हुई हिंसा पर कोई ऐलान नहीं हुआ। हालांकि पहले ये पंचायत नूंह में ही होनी थी लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी जिसके बाद ये पलवल में हुई। इस दौरान नूंह हाई अलर्ट पर रहा।

इस महापंचायत में हिंसा में मारे गए मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और एक करोड़ के मुआवज़े की मांग की गई। इसके साथ ही एक बार फिर 28 अगस्त को नूंह में यात्रा निकालने की बात हुई। हालांकि ये तारीख प्रशासन से बातचीत के बाद बदली भी जा सकती है। इसके साथ ही रोहिंग्या और बांग्लादेश के लोगों को नूंह से बाहर करने और ज़िले में RAF और BSF की एक बटालियन तैनात करने की बात कही गई। साथ ही हिंदुओं को हथियारों के लाइसेंस की छूट और नूंह ज़िले को खत्म कर सोहना को ज़िला बनाने की भी बातें कही गईं। इसके अलावा दंगाइयों की पहचान कर उनकी ज़मीन कुर्क करने की भी मांग की गई। यहां आए लोगों ने भी सरकार पर अविश्वास जताया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदलने की मांग भी रखी।

इस महापंचायत में कार्रवाई की जितनी भी बातें की गईं थी वे सभी मुस्लिम इलाकों या उनसे संबंधित है। इस पंचायत को लेकर कई लोगों का आरोप है कि ये हिंसा के बाद माहौल को शांत करने के बजाए राजनीति अधिक कर रहे थे। दिल्ली में भी इस तरह की एक पंचायत 20 अगस्त को करने का ऐलान किया गया है।

"नूंह हमेशा से रहा शांति का प्रतीक, इसे सांप्रदायिक हिंसा में न झोंके"

हरियाणा में हिंसा के बाद वहां कई प्रतिनिधि मंडल गए और पीड़ितों से मिले। वाम दलों के दो प्रतिनिधि मंडल अलग-अलग समय पर गए। 06 अगस्त को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का और 10 अगस्त को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई(एम) ने हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। सीपीआई(एम) के प्रतिनिधि मंडल में पूर्व सांसद व पोलिट ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु, वर्तमान में राज्यसभा सांसद एए रहीम और वी शिवदासन, हरियाणा सचिवमंडल के सदस्य इंद्रजीत सिंह, सविता, संदीप सिंह, उषा सरोहा, अख्तर हुसैन, अशोक शर्मा, वीरेंद्र सिंह और अन्य लोग शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने उन स्थानों को देखा जहां कई दुकानों और घरों को बुलडोज़र से ढहा दिया गया था। पीड़ितों ने नेताओं को अपनी व्यथा सुनाई। प्रतिनिधिमंडल ने शांति समिति के सदस्यों - सिदिक अहमद मेव और रमजान चौधरी - से भी बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल ने सेक्टर-57 में अंजुमन मस्जिद का भी दौरा किया, जिसे संरक्षित करने में पुलिस विफल रही थी और 31 जुलाई की रात को उन्मादी सांप्रदायिक भीड़ ने मुख्य इमाम की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि "नूंह इलाका हमेशा से ही शांति का प्रतीक रहा है इसे सांप्रदायिक हिंसा में न झोंका जाए। प्रायोजित हिंसा को रोका जाए तथा अपराधियों को पकड़ने के नाम पर बेकसूर युवाओं की धरपकड़ बंद की जाए। सीपीआई(एम) सांसद इस पूरे घटनाक्रम को संसद में उठाएंगे।"

प्रतिनिधिमंडल ने नूंह में लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की और मांग की:

1. हाई कोर्ट की निगरानी में इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच की जाए। इसके लिए ज़िम्मेदार तत्वों के ख़िलाफ़ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और किसी भी बेकसूर को ना फंसाया जाए।

2. नूंह में साधारण लोगों के घरों, दुकानों और व्यवसायिक संस्थानों को तोड़ने की कार्रवाई तुरंत बंद की जाए और सामान्य स्थिति बहाल की जाए।

3. जिन परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है, उसकी भरपाई किसी भी रूप में संभव नहीं फिर भी हिंसा में हुए जान-माल के नुकसान की भरपाई की जाए। सरकार सभी को उचित मुआवज़ा दे।

