पंजाब: एक बार फिर बाढ़ का ख़तरा!
थोड़ी राहत मिली ही थी कि बाढ़ पंजाब को एकबार फिर परेशान कर रही है। हिमाचल प्रदेश में आई भारी बारिश के बाद भाखड़ा और पौंग डैम से पानी छोड़ना पड़ा। नतीजा यह हुआ कि राज्य के आठ जिले जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, फिरोजपुर, रूपनगर, अमृतसर और तरनतारन बाढ़ की जबरदस्त चपेट में आ गए हैं। जन-जीवन खतरे में पड़ गया है। बचाव के लिए सेना और एनडीआरएफ को कमान सौंपी गई है।
जालंधर के एक गांव गीदड़पिंडी के रहने वाले गुरबख्श सिंह कहते हैं कि उन्होंने अपने पुरखों से अतीत में आई बाढ़ की कहानियां सुनीं हैं लेकिन ऐसी भीषण बाढ़ पहली बार आई है। ऐसा भी पहली बार हुआ है कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के गेट अभी लगभग पांच दिन और खुले रहेंगे। भाखड़ा बांध के फ्लडगेट 12 फीट तक खोल दिए गए, कहा जा रहा है कि 35 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है।
बीबीएमबी के मुख्य अभियंता एस.के. सीडाना कहते हैं कि पौंग बांध का जलस्तर 1395.57 फीट दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से क़रीब 2.57 फीट ऊपर है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि राज्य में बाढ़ से उत्पन्न हालात काबू में हैं। पहाड़ी इलाकों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के बाद राज्य सरकार लगातार हिमाचल सरकार और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के संपर्क में है। पौंग डैम और रणजीत सागर डैम में हालात पूरी तरह काबू में हैं। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के सचिव सतीश सिंगला का कहना है कि "शुक्रवार तक पानी छोड़े जाने के बाद हालात का जायजा लिया जाएगा। हमने 24 घंटे पहले ही पंजाब सरकार को पानी छोड़े जाने की सूचना दे दी थी।"
गौरतलब है कि इस बार अकेले हिमाचल में एक हफ्ते मानसून अपने सामान्य कोटे से 103 प्रतिशत ज़्यादा रहा है। ख़बरों के मुताबिक यहां लैंडस्लाइड की 112 और बादल फटने की 5 घटनाएं हुईं। इससे तकरीबन 720 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां बर्बाद हो गई हैं। वहां से मिली एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 2 महीने के दौरान हिमाचल में 327 लोगों की मौत फिलहाल तक दर्ज की गई हैं या सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि वहां 950 सड़के बंद हैं।
सेना और एनडीआरएफ बचाव कार्यों में उतर गई है। जहां-जहां पानी का बहाव ज़्यादा है, फौज पानी में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर से बाहर निकल रहे हैं। नदियों और बांधों के आसपास के लोग ज़रूरी सामान के साथ छतों पर चढ़ गए हैं। आफत इसे लेकर भी है कि मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भारी बारिश की चेतावनी दी हुई है। तमाम जिलों में अफरा-तफरी का माहौल है। जिला व तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं।
इसके अलावा पंजाब सरकार के तमाम मंत्री और सत्तारूढ़ दल के विधायक बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंसिपल बुधराम खुद फील्ड में हैं। इस संवाददाता से उन्होंने कहा, "सरकार की ओर से कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही। आपदा के आगे किसका ज़ोर चलता है। यह वक्त राजनीति करने का नहीं बल्कि लोगों को बचाने का है।"
कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस के अनुसार, "सरकार की कोशिश है कि बाढ़ ग्रस्त लोगों और उनके जानवरों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जाए।" आपको बता दें बाढ़ ग्रस्त इलाकों में इमरजेंसी लगा दी गई है और अधिकारियों तथा कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
पिछली बाढ़ के कहर से लोग उबर भी नहीं पाए थे, कि अब एक बार फिर उन्हें बाढ़ के इस नए दौर का सामना करना पड़ रहा है। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें पिछली बाढ़ से हुए नुकसान का मुआवज़ा भी नहीं मिला कि नई मुसीबत खड़ी हो गई। ऊपर से कोई नहीं जानता कि यह सिलसिला कितना लंबा चलेगा।
नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने इस संवाददाता से कहा, "सरकार किसी की भी रही हो, कई-कई सालों से नालों की सफाई कायदे से नहीं कराई गई। इस बार सरकार को सिंचाई विभाग ने चेताया था कि बारिश अधिक होगी और हालात बिगड़ सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री अपनी राजनीति में व्यस्त रहे।"
पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखपाल सिंह खैहरा का कहना है कि पंजाब सरकार चाहती तो हालात इतने बदतर नहीं होते। आपदा के लिए सरकार की कोई नीति पहले से नहीं थी।
बहरहाल, सरकार के आकलन में जिन संपत्तियों को क्षतिग्रस्त पाया गया था, वे अब और ज़्यादा क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इंसानों को तो रेस्क्यू के ज़रिए बचाया जा रहा है लेकिन जानवरों और पोल्ट्री जानवरों का क्या किया जाए?
ज़ाहिर तौर पर दूसरी बार की यह बाढ़ बेहद ख़तरनाक है। लोग अभी इसी चिंता से नहीं निकले थे कि पिछली बार के नुकसान की भरपाई कैसे करें और नए सैलाब ने उन्हें और ज़्यादा चिंता में डाल दिया है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है)
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