4. मोनू मानेसर व बिट्टू बजरंगी को तुरंत गिरफ़्तार किया जाए।

5. नफ़रत और हिंसा भड़काने वाले प्रदर्शनों और लामबंदियों पर सख्ती से रोक लगाई जाए।

6. गौरक्षा के नाम पर हथियारबंद दस्तों पर प्रतिबंध लगाया जाए।

“नफ़रत पैदा की जा रही है, पलायन को मजबूर किया जा रहा है”

सीपीआई प्रतिनिधिमंडल ने 06 अगस्त 2023 को हरियाणा के हिंसाग्रस्त गुरुग्राम और नूंह ज़िलों का दौरा किया। इस प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम, एआईटीयूसी महासचिव अमरजीत कौर, सीपीआई सांसद पी. संदोश कुमार और सीपीआई हरियाणा सचिव दरियाव सिंह कश्यप शामिल थे। हिंसा प्रभावित नूंह का दौरा करने वाला यह विपक्षी दल का पहला प्रतिनिधिमंडल था।

सीपीआई ने अपने बयान में कहा कि "प्रतिनिधिमंडल ने महसूस किया कि क्षेत्र में जानबूझकर सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल को प्राप्त हुए हरियाणा के ज़िला रेवाड़ी के जैनाबाद पंचायत के सरपंच के लेटरहेड पर लिखा गया एक चौंकाने वाला पत्र अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ संगठित भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है, जिसे भाजपा शासन के तहत व्यवस्थित रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।”

सीपीआई नेताओं ने कहा, "क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पलायन को मजबूर किया जा रहा है और सांप्रदायिक सद्भाव, नफ़रत और विभाजन की राजनीति का शिकार बना है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें और यह पत्र, सीपीआई प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान सामने आए। पूरे क्षेत्र में नफ़रत और विभाजन को जानबूझकर बढ़ावा दिया गया है।”

नूंह की सीमा पर पुलिस द्वारा रोके जाने से पहले सीपीआई प्रतिनिधिमंडल ने समाज के सभी वर्गों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने सभी लोगों से क्षेत्र में शांति, सामंजस्य और सद्भाव बनाए रखने की अपील की। उन्होंने दंगों की वजह बनने वाली घटनाओं की गहन जांच करने और अपराधियों को कड़ी सज़ा देने की भी मांग की। प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि हिंसा और आगज़नी के पीड़ितों को उचित मुआवज़ा दिया जाना चाहिए और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करे और विभाजन को ख़त्म करे।

पुलिस द्वारा नूंह में प्रवेश करने से रोके जाने पर सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा, “सीपीआई प्रतिनिधिमंडल को पुलिस बल ने नूंह, हरियाणा में प्रवेश करने से रोका। हमारा मकसद हिंसा पीड़ितों से मिलना और शांति की अपील करना था। डबल इंजन सरकार लोगों की स्वतंत्र आवाजाही से भी डरती है। उनकी योजना चुनाव को ध्यान में रखकर लोगों को विभाजित करने की है।”

इसके अलावा हरियाणा के बड़े खाप और किसान संगठन लगातार प्रदेश में भाईचारा सम्मलेन कर रहे हैं जिसके माध्यम से ये राज्य में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द को पुनः बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही समाज की विभाजनकारी ताकतों के ख़िलाफ़ जनता की मजबूत लामबंदी भी कर रहे हैं। इन सभी लोगों का एक ही कहना है कि ये प्रायोजित हिंसा है इसमें आम जनता भागीदार नहीं है।

हरियाणा में मज़दूरों के नेता और सीटू महासचिव जय भगवान ने अपने बयान में कहा, “31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसा निंदनीय है। असली दोषियों को छोड़ा ना जाए और निर्दोषों को छेड़ा न जाए। लोगों के आशियाने और व्यवसायिक संस्थानों को तोड़ने की कार्रवाई तुरंत बंद हों और सामान्य स्थिति बहाल हो।”

आपको बता दें 31 जुलाई को शुरू हुई इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हुई थी और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 140 से ज़्यादा FIR दर्ज की हैं और 300 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर बुलडोज़र कार्रवाई भी की गई है।

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